नीति आयोग के सदस्य डॉ विनोद पॉल ने उन 7 सवालों के जवाब दिए हैं जिन्हें लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं. क्या हैं वो सवाल और क्या हैं केंद्र के इस पर जवाब, आइए जानते हैं.
1.सरकार पर आरोप है कि वह विदेश से वैक्सीन खरीदने की पूरी कोशिश नहीं कर रही.
इस पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि वैक्सीन बनाने वाली सभी बड़ी इंटरनेशनल कंपनियों के साथ केंद्र 2020 के मध्य से ही लगातार संपर्क में है. फाइजर, जेजे और मॉडर्ना के साथ सरकार कई दौर की बातचीत भी कर चुकी है. सरकार उन्हें वैक्सीन की सप्लाई या भारत में वैक्सीन निर्माण के लिए हर संभव सहयोग देने की पेशकश की है. लेकिन ऐसा नहीं है कि ये कंपनिया फ्री में वैक्सीन सप्लाई के लिए उपलब्ध हैं. दुनियाभर में वैक्सीन की सीमित सप्लाई है और कंपनियों की भी अपनी अलग प्राथमिकताएं हैं. जैसे हमारी कंपनियों ने बिना किसी हिचक के हमें प्राथमिकता दी थी वैसे ही वो कंपनियां भी उनके देशों को प्राथमिकता देंगी. केंद्र सरकार ने बताया कि जैसे ही फाइजर वैक्सीन की उपलब्धता की जानकारी देगा, उतनी ही जल्दी भारत में वैक्सीन इंपोर्ट करने की कोशिश होगी. ये भारत सरकार की कोशिशों का ही नतीजा है कि स्पूतनिक वी की डोज भारत में आ गई हैं और जल्द ही भारत में इसका निर्माण भी शुरू हो जाएगा.
2. आरोप है कि केंद्र ने विश्व स्तर पर उपलब्ध टीकों को मंजूरी नहीं दी है
विनोद पॉल ने बताया कि केंद्र ने अप्रैल में भारत में यूएस एफडीए (FDA), ईएमए (EMA), यूके के एमएचआरए (MHRA), जापान के पीएमडीए (PMDA) और डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची में मंजूरी प्राप्त टीकों के प्रवेश को आसान बना दिया है. इन्हें पूर्व ब्रिजिंग परीक्षणों से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी.अन्य देशों में निर्मित अच्छी तरह से स्थापित टीकों के लिए ट्रायल को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रावधान में अब और संशोधन किया गया है. ड्रग कंट्रोलर के पास मंजूरी के लिए किसी विदेशी विनिर्माता का कोई आवेदन लंबित नहीं है.
3. आरोप है कि सरकार घरेलू वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के लिए कुछ नहीं कर रही.
सरकार ज्यादा से ज्यादा कंपनियों से वैक्सीन बनवाने के लिए हर संभव सुविधा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. फिलहाल देश में केवल एक कंपनी है भारत बायोटेक जिसके पास आईपी है. भारत सरकार ने ये सुनिश्चित किया है भारत बायोटेक के आलावा 3 अन्य कंपनियां भी कोवैक्सिन का निर्माण करेंगी. वहीं सरकार के लगातार प्रोत्साहन के बाद कोवीशिल्ड वैक्सीन के निर्माण में भी तेजी आ रही है. कंपनी कोवीशिल्ड का निर्माण 6.5 करोड़ से बढ़ाकर 11 करोड़ डोज कर रही है.
4. सुझाव है कि केंद्र को बाकी कंपनियों को लाइसेंसिंग के लिए आमंत्रित करना चाहिए.
कंपलसरी लाइसेंसिंग देना ये बहुत अच्छा आइडिया नही है क्योंकि ये केवल कंपनियों को फॉर्मूला देने की बात नहीं है बल्कि एक्टिव पार्टनरशिप, ह्यूमन रिसोर्स की ट्रेनिंग और बायो सेफ्टी लैब की उपलब्धता की बात है.
5. आरोप है कि केंद्र सरकार ने अपनी जिम्मेदारी राज्यों को सौंप दी है.
इस आरोप का जवाब देते हुए केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने से लेकर विदेशी वैक्सीन भारत लाने के लिए जल्द से जल्द मंजूरी प्राप्त करवाने तक, हर भारी भरकम काम भारत सरकार कर रही है. राज्य सरकारें ये अच्छी तरह से जानती हैं कि केंद्र राज्यों को लोगों मे मुफ्त में टीके देने के लिए वैक्सीन सप्लाई कर रही है. भारत सरकार ने राज्यों को उनके स्पष्ट अनुरोध पर, स्वयं टीकों की खरीद का प्रयास करने में सक्षम बनाया है. राज्य अच्छी तरीके से जानते हैं कि भारत की वैक्सीन उत्पादन क्षमता क्या है और विदेश से वैक्सीन मंगवाने में क्या परेशानी हो रही है. भारत ने जनवरी से लेकर अप्रैल तक पूरा टीकाकरण अभियान चलाया जो की मई के मुकाबले काफी बेहतर था. लेकिन वो राज्य जिन्होंने फ्रंटलाइन वर्कर्स औऱ स्वास्थ्य क्रमियों के टीकाकरण में भी अच्छी कवरेज हासिल नहीं की है, वो चाहते हैं कि इस अभियान को और लोगों के लिए खोल दिया जाए.
6. आरोप है कि केंद्र राज्यों को पर्याप्त वैक्सीन नहीं दे रहा
केंद्र सहमत दिशानिर्देशों के अनुसार पारदर्शी तरीके से राज्यों को पर्याप्त टीके आवंटित कर रहा है. राज्यों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पहले से सूचित किया जा रहा है. निकट भविष्य में वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ने वाली है.
7. आरोप है कि केंद्र बच्चों के टीकाकरण के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा
अभी तक कोई भी देश बच्चों को वैक्सीन नहीं दे रहा. WHO ने भी बच्चों को वैक्सीन देने की बात नहीं की है. बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल भारत में जल्द शुरू होगा. हालांकि बच्चों को वैक्सीन देने फैसला वाट्सऐप ग्रुप पर फॉरवर्ड हुए मैसेजों से नहीं लेना चाहिए. इस मामले में कुछ लोग राजनीति करना चाहते हैं. लेकिन इस बारे में फैसला वैज्ञानिक ही लेंगे.