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इडी की कार्रवाई के बाद झारखंड के सत्तारूढ़ गठबंधन असहज महसूस कर रहा
नोटों की बरामदगी के बाद गिरा पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं का मनोबल
लोकसभा चुनाव की गहमा-गहमी के बीच प्रवर्तन निदेशालय द्वारा झारखंड की राजधानी रांची में हुई कार्रवाई का राजनीतिक असर पड़ना स्वाभाविक था और ऐसा हो भी रहा है। कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम के करीबी के यहां से बरामद 35 करोड़ रुपये से अधिक की नगदी के कारण अब पूरी पार्टी की फजीहत हो रही है। एक तरफ भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियां उस पर हमलावर हैं, तो दूसरी तरफ झारखंड के सत्ताधारी गठबंधन के दूसरे घटक दल, झामुमो और राजद भी असहज महसूस करने लगे हैं। यहां तक कि झारखंड कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता भी इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। दरअसल उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा है कि वे क्या बोलें। कांग्रेस के कई पुराने और समर्पित नेताओं-कार्यकर्ताओं ने इस कैश कांड में मंत्री आलमगीर आलम को तत्काल बर्खास्त करने की वकालत की है, ताकि चुनाव से पहले पार्टी की प्रतिष्ठा को थोड़ा बहुत बचाया जा सके। वैसे भी पिछले करीब साढ़े चार साल में, जब से कांग्रेस झारखंड की सत्ता में लगभग बराबर की साझीदार बनी है, कई बार इसी तरह के मामलों में उसकी किरकिरी हो चुकी है, लेकिन यह समय विशेष है, क्योंकि अभी चुनाव का माहौल है और कांग्रेस राज्य की 14 में से सात सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के लिए यह कैश कांड राजनीतिक रूप से बहुत नुकसानदेह साबित हो रहा है और उसके लिए इस भंवर से निकलना आसान नहीं होगा। क्या है इस कैश कांड का साइड इफेक्ट और कब-कब विवादों में घिरी है झारखंड कांग्रेस, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के नजदीकियों के आवास से 35 करोड़ रुपये नगदी की बरामदगी ने कांग्रेस के साथ राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के दूसरे घटक दलों, झामुमो और राजद को बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुई इडी की कार्रवाई ने राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है और इस तूफान में कांग्रेस की नाव पूरी तरह डगमगाती नजर आ रही है। स्थिति यह है कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी कह रहे हैं कि उन्हें अब चुनाव प्रचार करने में भी शर्म आ रही है।
झारखंड कांग्रेस के लिए इडी की कार्रवाई और कैश कांड राजनीतिक रूप से बेहद नुकसानदेह है, क्योंकि आलमगीर आलम न केवल कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं, बल्कि चंपाई सोरेन सरकार में नंबर दो की पोजिशन पर हैं। वह हेमंत सोरेन सरकार में भी इसी स्थिति में थे। यह भी संयोग है कि राहुल गांधी की न्याय यात्रा के झारखंड में प्रवेश करने के पहले इडी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था और अब राहुल की पहली चुनावी सभा से पहले पार्टी की इतनी बड़ी फजीहत हो रही है। वैसे तो आलमगीर आलम बरामद की गयी रकम के संदर्भ में ज्यादा बोलने से बचते हुए पल्ला झाड़ रहे हैं, लेकिन इस प्रकरण की आंच उन तक आयेगी, क्योंकि संजीव लाल उन्हीं के पीएस हैं और जहांगीर को भी उन्होंने रखवाया था। इसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ेगा। इडी की कार्रवाई से कांग्रेस पूरी तरह बैकफुट पर है। हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब अपने नेताओं की वजह से पार्टी को असहज होना पड़ रहा है। इडी की कार्रवाई के बाद कांग्रेस नेता और प्रवक्ता डिफेंसिव मोड में हैं।
धीरज साहू प्रकरण की याद ताजा हो गयी
मंत्री आलमगीर आलम के करीबियों के ठिकाने से सोमवार को मिला नोटों का पहाड़ पूर्व राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू की याद दिला गया। साहू के ठिकाने से 350 करोड़ रुपये से अधिक बरामद हुए थे। पिछले दिनों झारखंड की चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनका उल्लेख करते हुए कहा था कि ये पैसे लोगों की गाढ़ी कमाई के थे। धीरज प्रसाद साहू फिलहाल राजनीतिक गतिविधियों से दूर हैं।
कई बार विवादों में घिर चुके हैं कांग्रेसी नेता
