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    Home»विशेष»गिरिडीह में पीएम के जाने के बाद भीड़ को चीर कर निकलना आसान नहीं था
    विशेष

    गिरिडीह में पीएम के जाने के बाद भीड़ को चीर कर निकलना आसान नहीं था

    adminBy adminMay 15, 2024Updated:May 15, 2024No Comments9 Mins Read
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    विशेष
    गिरिडीह में पीएम मोदी… और बहने लगा जन सैलाब
    सभा में जयघोष इतना कि कान भी बहरे हो जायें
    गांवों से लोगों का रेला खेत-खलिहान लांघ पहुंचा सभास्थल
    पीएम के जाने के बाद भीड़ को चीर कर निकलना आसान नहीं था
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की झारखंड की तीसरी चुनावी यात्रा का पड़ाव मंगलवार को गिरिडीह के बिरनी में हुआ। यहां के पेसम में उन्होंने प्रदेश में पांचवीं जनसभा को संबोधित किया। इस जनसभा को कवर करने आजाद सिपाही की टीम भी वहां गयी थी। इस जनसभा ने एक बात साफ कर दी कि आज की तारीख में नरेंद्र मोदी का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। मोदी को देखने के लिए क्या बच्चे और क्या बूढ़े, जवान, सभी में एक जैसी उत्सुकता थी, दीवानगी थी। सभा में भीड़ इतनी थी कि इसका न अंत दिख रहा था और न शुरूआत। कई बुजुर्गों ने कहा कि उनकी याद में इतनी भीड़ किसी नेता की सभा में आज तक नहीं हुई थी। पीएम मोदी ने इस जनसभा के माध्यम से न केवल झारखंड के जनमानस पर एक करिश्मा कर दिया, बल्कि इस चुनाव में एनडीए प्रत्याशियों की जीत की राह को आसान भी बना दिया। गिरिडीह के बिरनी में हुई पीएम मोदी की सभा को कवर करने गयी टीम ने रांची से सभास्थल तक के रास्ते में जो कुछ देखा, सुना और महसूस किया, उससे तो यही बात साफ होती है कि पीएम मोदी के प्रति लोगों की दीवानगी की कोई सीमा नहीं है। इतनी लोकप्रियता हासिल करने के लिए बहुत मेहनत करनी होती है और हर किसी के लिए ऐसा करना संभव नहीं है। पीएम मोदी की इस जनसभा को कवर करने के दौरान एकत्र अनुभव और राजनीतिक संदेश को आसान भाषा में समझा रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    मंगलवार 14 मई को सुबह करीब पौने नौ बजे आजाद सिपाही की टीम रांची से गिरिडीह के लिए निकली, जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा होनी थी। रांची के भाजपा कार्यालय के पीछे गाड़ियों का काफिला लगा था। अलग-अलग संस्थानों के पत्रकार गाड़ियों में बैठे और निकल पड़े सभा को कवर करने। तय हुआ कि नाश्ता टाटीझरिया में किया जायेगा। टाटीझरिया में प्रधान और पंडित जी गुलाब जामुन वाले बहुत फेमस हैं। वहां पत्रकारों ने नाश्ता किया। हमने वहां के प्रसिद्ध गुलाब जामुन भी खाये। सच में बहुत लजीज थे। जो कोई भी इस रास्ते से गुजरे और जिसे शुगर न हो, उसे प्रधान होटल के गुलाब जामुन जरूर ट्राई करने चाहिए। उसके बाद आजाद सिपाही की टीम सभास्थल की ओर निकल पड़ी। जैसे ही हम बगोदर पहुंचे, हरिहरधाम मंदिर का दर्शन भी हो गया। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां पर जो शिवलिंग स्थापित है, वह करीब 65 फीट ऊंचा है। मंदिर को निहारने के बाद हम लोग आगे बढ़े।

    बगोदर इलाके में माले का झंडा भी दिखा
    बगोदर से आगे बढ़ने के क्रम में भाजपा कार्यकर्ताओं की गाड़ियां दिखनी शुरू हुईं। रास्ते में 10-15 महिलाएं भाकपा माले का झंडा ढोती दिखीं। जब हम सरिया पहुंचे, तो भाजपा कार्यकर्ताओं की गाड़ियों का काफिला दिखना शुरू हुआ। अब संख्या बढ़ रही थी। यहां डीजे में धारा 370 हटने का गाना बज रहा था। प्रचार गाड़ी में कहा जा रहा था, एक तरफ अकेला मोदी और दूसरी तरफ पूरा भ्रष्टाचारी विपक्ष। सरिया में भारी जाम भी लगा था। जब हम भलुआ और दोनिया गांव पहुंचे, तब भाकपा माले का झंडा कई घरों पर टंगा दिखा। वैसे भी बागोदर विधानसभा से विधायक विनोद सिंह हैं, जो भाकपा माले से हैं और कोडरमा लोकसभा से प्रत्याशी भी हैं।

