नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पैदा हुई अव्यवस्था के लिए शासन-प्रशासन को दोषी ठहराया है। ‘हम जीतेंगे: पॉजिटिविटी अनलिमिटेड’ व्याख्यान शृंखला की अंतिम कड़ी में शनिवार को उन्होंने कहा कि पहली लहर के बाद सभी गफलत में आ गये। यह कार्यक्रम कोविड रिस्पांस टीम दिल्ली की ओर से 11 मई से किया जा रहा था।
भागवत ने कहा कि कोरोना महामारी मानवता के सामने एक चुनौती है। इस दौरान भारत को एक मिसाल कायम करनी है। हमें गुण-दोष की चर्चा किये बिना एक टीम के रूप में काम करना है। एक टीम के रूप में काम करके और अपने काम को तेज करके इस चुनौती को दूर कर सकते हैं। हमें संकल्प लेकर इस चुनौती से लड़ना है। संपूर्ण विजय पाने तक प्रयास करना है। उन्होंने कहा कि पहली लहर आने के बाद हम सब गफलत में आ गये। आम जनता, क्या शासन, क्या प्रशासन। डॉक्टर लोग इशारा दे रहे थे, लेकिन सभी आत्मसंतुष्ट हो गये। इसलिए यह संकट खड़ा हुआ। अब तीसरी लहर की चर्चा है। इससे डर जायें क्या। हमें डरने की नहीं, बल्कि खुद को तैयार करने की जरूरत है। समुद्र मंथन के समय अमृत प्राप्ति होने तक देवता प्रयास करते रहे। वे निराश नहीं हुए। हलाहल विष के कारण भी डरे नहीं।
सभी मिलकर काम करें
भागवत ने कहा कि हमें सारे भेद भूलकर, गुण-दोष को पीछे छोड़कर मिलकर काम करना है। देर से जागे, तो कोई बात नहीं। सामूहिकता के बल पर हम अपनी गति बढ़ाकर आगे निकल सकते हैं। निकलना चाहिए। इसे कैसे करना है। पहले अपने को ठीक रखें। इसके लिए जरूरी है संकल्प की मजबूती। दूसरी बात है सजग रहना। सजग रहकर ही अच्छा बचाव हो सकता है।
हर जानकारी को परखिये
भागवत ने कहा कि शुद्ध आहार लेना जरूरी है, लेकिन इसकी जानकारी लेना है। कोई कह रहा है, इसलिए नहीं मान लेना है। परखते रहना है। अपना अनुभव और उसके पीछे के वैज्ञानिक तर्क की परीक्षा करना चाहिए। हमारी ओर से कोई बेसिर-पैर की बात समाज तक न जाये। समाज में ऐसी कोई बात आगे चल रही है, तो वह आगे न जाये। उन्होंने कहा कि सावधानी रखकर ऐसे उपचार और आहार का सेवन करना है। विहार का भी ध्यान रखना है। खाली मत रहिये। कुछ नया सीखिये। परिवार के साथ गपशप कीजिये। बच्चों के साथ संवाद कीजिये।