नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने पिछले आठ सालों में कई मोर्चो पर तरक्की और विकास के परचम लहराये हैं। रेलवे के कायाकल्प में भी सरकार की तीव्र और प्रगतिशील सोच साफ नजर आ रही है। मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत विभिन्न क्षेत्रों में नय-नये योग-प्रयोग जारी हैं। रेलवे में भी मेक इन इंडिया अभियान की सफलता वंदे भारत अभियान के रूप में साफ नजर आ रही है।
कभी लेट-लतीफी का ठप्पा झेलने वाली भारतीय रेल अब मोदी सरकार में पटरियों पर सरपट दौड़ रही है। समय और गति के मामले में भी इसने नये मानदंड स्थापित किये हैं। मेक इन इंडिया के तहत तैयार देश की पहली सेमी हाई स्पीड ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ (ट्रेन-18) को नई दिल्ली-वाराणसी के बीच 15 फरवरी 2019 को हरी झंडी दिखाई गई थी। देश को दूसरी वंदे भारत ट्रेन का तोहफा 3 अक्टूबर 2019 को नई दिल्ली-श्री माता वैष्णो देवी कटरा के रूप में मिला। इसके साथ ही काशी विश्वनाथ और वैष्णों देवी जाने वाले तीर्थ यात्रियों की राह आसान हो गई। वर्तमान में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के केवल दो रेक नई दिल्ली-कटरा और नई दिल्ली-वाराणसी रूट पर चल रहे हैं।
वंदे भारत एक्सप्रेस को 180 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलने में सक्षम होने के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन मौजूदा ट्रैक स्थिति के कारण ट्रेन 130 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से संचालित होती है। यात्रियों के दृष्टिकोण से वंदे भारत ट्रेनें शताब्दी ट्रेनों से एक निश्चित कदम ऊपर हैं। ट्रेनों के प्रत्येक कोच में धूल रहित वातावरण के लिए गैंगवे, मॉड्यूलर बायो-वैक्यूम शौचालय, एग्जीक्यूटिव क्लास में रोटेटिंग सीट, पर्सनलाइज्ड रीडिंग लाइट, स्लाइडिंग फुटस्टेप्स के साथ ऑटोमैटिक एंट्री/एग्जिट डोर, डिफ्यूज एलईडी लाइटिंग, मिनी पेंट्री, सेंसर-आधारित इंटरकनेक्टिंग दरवाजे हैं।
मोदी सरकार ने बजट 2022 में अगले तीन सालों में 400 सेमी-हाई स्पीड अगली पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेनों को शुरू करने की योजना रखी है। ये नई पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेनें बेहतर ऊर्जा दक्षता और यात्री सवारी अनुभव प्रदान करेंगी। लेकिन शायद यही एकमात्र कारण नहीं हैं कि देश का बजट और भारतीय रेलवे इन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ट्रेनों पर बड़ा दांव लगा रहे हैं। जिनका पहली बार 2018 में ट्रेन-18 (वंदे भारत) के रूप में अनावरण किया गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ गतिशीलता के एक नए युग में प्रवेश किया है। रेलवे के वित्त और परिचालन दक्षता में सुधार की आवश्यकता सहित कई उद्देश्य भी एक कारक हैं। उनका कहना है कि अगर 400 की महत्वाकांक्षी संख्या हासिल की जाती है, तो इससे रेलवे को बेहतर यात्री राजस्व हासिल करने में मदद मिलेगी और ‘मेक इन इंडिया’ के निर्माताओं को बल मिलेगा। यात्री दृष्टिकोण से, इन ट्रेनों का मतलब निश्चित रूप से एक बेहतर यात्रा अनुभव है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस लिहाज से रेलवे एयरलाइंस की तर्ज पर प्रीमियम किराया वसूल कर सकेगा।
अगस्त 2023 तक देश में 75 और वंदे भारत ट्रेन का लक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने गत वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर देश के सामने कई लक्ष्य रखे थे। इसी श्रृंखला में उन्होंने भारतीय रेलवे के लिए अमृत महोत्सहव के 75 सप्ताेह में अर्थात 15 अगस्त 2023 तक 75 वंदे भारत ट्रेनें देश के हर कोने को आपस में जोड़ने के लिए शुरू करने का लक्ष्य दिया।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के नेतृत्व में उनका मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी 75 नई सेमी-हाई स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को शुरू करने के लिए दिन-रात मिशन मोड में काम कर रहा है। यह ट्रेनें राष्ट्रीय राजधानी को अन्य प्रमुख रेल खंडों से जोड़ेगी। रेल मंत्री ने पिछले दिनों इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) का दौरा करने के बाद कहा था कि “वंदे भारत एक्सप्रेस के डिब्बों का उत्पादन तेजी से हो रहा है।”
रेल मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार रेलवे इन ट्रेनों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए विनिर्माण इकाइयों की क्षमता बढ़ाने पर 130 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। इससे चार ट्रेनों की मौजूदा क्षमता की तुलना में हर महीने छह ऐसी ट्रेनों का निर्माण सुनिश्चित होगा।