रांची। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को रविवार को पत्र लिखा है। उन्होंने राज्य में जमीन लूट पर चिंता जताई है। साथ ही कहा है कि राज्य गठन से लेकर अबतक हुए भूमि घोटाले की सीबीआई या फिर हाई कोर्ट के सीटिंग जज की अध्यक्षता में आयोग गठित कर जांच कराई जाए।
मरांडी ने कहा है कि जमीन घोटाले में ईडी की जांच लगातार आगे बढ़ रही है। इसमें हैरान करने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं। रांची ही नहीं, बल्कि राज्य के कई जिलों में ऐसे कई जमीन माफिया सक्रिय हैं जिन्होंने सरकारी सिस्टम में कमी का फायदा उठाते हुए सिंडिकेट बनाकर इन कामों को अंजाम दिया है। साथ ही विरोध में उठने वाली हर आवाज को हर स्तर पर दबा दिया।
बाबूलाल मरांडी ने गिरिडीह का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां तो जमीन माफिया ने विरोध करने वाले एक व्यक्ति को धारा 107 में चार महीने जेल में रखवा दिया। ऐसे में भला कौन दूसरा आदमी इनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत करेगा। झारखंड में इस महाघोटाला का पूरा पर्दाफाश करना अकेले ईडी के बस की बात नहीं है। ऐसे में सीएम राज्य विभाजन से लेकर अबतक के सारे जमीन हस्तांतरण, म्यूटेशन और जमीन कब्जा करने-कराने के मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दें या फिर आयोग बनाकर जांच कराने का आदेश दे।
झारखंड में माफियाओं के द्वारा सिस्टम के लूप होल्स का फायदा उठाकर सरकारी, गैर सरकारी, गरीब, पिछड़े और आदिवासियों के जमीन लूट के संबंध में आज मैनें मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM जी को पत्र लिखा है।
राज्य गठन के बाद से ऐसे सभी जमीन के हस्तांतरण और म्यूटेशन की सीबीआई या सिटिंग जज की… pic.twitter.com/BjsrMraJKb— Babulal Marandi (@yourBabulal) May 14, 2023
बाबूलाल के मुताबिक सरकारी सिस्टम की कमी का फ़ायदा उठाकर कर जालसाज़ी में माहिर हर्षद मेहता, अब्दुल करीम तेलगी टाईप काम करने वाले कई जमीन माफियाओं ने दलाल, बिचोलिया, जालसाज़, गुंडे, प्रशासन, पुलिस और सत्ता संरक्षित नीचे से उपर तक बैठे कुछ बेईमान लोगों का सिंडिकेट बनाकर इन कामों को अंजाम दिया है. विरोध में उठने वाली हर आवाज़ को किसी भी स्तर पर दबाया है.
ये जमीन माफिया अपने कामों में इतने माहिर हैं कि जिस ज़मीन को हथियाना होता है, वहाँ पहले हर स्तर पर नीचे से उपर तक अधिकारियों, गुंडों, दलालों, बाहुबलियों से सांठ-गांठ करते हैं. फिर ऐसा धावा बोलते हैं कि आम आदमी, गरीब आदिवासी उस ज़मीन को इन बिचोलियों से बचाने के लिये पहले से “मेनेज सिस्टम” के सामने चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते हैं. हताश होकर करष्ट सिस्टम, सिंडिकेट के सामने थक कर हार मान लेते हैं.
गिरिडीह का उदाहरण देते बाबूलाल मरांडी ने कहा कि गिरीडीह में तो जमीन माफ़िया ने विरोध करने वाले एक व्यक्ति को धारा 107 में जेल भिजवाकर चार महीने जेल में रखवा दिया. ऐसे में भला कौन दूसरा आदमी ऐसे जमीन माफियाओं के खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत करेगा. झारखंड में ज़मीन के इस महाघोटाला का पूरा पर्दाफ़ाश करना अकेले ED के बस की बात नहीं है. ऐसे में सीएम राज्य विभाजन से लेकर अबतक के सारे ज़मीन हस्तांतरण, म्यूटेशन और जमीन क़ब्ज़ा करने, कराने के मामलों की जाँच सीबीआई (CBI) को सौंप दें. या फिर जाँच आयोग, कमीशन बनाकर जाँच कराने का आदेश दें ताकि झारखंड की जनता को यह पता तो चल सके कि किन लोगों ने किस-किस के सहयोग से झारखंड को “ज़मीन लूट महाखंड” बनाने का काम किया है.