आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। आइएएस मनीष रंजन को इडी ने दोबारा समन भेज कर 28 मई को उपस्थित होने को कहा है। मनीष रंजन वर्तमान में राजस्व और भवन निर्माण विभाग के सचिव हैं। पहले वह ग्रामीण विकास विभाग के सचिव थे। इडी ने टेंडर घोटाले में पूछताछ के लिए उन्हें शुक्रवार 24 मई को बुलाया था। वह इडी के सामने पेश नहीं हुए। मनीष के एक कर्मी इडी कार्यालय पहुंचा था और पत्र सौंपा था। इसमें मनीष रंजन ने उपस्थित होने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा था। इडी ने उन्हें मोहलत नहीं देते हुए फिर से 28 मई को पेश होने का समन भेजा दिया है।
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का हवाला देकर मांगा था समय:
विशेष दूत के माध्यम से भेजे गये पत्र में मनीष रंजन ने कहा था कि राज्य में चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी दौरे हो रहे हैं। प्रस्तावित चुनावी दौरों में सुरक्षा व्यवस्था और प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी उनकी है। ऐसे में उन्हें तीन हफ्ते का वक्त चाहिए। आगे उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री के धनबाद दौरे में सुरक्षा संबंधी गलतियां हुई थीं, इस मामले में भी वह रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इडी ने मनीष से उनके और उनके आश्रितों के बैंक खातों, चल-अचल संपत्तियों का विवरण भी मांगा था। यह जानकारी जुटाने के लिए भी मनीष ने वक्त की मांग की थी।
कमीशनखोरी मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं मंत्री आलमगीर आलम
बता दें कि ग्रामीण विकास विभाग की टेंडर कमीशनखोरी मामले में इडी अब तक विभाग के मंत्री आलमगीर आलम, संजीव लाल, जहांगीर आलम, मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम, सीए मुकेश मित्तल सहित अन्य लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इडी ने लगातार दो दिनों तक पूछताछ करने के बाद आलमगीर आलम को गिरफ्तार कर लिया था। अभी वह इडी की ही हिरासत में हैं। इडी उनसे पूछताछ कर रही है। ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े कई लोगों की गिरफ्तारी के बाद इडी के हाथ कई सबूत लगे हैं, जिससे लगातार नये-नये खुलासे हो रहे हैं। खुलासा हुआ है कि एक एक्सेल शीट में कमीशनखोरी का हिसाब रखा जाता था, जिसमें मनीष रंजन का नाम भी था। उसी के आधार पर मनीष रंजन को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
इडी का दावा-मंत्री से अधिकारी तक लेते थे टेंडर में कमीशन
इडी ने कोर्ट में खुलासा किया था कि ग्रामीण विकास विभाग के टेंडर में अधिकारी से लेकर मंत्री तक कमीशन लेते थे। ज्ञात हो कि आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल और उसके निजी सहायक जहांगीर आलम के घर पर छापेमारी में इडी को 34 करोड़ मिले थे, जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद मंत्री आलमगीर आलम से पूछताछ हुई और इडी ने उनको भी गिरफ्तार कर लिया।