ज्ञानवापी -शृंगार गौरी मामले में मंगलवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 26 मई तय की है। अदालत ने सभी पक्षों से सर्वे पर एक हफ्ते में आपत्ति मांगी हैं। इसके पहले सुनवाई को देखते हुए न्यायालय में सुरक्षा का कड़ा प्रबंध किया गया था। निर्धारित समय पर जिला न्यायालय में वादी और प्रतिवादी पक्ष के साथ कुल 36 लोगों को प्रवेश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बीते सोमवार को जिला जज की अदालत में इस प्रकरण में सुनवाई हुई थी। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी तरफ से दलीलें दी थीं, लेकिन न्यायालय ने कोई फैसला नहीं देते हुए आज मंगलवार तक के लिए सुनवाई टाल दी थी।
जिला जज की अदालत में दूसरे दिन सुनवाई में दोनों पक्षों की ओर से दो बिन्दुओं को रखा गया। प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष चाहता था कि पहले सिविल प्रक्रिया आदेश 07, नियम 11 के तहत वाद की पोषणीयता पर सुनवाई करे। वादी पक्ष चाहता था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की सर्वे रिपोर्ट और उस पर आयी आपत्तियों से जुड़े बिंदुओं पर सुनवाई हो। अब इन बिंदुओं पर 26 मई को पहले पोषणीयता पर सुनवाई होगी। बताते चलें, प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी का पक्ष है कि उसके प्रार्थना पत्र पर न्यायालय सुनवाई करे। जिसमें कहा गया है कि यह मुकदमा सुनने योग्य ही नहीं है। वादी पक्ष की महिलाओं की ओर से मां शृंगार गौरी प्रकरण के सर्वे के संबंध में आपत्तियों की सुनवाई शुरू करने की बात कही गई है।
वादी पक्ष की महिलाओं के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि प्रतिवादी पक्ष ने कल अपनी दलीलें पेश की थीं। उन्होंने कहा कि मामला पूजा स्थल अधिनियम के मापदंडों को पूरा नहीं करता है। वह चाहते थे कि मामला खारिज हो जाए, लेकिन हमने भी कोर्ट के सामने अपनी दलीलें पेश की थीं। मामले को यूं ही खारिज नहीं किया जा सकता, यह चलता रहेगा। यह संपत्ति का नहीं बल्कि पूजा के अधिकार का मामला है।