प्रधानमंत्री मोदी ने यह सोमवार को इंडो-पैसीफिक इकोनोमिक फ्रेमवर्क फार प्रोस्पेरिटी (आइपीईएफ) अभियान की शुरूआत के मौके पर चीन को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र को मुक्त, खुला और समावेषी बनाए रखने के लिए संकल्पबद्ध है। भारत सहयोगी देशों के साथ आर्थिक संबंध मजबूत कर क्षेत्र में सतत विकास, शांति और संपन्नता का माहौल बनाने में विश्वास रखता है। इस अभियान में भारत और अमेरिका सहित कुल 12 देश शामिल हैं।
भारत की भूमिका अहम होगी
इस अभियान को इंडो-पैसीफिक इकोनोमिक फ्रेमवर्क फार प्रोस्पेरिटी का नाम दिया गया है। इस अभियान में अमेरिका ने समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर स्वच्छ ऊर्जा, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने और डिजिटल ट्रेड को बढ़ावा देने का अभियान शुरू किया है। चीन की आक्रामक व्यापार नीति का जवाब माने जा रहे इस अभियान में भारत के साथ आस्ट्रेलिया, ब्रूनेई, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम हैं। जाहिर है इनमें सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भारत की मुख्य भूमिका होगी।
3टी का फामूर्ला
पीएम मोदी ने इसके लिए 3 टी फामूर्ले पर कार्य करने की जरूरत बताई। 3 टी फामूर्ला-ट्रस्ट, ट्रांसपैरेंसी और टाइमलीनेस का है। मोदी ने कहा, परस्पर विश्वास, पारदर्शिता और समयबद्ध कार्यशैली अपनाकर किसी भी चुनौती को खत्म किया जा सकता है। भारत क्षेत्रीय देशों के बीच संपर्क, सहयोग, व्यापार और निवेश बढ़ाकर आर्थिक विकास का माहौल बनाना चाहता है। इससे विकास के हमारे लक्ष्य हासिल होंगे और मानवीय विकास होगा।
आर्थिक गतिविधियां बढ़ाएंगे सहभागी देश
अभियान की शुरूआत के लिए आयोजित समारोह में राष्ट्रपति बाइडन के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद थे, जबकि बाकी देशों के नेता समारोह से आनलाइन जुड़े। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार आइपीईएफ के जरिये सहभागी देश अपनी आर्थिक गतिविधियां बढ़ाएंगे। हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में ये देश साफ-सुथरी आर्थिक वृद्धि वाली व्यवस्था कायम करेंगे, जो अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुकूल होगी।