Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, June 8
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»देश»चारधाम यात्रा : बद्रीनाथ धाम में छह महीने से जल रही अखंड ज्योति के हुए दर्शन, मोदी के नाम हुई पहली पूजा
    देश

    चारधाम यात्रा : बद्रीनाथ धाम में छह महीने से जल रही अखंड ज्योति के हुए दर्शन, मोदी के नाम हुई पहली पूजा

    adminBy adminMay 12, 2024No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    – पहले दिन पहुंचे 20 हजार से ज्यादा तीर्थयात्री, अब तक सात लाख से अधिक लोग करा चुके हैं पंजीकरण

    देहरादून। वैदिक मंत्रोच्चारण और श्रीबद्री विशाल लाल की जयकारों के साथ रविवार को ब्रह्ममुहूर्त में बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलते ही पहले दर्शन अखंड ज्योति के हुए। यह छह माह से जल रही है। इसके बाद बद्रीनाथ पर चढ़ा हुआ घी से बना कंबल हटाया गया। जो छह महीने पहले कपाट बंद होने के समय भगवान को ओढ़ाया जाता है। इस कंबल को प्रसाद रूप में बांटा जाएगा। मंदिर के कपाट पिछले साल 14 नवंबर को बंद हुए थे यानी 179 दिन बाद बद्रीनाथ के कपाट खोले गए। बद्रीनाथ धाम में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम हुई। इससे पहले केदारनाथ धाम में भी कपाट खुलने पर पहली पूजा मोदी के नाम हुई थी। दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी का देवभूमि उत्तराखंड से खास लगाव है। इस तरह चारधाम यात्रा की विधिवत शुरुआत हो गई है।

    बाबा बद्रीनाथ ने सुबह दो घंटे दिए बिना श्रृंगार वाले निर्वाण दर्शन-

    चारधाम तीर्थ पुरोहित पंचायत के महासचिव डॉ. ब्रजेश सती ने बताया कि सुबह छह से आठ बजे तक भगवान के बिना श्रृंगार के दर्शन किए गए, जिसे निर्वाण दर्शन कहते हैं। इसके बाद आठ बजे पहला जलाभिषेक हुआ और पहली पूजा प्रधानमंत्री के नाम से की गई। नौ बजे बालभोग लगाया गया। दोपहर 12 बजे पूर्ण भोजन का भोग लगाया गया। यही भोग ब्रह्मकपाल भेजा जाएगा। भोग पहुंचने के बाद ही वहां पहला पिंडदान होगा।

    फूलों की खुशबू से गमक उठा बद्रीनाथ धाम-

    बद्रीनाथ धाम की फूलों से दिव्य सजावट की गई है, जो अलौकिक छटा बिखेर रही है। फूलों की खुशबू से लोग मंत्रमुग्ध हो रहे हैं। पहले दिन दर्शन के लिए लगभग 20 हजार से ज्यादा लोग पहुंचे। 11 मई की रात से ही हल्की बारिश होने लगी थी। इससे पहले मौसम विभाग ने 11 से 13 मई तक बारिश और बर्फबारी का अलर्ट जारी किया था। बद्रीनाथ धाम दर्शन के लिए 11 मई की शाम तक कुल सात लाख 37 हजार 885 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिए हैं।

    तीन चाबियों से खुला कपाट का ताला-

    बद्रीनाथ धाम में मंदिर कपाट का ताला तीन चाभियों से खुला। इनमें एक टिहरी राजदरबार, दूसरी चाबी बद्री-केदार मंदिर समिति के पास और तीसरी चाबी बद्रीनाथ धाम के रावल और पुजारियों के पास होती है, जिन्हें हक-हकूकधारी कहा जाता है।

    बद्रीनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व और इतिहास-

    उत्तराखंड के चमोली जिले में है। ये मंदिर समुद्र स्तर से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर बना है। हर साल करीब 10 लाख श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंचते हैं। मंदिर में भगवान विष्णु की बद्रीनारायण स्वरूप की एक मीटर की मूर्ति स्थापित है। इसे श्रीहरि की स्वयं प्रकट हुई आठ प्रतिमाओं में से एक माना जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ध्यान करने के लिए एक शांत और प्रदूषण मुक्त जगह की तलाश में यहां पहुंचे थे। इतिहास के मुताबिक बद्रीनाथ धाम को आदि शंकराचार्य ने 9वीं शताब्दी में स्थापित किया था। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने ही अलकनंदा नदी से बद्रीनाथ की मूर्ति निकाली थी। इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में भी मिलता है। मंदिर के वैदिक काल (1750-500 ईसा पूर्व) में भी मौजूद होने के बारे में पुराणों में बताया गया है। भगवान बद्रीनाथ का तिल के तेल से अभिषेक होता है। इसके लिए तेल टिहरी राज परिवार से आता है। बद्रीनाथ टिहरी राज परिवार के आराध्य देव हैं। मंदिर की एक चाभी राज परिवार के पास भी होती है। बद्रीनाथ के पुजारी शंकराचार्य के वंशज होते हैं, वे रावल कहलाते हैं। केरल स्थित राघवपुरम गांव में नंबूदरी संप्रदाय के लोग रहते हैं। इसी गांव से रावल नियुक्त किए जाते हैं। इसके लिए इंटरव्यू होता है यानी शास्त्रार्थ किया जाता है। रावल आजीवन ब्रह्मचारी रहते हैं।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleइतिहास के पन्नों में 13 मईः जब थार के रेगिस्तान में धमाके से भौंचक्की रह गई दुनिया
    Next Article बंगाल में फिर चढ़ने लगा पारा, बारिश के भी आसार
    admin

      Related Posts

      विकसित खेती और समृद्ध किसान ही हमारा संकल्प : शिवराज सिंह

      June 7, 2025

      ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात

      June 7, 2025

      प्रधानमंत्री ने चिनाब रेलवे पुल का किया उद्घाटन, वंदेभारत ट्रेन को दिखाई हरी झंडी

      June 6, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • झारखंड में आदिवासी लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बाबूलाल ने उठाए सवाल
      • पूर्व मुख्यमंत्री ने दुमका में राज्य सरकार पर साधा निशाना, झारखंड को नागालैंड-मिजोरम बनने में देर नहीं : रघुवर दास
      • गुरुजी से गुरूर, हेमंत से हिम्मत, बसंत से बहार- झामुमो के पोस्टर में दिखी नयी ऊर्जा
      • अब गरीब कैदियों को केंद्रीय कोष से जमानत या रिहाई पाने में मिलेगी मदद
      • विकसित खेती और समृद्ध किसान ही हमारा संकल्प : शिवराज सिंह
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version