बेगूसराय। भोपाल से आई मनोवैज्ञानिक स्मिता कुमारी ने रविवार को बाल रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी बीहट के कलाकारों के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा किया। उन्होंने बाल कलाकारों के मन में उपजे समस्याओं का भी निराकरण किया।
उन्होंने कहा कि आज कल बच्चों में भी अलग तरह का मानसिक तनाव देखने को मिल रहा है। इसलिए बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना जरूरी हो गया है। खासकर उन बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर, जो समाज में अलग तरह का रचनात्मक कार्य करते हैं, जैसे रंगमंच से जुड़कर रचनात्मक कार्य करने वाले बच्चे।
बातचीत की शुरुआत बच्चों से अलग तरह के परिचय के साथ किया गया। इस दौरान सभी बच्चों ने अपना परिचय जानवर और चिड़िया के गुण से दिया। मनोवैज्ञानिक स्मिता ने बताया कि हर जानवर या पंछियों में कुछ खास गुण होते हैं, हम जो गुण अपने अंदर चाहते हैं, उनका लिस्ट इस प्रकार से तैयार कर उसे अपने व्यवहार में ला सकते हैं।
जिससे एक बेहतर और समृद्ध व्यक्तित्व का निर्माण हो सकता है। किसी को कोयल पसंद है, क्योंकि उसकी आवाज सबको प्रभावित करती है। इंसान को अपनी आवाज में सौम्यता और मिठास लानी चाहिए। बगुले अपनी एकाग्रता से प्रभावित करता है, आप भी उसके गुण को अपनी मंजिल पाने के लिए अपना सकते हैं।
बाल रंगमंच के निर्देशक रंगकर्मी और बीहट नगर परिषद के उप सभापति ऋषिकेश कुमार ने कहा कि स्मिता ने बच्चों से बातचीत करते हुए कहा है कि जीवन में तनाव किसी भी उम्र में हो सकता है। ज्यादा तनाव जीवन के लिए बेहतर नहीं है। तनाव ज्यादा लगे तो अपने से बड़ों से तुरंत बातचीत करनी चाहिए।
बड़ों को विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वह बच्चों पर किसी बात को थोपने की बजाय, उनके साथ समय बिताएं। समय निकाल कर उनकी बातों को सुनें, जरूरत पड़ने पर बेझिझक विशेषज्ञों से चर्चा करें। बच्चों को जब लगे कि सब कुछ खत्म हो गया है, वैसे समय में तुरंत अपने जिम्मेदार लोगों से बताएं। समस्या का समाधान ढूंढें, खुद को कसूरवार नहीं मानें।
सफलता-असफलता आपके मार्क्स से नहीं आंका जाएगा। जीवन में अपने काम से पहचाने जाएंगे, ना कि मार्कशीट के अंक से। अंत में बच्चों के द्वारा किए गए कैरियर और तनाव से जुड़े कुछ सवाल पर चर्चा किया गया! इस अवसर पर बाल रंगमंच के कलाकार पूर्णिमा, ऋषि, खुशी, रानी, दिव्या, दुर्गेश नंदिनी, राधा, मुस्कान, प्रियांशु, शिवम, आयुष, ऋषभ, सौरभ एवं धर्मवीर आदि कलाकार उपस्थित थे।