पटना। नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह से राष्ट्रपति को दरकिनार करने के मुद्दे पर बिहार की सियासत गरमा गई है। बिहार भाजपा और जदयू एक-दूसरे पर इन दिनों जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। बिहार विधानमंडल के विस्तारित भवन के उद्घाटन समारोह में राज्यपाल को नहीं बुलाए जाने के भाजपा के बयान पर मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने पलटवार किया।
उन्होंने पार्टी कार्यालय में शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता कहा कि देश के राष्ट्रपति के पद की तुलना राज्यपाल से करना भाजपा के गिरते राजनीतिक स्तर का एक उदाहरण है। नीरज ने कहा कि राज्यपाल को केंद्र सरकार मनोनीत करती है लेकिन देश के राष्ट्रपति का चुनाव होता है। भाजपा नेताओं को यह अंतर समझने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि पुराने संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के अलावा एक सेंट्रल हाॅल भी था, जहां राष्ट्रपति संसद के संयुक्त सत्र को बुलाते थे लेकिन नई संसद भवन में सेन्ट्रल हाॅल निर्माण नहीं किया जाना एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है। भाजपा को इस विषय पर भी स्पष्टीकरण देना चाहिए।
मुख्य प्रवक्ता ने सवाल किया कि संसद भवन के निर्माण कार्य की जिम्मेदारी गुजरात के ही व्यक्ति को क्यों दिया गया? इतना ही नहीं जिस व्यक्ति को नई संसद भवन का काम दिया गया था, उसी व्यक्ति ने हिन्दू आस्था ोके प्रमुख केंद्र काशी विश्वनाथ मंदिर में 300 से अधिक शिवलिंग तोड़कर हिन्दू भावनाओं को आहत करने काम किया लेकिन सनातन धर्म के तथाकथित अलमबरदार इसके खिलाफ एक शब्द बोलना भी उचित नहीं समझे।
उन्होंने नई संसद भवन की डिजाइन पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि संसद भवन का त्रिकोण आकर भारतीय वास्तुकला के अनुरूप नहीं है। वर्तमान के संसद भवन में भारतीय संस्कृति और सभ्यता का विशेष ध्यान रखा गया था लेकिन नए संसद भवन में इन सब बातों को तवज्जो नहीं दी गई है। पुराने संसद भवन के निर्माण कार्य के दौरान भी हर्बर्ट बेकर ने इसी तरह का त्रिकोण डिजाइन को प्रस्तुत किया गया था लेकिन तत्कालीन वायसराय लार्ड हार्डिंग ने इसकी मंजूरी नहीं दी थी। प्रदेश प्रवक्ता अनुप्रिया ने कहा कि राष्ट्रपिता का अपमान देश की समस्त महिलाओं का अपमान है। भाजपा ने एक बार फिर जाहिर कर दिया कि वो महिला विरोधी मानसिकता से ग्रसित है।
इस दौरान प्रदेश प्रवक्ता हेमराज राम और डाॅ. सागरिका चौधरी उपस्थित थे।