    सभास्थल से पांच किलोमीटर पहले से ही था लोगों का हुजूम
    जब हम सभास्थल की ओर बढ़ रहे थे, जो गिरिडीह के बिरनी थाना क्षेत्र के पेसम में होनी थी, तो पांच किलोमीटर पहले से ही मोदी के समर्थकों का महाजुटान दिखने लगा। गांव की सड़कें पूरी तरीके से जाम। लगा कि कोई भी व्यक्ति सभास्थल समय से नहीं पहुंच पायेगा, लेकिन अचानक जाम हटा। अब हम लोग सभास्थल से करीब तीन किलोमीटर दूर थे। यहां का नजारा देखने लायक था। पीएम मोदी को देखने-सुनने की लोगों की ललक यहीं से समझी जा सकती है। तपती धूप, प्रचंड गर्मी और लोगों का रेला। यहां से हजारों-हजार की संख्या में लोग सभास्थल की ओर बढ़ रहे थे। पुल पर लंबा जाम। मोदी-मोदी के नारे। पुल के नीचे से भी ग्रामीणों की लंबी कतार।

    मोदी के लिए अजीब सी दीवानगी दिखी
    चिलचिलाती धूप में मोदी के लिए ऐसी दीवानगी सिर्फ और सिर्फ मोदी की सभाओं में ही देखने को मिली। हम लोग सभास्थल के करीब बढ़ने लगे। भीड़ की कोई सीमा नहीं थी। कहां से शुरू, कहां पर खत्म, समझ में नहीं आ रहा था। गांव के खेतों की पगडंडियों के रास्ते पर हजारों-हजार की संख्या में ग्रामीण दिखाई दे रहे थे। महिलाओं, पुरुष, बच्चों और बुजुर्गों का रेला। आसपास के सभी गांवों का यही हाल था। ऐसा लग रहा था कि गांव का गांव पीएम मोदी को देखने पहुंच रहा है। हमने पंचायत भवन से सभास्थल में जाने का अपना पास कलेक्ट किया और फिर निकल गये सभास्थल की ओर, क्योंकि बिना पास के पीएम का प्रोग्राम कोई मीडियाकर्मी कवर नहीं कर सकता। प्रोटोकॉल का हिस्सा रहता है।

    सभास्थल पर भीड़ का न आरंभ था, न अंत
    खैर, जैसे ही हम सभास्थल पहुंचे, वहां का नजारा देख आंखें दंग रह गयीं। भीड़ इतनी कि आप अपनी आंखों पर यकीन नहीं कर पायेंगे। आंखों के सामने भीड़ का ऐसा नजारा शायद मैंने किसी नेता के लिए तो कभी नहीं देखा। जहां तक नजर जा सकती थी, वहां तक सिर्फ भीड़ ही भीड़। पेड़ों पर भी बहुत संख्या में लोग चढ़े हुए थे। अगर संख्या की बात करूं, तो वह लाखों में होगी। सभा के टेंट में जितनी भीड़ होगी, उससे पांच गुणा ज्यादा बाहर खड़ी थी, बैठी थी, आ भी रही थी। गर्मी इतनी प्रचंड कि पानी की बोतलें धड़धड़ा बिक रही थीं। पानी के टैंकरों से पानी बहे जा रहे थे। लोगों में पानी पीने की होड़ मची हुई थी। आइसक्रीम के स्टॉल पर बर्फवाली आइसक्रीम ज्यादा डिमांड में थी। पांच रुपया दाम था। आइसक्रीम वाला करीब साढ़े तीन हजार का आइसक्रीम बेचने के लिए राजधनवार से लाया था।

