कोरोना महामारी के बाद देशभर में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीज सामने आ रहे हैं. 50 फीसदी तक मृत्यु दर वाली इस बीमारी को फैलने से रोकना जहां चुनौती बन गया है वहीं इसके इलाज में आने वाला मोटा खर्च भी लोगों को चिंता में डाल रहा है. ऐसे में अब ब्लैक फंगस के इलाज की कीमतों को कम करने की मांग की जा रही है.
देशभर में व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन कंन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की ओर से ब्लैक फंगस के इलाज ks खर्च को कम करने के लिए पत्र लिखा गया है. कैट ने केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर जरूरी दवाओं की कीमतों को कम करने की मांग की है. कैट की ओर से कहा गया है कि ब्लैक फंगस का इलाज (Black Fungus Treatment) बहुत महंगा होने के कारण आम आदमी की पहुंच से बाहर है. ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाले एक-एक इंजेक्शन की कीमत सात हजार के लगभग है. ऐसे में लंबे समय तक चलने वाली इस बीमारी के इलाज के लिए व्यक्ति को करीब 70 से 100 इंजेक्शनों की जरूरत होती है. जिसका खर्च उठा पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि पहले ही कोरोना और फिर रोजगार में बाधा आने से लोग परेशान हैं. अब ये नई बीमारी और इसे ठीक होने में आने वाले लाखों के खर्च के चलते लोगों की परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ गई है. लिहाजा इसके इलाज में आने वाली दवाओं की कीमतें कम की जानी चाहिए.
इसलिए इतना महंगा है इलाज
मैक्स हेल्थकेयर में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. निशेष जैन बताते हैं कि ब्लैक फंगस का इलाज इसलिए भी महंगा है कि इसके इंजेक्शन मरीज के वजन के अनुसार मात्रा बनाकर दिए जाते हैं. इसमें दिए जाने वाले एम्फोटेरेसिन बी लाइपोसेमल इंजेक्शन की मात्रा तीन से पांच एमजी प्रति किलोग्राम वजन के हिसाब से दी जाती है. ऐसे में किसी व्यक्ति का वजन अगर 60 किलोग्राम है और उसे रोजाना तीन एमजी दी जानी है तो उसे 180 एमजी प्रतिदिन देनी होगी.
डॉ. जैन कहते हैं कि ब्लैक फंगस क्योंकि सिर्फ आंख तक सीमित नहीं है बल्कि यह ब्रेन और नाक तक पहुंचती है और वहां भारी डैमेज पहुंचाती है तो मरीज का रोजाना चेकअप होता है और उसके अनुसार दवा की डोज बढ़ाई जाती है. लिहाजा कई मरीजों में ऐसा हुआ है कि ब्लैक फंगस का इलाज दो-दो महीनों तक चला है. ऐसे में पहले से कीमती इंजेक्शन की लंबे समय तक मांग होने के कारण इसका इलाज महंगा हो जाता है.