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    Home»दुनिया»विदेश»बाल न्याय की अवधारणा को बदलने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरीः सीजेआई
    विदेश

    बाल न्याय की अवधारणा को बदलने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरीः सीजेआई

    adminBy adminMay 4, 2024No Comments3 Mins Read
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    काठमांडू। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चन्द्रचूड़ ने बाल अपराधियों को सजा देने की बजाय सुधार और पुनर्स्थापना पर जोर दिया है। यहां शनिवार को जुवेनाइल जस्टिस पर आयोजित एक सेमिनार में सीजेआई ने जुवेनाइल मामले में न्याय प्रक्रिया में देरी होने पर चिंता जाहिर की।

    नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए सीजेआई चन्द्रचूड़ ने कहा कि चार महीने में ही अवयस्क आरोपित के मामले की सुनवाई और सजा का प्रावधान होने के बावजूद व्यवहार में यह संभव नहीं हो पाता है। चीफ जस्टिस ने माना कि बाल आरोपितों के मामले में जितना अधिक समय लगता है, वह उनके मानसिक और सामाजिक स्थिति के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि बाल न्याय की अवधारणा को बदलने की आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान न्याय प्रणाली किसी भी दृष्टि से जुवेनाइल जस्टिस के अनुकूल नहीं है।

    चीफ जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा कि 18 साल से कम उम्र के बाल आरोपितों को थाने से लेकर बाल सुधार केन्द्र तक में जिस तरह से उन्हें रखा जाता है या जिस माहौल में रखा जाता है, उससे उनकी मानसिकता पर प्रतिकूल असर होता है। उन्होंने कहा कि बाल आरोपितों को शुरू से ही अलग तरह से केस को हैंडल करने और जुवेनाइल कोर्ट तक में होने वाली सुनवाई की प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। नेपाल में जुवेनाइल जस्टिस पर किए गए कुछ फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि इन फैसलों से हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत में एक ही तरह के सामाजिक संरचना है, इसलिए जुवेनाइल जस्टिस मामले में हम एक दूसरे के अनुभव को साझा कर उसका प्रयोग कर सकते हैं।

    बाल अपराध में इन दिनों साइबर और इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्रियों का बहुत ही गहरा असर पड़ने की बात कहते हुए चीफ जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा कि इसके कारण बाल आरोपितों और अपराधियों के मनोवैज्ञानिक संरक्षण की बहुत ही आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आपत्तिजनक सामग्रियों को इंटरनेट से हटाने के लिए कानूनी तौर पर गम्भीर कदम उठाने की आवश्यकता है। जस्डिस चन्द्रचूड़ ने कहा कि यह सिर्फ न्यायपालिका और सरकार का काम नहीं है बल्कि समाज को भी इसमें सहभागी होना होगा, तब जाकर बच्चों पर पड़ रहे इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।

    कार्यक्रम में सहभागी होने से पहले चीफ जस्टिस चन्द्रचूड़ ने आज सुबह अपनी पत्नी के साथ पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन कर विधिवत पूजा अर्चना में सहभागी हुए। पशुपतिनाथ मंदिर में सुबह होने वाली विशेष पूजा में सहभागी होने के बाद बाहर निकलते पर जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि आज भगवान पशुपतिनाथ का दर्शन हुआ। उन्होंने कहा कि वो पशुपतिनाथ मंदिर में आकर नतमस्तक हैं। यहां विशेष पूजा कराने के लिए उन्होंने पशुपति क्षेत्र विकास कोष के प्रति आभार व्यक्त किया।

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