    ऐसा लग रहा था, मानो भीड़ बह रही थी
    हम लोग सभास्थल के आसपास करीब तीन बजे पहुंचे। लेकिन एक बजे से लेकर जो तीन बजे तक का समय था, उस दौरान हम लोग पांच से सात किलोमीटर की रेडियस में रहे होंगे। उस दौरान भीड़ मानो बह रही थी। इस दौरान जब मैं प्रोग्राम कवर कर रहा था, नेताओं का भाषण चल रहा था, तभी करीब तीन- चार साल की बच्ची खो गयी थी। एक महिला जैप जवान के पास वह बच्ची थी। बच्ची के हाथ में हरे रंग की आधी भरी पानी की बोतल थी। वह रो रही थी। खैर उस बच्ची को डीसी को सौंपा गया, लेकिन अगर मंच से उसी समय अनाउंस हो जाता कि बच्ची खो गयी है, तो शायद उसके माता-पिता उसी समय मिल जाते। पीएम का प्रोग्राम था। कोई भी अधिकारी मंच तक नहीं जा रहा था। मैंने कुछ अधिकारियों को बोला भी, लेकिन वे बहुत ही नॉर्मल रहे। ऐसा बर्ताव कर रहे थे, मानो कुछ हुआ ही नहीं हो। सुकून इस बात का था कि वह बच्ची सही हाथों में थी। लेकिन अगर कोई भी बड़ा प्रोग्राम हो, तो वहां लोगों की मदद के लिए व्यवस्था भी होनी चाहिए, जहां से इमरजेंसी अनाउंसमेंट हो सके। फिर वह प्रोग्राम पीएम का ही क्यों न हो।

    और दिखा मोदी का हेलीकॉप्टर
    अब शाम के करीब चार बज कर 25 मिनट हो रहे थे। पीएम मोदी का हेलीकॉप्टर दिख गया। वह सभास्थल के करीब आ रहा था। आवाज भी सुनाई देने लगी। धूल भी उड़नी शुरू हो गयी। इस दौरान बाबूलाल मरांडी मंच पर भाषण दे रहे थे। लोगों में मोदी के प्रति दीवानगी ऐसी कि हर सेकेंड लोगों का शोर बढ़ रहा था। बाबूलाल मरांडी को ऐसे ही जन नेता नहीं कहते। उन्होंने उसी शोर में उस खोयी हुई बच्ची के लिए अनाउंसमेंट कर दिया। उस बच्ची को जैप के जवान बिस्किट खिला रहे थे और पानी पिला रहे थे। तभी अचानक एक और खोयी बच्ची को लाया गया। दोनों बच्चियां गुलाबी रंग की टीशर्ट पहनी थी। डीपीआरओ भी बच्चियों के पास मौजूद थी। बाबूलाल मरांडी अब भी भाषण दे रहे थे।

    4.50 बजे मंच पर पहुंचे पीएम मोदी
    समय चार बज कर 50 मिनट। मोदी मंच पर। सफेद कुर्ता और नीली बंडी पहने मोदी मंच पर। उपस्थित नेताओं का आभार जताया। हाथ हिला कर जनता का अभिवादन किया। शोर इतना कि कान बहरे हो जायें। इतना शोर मैंने कभी नहीं सुना था। भाषण शुरू करने से पहले पीएम मोदी के लिए आकृति बना कर लायी एक बच्ची की पेंटिंग दिखायी गयी। पीएम मोदी ने मंच से सराहा और एसपीजी को निर्देश दिया कि वह पेंटिंग रखी जाये और उस बच्ची का नंबर भी लिखने को कहा।

    पूरा वातावरण मोदीमय हो गया
    मोदी ने जैसे ही भाषण शुरू किया, पूरा वातावरण मोदीमय हो गया। ‘जय श्रीराम’ के जयघोष से पूरा माहौल गुंजायमान हो गया। मोदी के भाषण के दौरान भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। लोग दूर घरों की छतों, खड़ी बसों के ऊपर चढ़ कर मोदी को सुन रहे थे।

    पीएम हाथ हिलाने लगे और भीड़ दीवानी हो गयी
    करीब पांच बज कर 30 मिनट पर पीएम मोदी का भाषण समाप्त हुआ। अब चुनौती थी भीड़ को चीरते हुए पार्किंग तक पहुंचने की। अचानक देखा कि मोदी जी जब हेलीपैड की ओर जा रहे थे, तब उन्होंने गाड़ी के बाहर निकल कर लोगों को हाथ हिलाना शुरू किया। भीड़ दीवानी हो गयी। भागने लगी, सिर्फ मोदी की झलक पाने को। नेता वही, जो मौके को अच्छी तरह भांपे। मोदी जी ने भी देखा कि भीड़ इतनी मात्रा में है, तो क्यों ना भीड़ में शामिल लोगों का दिल जीता जाये। कई घंटे लगे भीड़ को खत्म होने में। मोदी भी समझ गये कि वह आज गिरिडीह और कोडरमा की जनता से क्या लेकर जा रहे हैं। शायद जीत का आशीर्वाद।

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