– आरोपित जयेश पुजारी उर्फ शाकिर का कबूलनामा
– पूरे मामले को परत दर परत खंगाल रही एनआईए
नागपुर। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से निकटता के चलते प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के निशाने पर आ गए। गडकरी को मिली धमकी के मामले में नागपुर पुलिस के समक्ष गैंगस्टर जयेश पुजारी उर्फ शाकिर ने खुद यह बात कबूली है।
केंद्रीय मंत्री गडकरी के नागपुर स्थित कार्यालय में इस साल जनवरी एवं मार्च में दो बार धमकी भरे फोन आए। फोन करने वाले ने गडकरी के कार्यालय में फोन कर फिरौती मांगी और उनको जान से मारने की धमकी दी। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने जब इस मामले को खंगाला तो इसके तार कर्नाटक के बेलगाव जेल में बंद गैंगस्टर जयेश पुजारी उर्फ शाकिर से जुड़े पाए गए। नागपुर पुलिस ने शाकिर को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की तो बेहद चौंकाने वाली बात सामने आई। शाकिर ने पुलिस को बताया कि उसका नाम भले ही जयेश पुजारी है, लेकिन उसने धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल किया है। अब उसका नाम शाकिर है। शाकिर पीएफआई के संपर्क में था। शाकिर 2014 से कर्नाटक की अलग-अलग जेलों में बंद रहा है। इस दौरान पीएफआई के लोगों ने उसका ब्रेनवॉश किया। नतीजतन शाकिर बदनाम गैंगस्टर से खतरनाक जिहादी बन गया। लगातार ब्रेनवॉश के चलते शाकिर संघ समेत अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों से नफरत करने लगा।
पीएफआई पर प्रतिबंध लगने के बाद शाकिर को लगने लगा कि यदि पीएफआई प्रतिबंधित हो सकती है तो संघ पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए। वहीं केंद्रीय मंत्री गडकरी के संघ के बेहद करीबी होने की वजह से शाकिर उनसे बेहद नफरत करने लगा। इसी के चलते उसने बेलगाव कारागार से गडकरी के कार्यालय को फोन कर धमकाया था। शाकिर ने जेल में रहते हुए बम बनाने का प्रशिक्षण लिया। कर्नाटक की जेल में उसे 24 घंटे मोबाइल और इंटरनेट सुविधा उपलब्ध थी। शाकिर को जेल में सारी सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए अज्ञात लोगों ने एक वर्ष में 18 लाख रुपये खर्च किए। जयेश पुजारी जब बेंगलुरु जेल में था तब 2014 में वह पीएफआई के नेशनल एग्जिक्यूटिव कौंसिल सचिव मुहम्मद अफसर पाशा के संपर्क में आया। मुहम्मद पाशा के इशारे पर जयेश उर्फ शाकिर ने गडकरी को धमकाया था। खास बात यह है कि मुहम्मद पाशा 2003 में बांग्लादेश के ढाका में हुए विस्फोट में संलिप्त था। पाशा प्रतिबंधित एलटीटीई के भी संपर्क में था। शाकिर 2014 से 2018 के दौरान पीएफआई के टी. नासिर उर्फ कैप्टन और फारूख के संपर्क में था। इन्हीं दोनों ने जयेश को बम बनाने की ट्रेनिंग दी थी।
बतौर शाकिर मुहम्मद पाशा के मोबाइल में एक खास तरह का सॉफ्टवेयर था। इसके चलते यह लोग जब भी जेल से किसी को फोन लगाते थे उनकी काल ट्रेस नहीं होती थी। इसकी वजह से जयेश ने जेल से पाकिस्तान, सूडान, नाइजीरिया और पोलैंड में फोन करने के बावजूद उसकी काल ट्रेस नहीं होती थी। शाकिर ने विदेशों में किसे और क्यों फोन किए, इसकी जानकारी अब तक सामने नहीं आ सकी है। अब एनआईए इस मामले की जांच कर रही है। नतीजतन आने वाले दिनों में कुछ और चौंकाने वाली बातें सामने आने की उम्मीद है।