-राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का दो दिवसीय दौरा समाप्त
-बिहार सरकार ने कहा, दो महीने में दूर होंगी कमियां
पटना। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा कि दो दिवसीय दौरे के दौरान हुई बैठकों में बिहार सरकार द्वारा दी गई जानकारी व आंकड़ों से स्पष्ट हो गया है कि अनुसूचित जाति के लोगों के उत्थान के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा विशेष तौर बनाई गई योजनाओं का लाभ बिहार सरकार नीचे तक नहीं पहुंचा पा रही है।
दो दिवसीय राज्य स्तरीय समीक्षा दौरे के उपरांत शुक्रवार को पटना में पत्रकारों को संबोधित करते हुए संपाला ने कहा कि आंकड़े स्पष्ट बताते हैं कि सेवा सुरक्षण में वर्ष 2017-18 से लेकर वर्ष 2020-21 तक कुल 1852 पद बैक्लॉग की पहचान की गई, जिसमें से बिहार सरकार ने मात्र 160 पद ही भरे। उन्होंने राज्य के अधिकारियों को सभी बैकलॉग पदों की पहचान कर विशेष अभियान चला भरने के आदेश दिए ।
सांपला ने कहा कि अनुसूचित जाति के जितने बच्चे प्राथमिकी में नामांकन कराते हैं उसमें लगभग 80 प्रतिशत का माध्यमिक तक पहुंचते छीजन (ड्रॉप आउट) होना बहुत चिंताजनक है। यह बिहार सरकार का अनुसूचित जाति के बच्चों के शिक्षा के प्रति उदासीन रवैया दर्शाता है। उन्होंने अधिकारियों को इसे ठीक कर रिपोर्ट भेजने को कहा ।
सांपला ने हैरानी जताई कि बिहार में अनुसूचित जाति छात्राओं के लिए मात्र छह छात्रावास हैं। उन्होंने बिहार सरकार को प्रत्येक जिले में अनुसूचित जाति छात्राओं के लिए कम से कम एक छात्रावास संचालित करने का निर्देश दिया। साथ ही सरकार को आदेश दिया कि प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति अनुसूचित जाति के प्रत्येक बच्चे को मिले, इसे सरकार सुनिश्चित करे।
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के भुगतान की स्थिति बिहार में संतोषजनक नहीं है। वर्ष 2019-20 में बिहार के 3,51,730 छात्रों में मात्र 61489 छात्र ही छात्रवृत्ति के लिए पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर पाये एवं मात्र 43626 छात्रों को ही छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। इसी प्रकार वर्ष 2020-21 में 4,50,000 छात्रों में मात्र 77182 छात्रों को ही छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। बिहार सरकार द्वारा बताया गया कि आवेदन की निर्धारित तिथि के बाद पोर्टल बंद हो जाता है, जिसके कारण छात्र आवंटन नहीं कर पाते जबकि भारत सरकार द्वारा छात्रवृत्ति पोर्टल कभी बंद नहीं होता।
विजय संपाला ने कहा कि राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के आंकड़े बताते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा बैंकों के माध्यम से अनुसूचित जाति के लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही योजनाओं का बिहार में सही क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। उन्होंने बिहार सरकार को बैंकों से समन्वय स्थापित कर इन योजनाओं का लाभ अनुसूचित जाति तक पहुंचाने के निर्देश दिए ।
अध्यक्ष ने कहा कि यह चिंता की बात है कि मनरेगा अन्तर्गत लाभान्वित अनुसूचित जाति परिवारों की संख्या लगातार घट रही है। 2017-18 में 21.72 प्रतिशत ही रोजगार लाभान्वित परिवार अनुसूचित जाति के थे, जिनकी संख्या 2020-21 में घटकर मात्र 11.56 प्रतिशत रह गई। साथ ही सरकार को तुरंत प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए। दौरे के आखिर में बिहार के मुख्य सचिव ने आयोग से कहा कि उनके द्वारा बताई गई सभी कमियां दो महीने में पूरी कर दी जाएंगी।