आजाद सिपाही संवाददाता
बालूमाथ। बालूमाथ गर्मी बढ़ने के साथ ही प्रखंड क्षेत्र में जल संकट गहराने लगा है। आम लोगों में पेयजल की चिंता बढ़ गयी है। बालूमाथ प्रखंड क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में गाड़े गए अधिकांश चापानल तथा सोलर जलमीनार छोटी-छोटी खराबी के कारण बेकार पड़ गयी है। आलम यह है कि गांवों में लगायी गयी। जलमीनार सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है। इस प्रचंड गर्मी के दिनों में पानी भू-जलस्तर में गिरावट से चापाकल सूखते जा रहे हैं, मोटर भी हांफ रहे हैं।
बालूमाथ के ग्रामीण इलाके के अधिकांश गांवों में चापाकल के सूख जाने से जल संकट गहराने लगा है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, पानी की चिता लोगों को सताने लगती है। ग्रामीण इलाकों में भी डिब्बा बंद जल का कारोबार काफी बढ़ गया है। जबकि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को प्रतिदिन जरूरत के अनुसार पानी खरीदना मुश्किल हो गया है। अकेले बालूमाथ में जितने भी मुखिया फंड के 14वाँ वित्त से जलमीनार लगाये गए थे। वह पिछले एक-एक वर्ष से खराब पड़ी है। ग्रामीण शिकायत कर-करके थक गये। परंतु अधिकारी और जनप्रितिनिधियों और पंचायत सचिव को सिर्फ और सिर्फ एक ही मिशन वह है कमिशन। इन्ही तीन तीकड़ियों की नोच खसोट के कारण जलमीनार और चापानल बेचारे खुद जल बिन मछली की तरह सिर्फ अपने शरीर पर ढांचा लिए खड़े है।
बालूमाथ पंचायत के मुखिया ने 15वें वित्त अपने क्षेत्र के जल मीनार की मरम्मति करवाकर चालू करवा दिया। अन्य पंचायत क्षेत्र में जल संकट को देखते हुए सरकार की योजना थी कि लोगों के घर-घर तक सहजता से पीने का पानी पहुंचे। जिसके लिए सरकार ने हर गाँव टोले मुहल्लों में गाँव के द्वारा चुनी गयी सरकार ग्रामीणों के सुविधा के लिए सोलर जलमीनार तथा चापानल नल योजना आरंभ की। लेकिन, यह योजना आज भी पूरी तरह से क्रियान्वित तो की गयी लेकिन जिस उदेश्य से लगवाया गया वह पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाया है। जल संकट से निपटने के लिए योजना कागज पर जितनी अच्छी दिखती है, हकीकत कुछ और है। अधिकारीयों की लापरवाही तथा घटिया सामग्री लगाए जाने के चलते बालूमाथ प्रखंड क्षेत्र में यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। जिससे सरकार के करोड़ों रुपए गांव वालों की प्यास बुझाने के बिना ही बर्बाद हो रहे हैं।
बालूमाथ में एक मात्र पानी टंकी लगायी गयी। वह भी ठीकेदार और विभाग के कमिशन खोरी के चलते आज भी पानी टंकी पहाड़ की की भांति खड़ी है। बिछाइ गयी पाइप सैकड़ो में स्थानों पर लीकेज है। और कुछ बचा उसे एनएच के ठीकेदार द्वारा नाली खुदाई के दौरान दर्जनो जगह से पाइप उखाड़ दिए जाने से बेकार हो चुकी है। फलस्वरूप ग्रामीणों को उम्मीद जगी थी। उस पर सम्बन्धित विभाग के बाबुओं की कमीशन खोरी तथा ठीकेदारों ने पानी टंकी के किडनी, लिवर, हार्ट ही कमीशन के रूप में खाकर एक हाड़ मांस की तरह एक ढांचा खड़ाकर कर पूरा राशि ही हड़प गये। पाइप बिछी है तो कहीं टंकी लगी है। कहीं भी लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा है। हर जगह जल संकट की स्थिति उत्पन्न होने लगी है। कुल मिलाकर खराब क्रियान्वयन के चलते योजना ठप होती जा रही है।