ग्रामीण विकास विभाग में हुए टेंडर कमीशन घोटाले में चीफ इंजीनियर से लेकर मंत्री आलमगीर आलम तक का 1.23 करोड़ रुपए का कमीशन फिक्स था। टेंडर से मिले कमीशन के रुपए बांटने के लिए सिंडिकेट के लोग कोडवर्ड का इस्तेमाल करते थे।
मंत्री आलमगीर के लिए एच यानी आॅनरेबल मीनिस्टर, संजीव लाल के लिए एस, टेंडर कमेटी के लिए टीसी और चीफ इंजीनियर के लिए सीई जैसे कोड इजाद किए गए थे।
इस बात का खुलासा ईडी की ओर से कोर्ट में दिए गए ब्योरा से हुआ है। टेंडर कमीशन घोटाला मामले में गिरफ्तार संजीव लाल और उसके सहायक जहांगीर की 14 दिनों की रिमांड पूरी होने के बाद दोनों को कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। इसी दौरान कोर्ट में ईडी ने एक्सेल शीट में कमीशन का पूरा ब्योरा पेश किया है।
जनवरी में 25 टेंडर, मंत्री को मिले 1.23 करोड़
जांच एजेंसी ने कोर्ट को कुछ सबूत भी सौंपे हैं। इसमें बताया गया है कि जनवरी में कुल 92 करोड़ के 25 टेंडर हुए थे। इसमें आलमगीर को कमीशन के रूप में 1.23 करोड़ रुपए दिए गए थे।
बता दें कि जहांगीर के फ्लैट से 32.20 करोड़ कैश बरामद होने के बाद जांच एजेंसी ने मंत्री से पूछताछ की थी। फिर 15 मई को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। रिमांड पर लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। आज उनकी रिमांड अवधि पूरी हो जाएगी।
कोर्ट में दिए गए सबूत में इस बात का जिक्र है कि जांच एजेंसी को कुछ हस्तलिखित पर्ची भी मिली है। इसमें लिखा है कि ग्रामीण कार्य विभाग, स्पेशल डिवीजन ओर जेएसआरडी से कितने रुपए लेने हैं। यह हिसाब सितंबर 2023 से नवंबर 2023 के बीच का है।
घोटाले में पूरा विभाग शामिल, उमेश को भी मिले 1.75 करोड़ रु.
ईडी ने कोर्ट में दावा किया कि इस घोटाले में पूरा ग्रामीण विकास विभाग शामिल है। यह संथाल परगना में हुए 1250 करोड़ रुपए के खनन घोटाले से भी बड़ा हो सकता है। क्योंकि विभाग का पिछले चार साल का कुल बजट 40 हजार करोड़ से भी ज्यादा का था।
अगर इनमें सैलरी मद की राशि हटा दी जाए तो सिर्फ टेंडर मद में 28 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि शामिल है। सभी टेंडर में कमीशन की राशि ली गई है। ईडी को मिले दस्तावेज के अनुसार चीफ इंजीनियर से लेकर डिप्टी सेक्रेटरी और अंडर सेक्रेटरी तक को कमीशन की राशि जाती थी।
यह भी जानकारी मिली है कि किसी उमेश नाम के व्यक्ति को भी 1.75 करोड़ रुपए दिए गए हैं। वहीं आॅफिस के लिए 3.46 करोड़ रुपए थे।