जुलाई 2022 में कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप को 50 लाख नगद के साथ हावड़ा में गिरफ्तार किया गया। इस मामले को राज्य में सरकार गिराने से जुड़ा बता कर कांग्रेस की ओर से ही अरगोड़ा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। तब भी अपनी पार्टी की छवि बचाने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा पर आरोप लगाया था। इसके बाद बन्ना गुप्ता विवादों में आये। विवाद कोरोना काल में अपने खास लोगों को विभाग से पैसे दिलाने के कारण हुआ था। मामला थाने तक पहुंचा। अप्रैल 2023 में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का एक वीडियो वायरल हुआ था। 21 सेकंड के इस वायरल वीडियो को लेकर राज्य में जहां राजनीतिक बयानबाजी का दौर चला, वहीं बन्ना गुप्ता ने इसे विरोधी दलों की साजिश बताते हुए वीडियो की वैधता पर सवाल खड़े किये। इस मामले में जमशेदपुर में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी, जो अभी लंबित हैं। लेकिन इस घटना की वजह से भी राज्य में कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचा। इसके अलावा हजारीबाग में खासमहाल की 50 डिसमिल जमीन पर अवैध तरीके से बाउंड्री करने के मामले में कांग्रेसी विधायक अंबा प्रसाद और उनके पिता पूर्व मंत्री योगेंद्र प्रसाद का नाम सुर्खियों में रहा। इस प्रकरण की वजह से भी झारखंड कांग्रेस अपने ही नेताओं की वजह से बैकफुट पर नजर आती दिखी। इसके बाद राज्य के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव के यहां से 30 लाख की नकदी मिलने की खबर ने भी झारखंड कांग्रेस की न सिर्फ फजीहत करायी, बल्कि जनता में पार्टी को लेकर परसेप्शन खराब हुआ। शराब घोटाला मामले में इडी ने 30 जगहों पर छापामारी की थी, जिसमें सबसे ज्यादा सुर्खियां वित्त मंत्री के आवास से मिली रकम की खबर थी। पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू के यहां से 350 करोड़ रुपये नगद और बड़ी मात्रा में सोना-चांदी बरामद की गयी थी। इस कारण भी पार्टी की खूब किरकिरी हुई थी। इनके अलावा जेवीएम से कांग्रेस में आये प्रदीप यादव, जो गोड्डा से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं, वह भी विवादों में घिरे हैं।
कांग्रेसियों की कारगुजारी से दुविधा में झामुमो
कांग्रेसियों की इन कारगुजारियों के कारण उसकी सहयोगी झामुमो भी दुविधा में है। सहयोगी दल होने के नाते झामुमो नेता यह तो कहते हैं कि भाजपा के इशारे पर कार्रवाई हो रही है, लेकिन साथ ही साथ यह भी बोलते हैं कि कांग्रेसी थोड़ी भी गलती करें, तो उसे भाजपा वाले बढ़ा-चढ़ा कर मुद्दा बना देते हैं। झामुमो के विधायकों और मंत्रियों का नाम ऐसे मामलों में नहीं आता, क्योंकि वे सभी अनुभवी होने के साथ-साथ धरातल पर राजनीति करते हैं।
इंडी गठबंधन की संभावनाओं पर असर
इस घटनाक्रम का राजनीतिक असर राज्य में लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन के नतीजों पर पड़ना तय है। राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से सात पर कांग्रेस, पांच पर झामुमो और एक-एक सीट पर राजद और भाकपा-माले चुनाव लड़ रही है। इडी की कार्रवाई के बाद अब कहा जा रहा है कि गठबंधन के प्रत्याशी कहीं न कहीं असहज महसूस करने लगे हैं। उनके मनोबल पर असर पड़ा है।
भाजपा ने स्वाभाविक तौर पर इस घटनाक्रम पर कांग्रेस और झामुमो पर हमला बोल दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां ओड़िशा में अपनी सभा में इस पर टिप्पणी कर रहे हैं, वहीं प्रदेश में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, केंद्र में मंत्री और खूंटी से प्रत्याशी अर्जन मुंडा, आजसू के सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो, प्रतिपक्ष के नेता अमर कुमार बाउरी, दीपक प्रकाश समेत अगली कतार के नेता लगातार हमलावर हैं। मंगलवार में पार्टी के तमाम नेताओं ने अपनी सभाओं में जनता के समक्ष यह मुद्दा उठाया। अर्जुन मुंडा ने बुंडू और बारिहातू की सभा में लोगों से यह सवाल किया कि क्या इसीलिए राज्य की जनता ने कांग्रेस और झामुमो को झारखंड की कमान सौंपी थी कि वे जनता की गाढ़ी कमाई से अपनी तिजोरी भरें। भाजपा ने पहले से ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गठबंधन की तगड़ी घेराबंदी कर रखी है। भ्रष्टाचार के आरोप में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेल में हैं। ताजा प्रकरण के बाद भाजपा और अधिक हमलावर हो गयी है। भाजपा नेताओं ने कहा कि झारखंड सरकार के मंत्री के पीएस के घर से 25-30 करोड़ रुपया मिल रहा है, तो सोचा जा सकता है कि मंत्री के पास कितना धन होगा? क्या ऐसे लोग राष्ट्र निर्माण के बारे में सोच सकते हैं? ये जनता की गाढ़ी कमाई की लूट है।