रांची। झारखंड हाइकोर्ट से राजकीय विश्वविद्यालय के शिक्षकों की प्रोन्नति मामले में शनिवार को बड़ी राहत मिली है। हाइकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान शिक्षकों की प्रोन्नति से संबंधित यूजीसी के वर्ष 2010 के रेगुलेशन के तहत झारखंड सरकार द्वारा बनाये गये परिनियम के क्लाज तीन की शर्त को कानून सम्मत नहीं बताते हुए खारिज कर दिया।
साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को इस परिनियम के तहत देय वित्तीय लाभ नियत तिथि से देय होगा, जिस तिथि को वह उस लाभ के हकदार होते हैं। वर्ष 2010 के यूजीसी रेगुलेशन के तहत राज्य सरकार ने 15 दिसंबर 2022 में परिनियम बनाया था, जिसके तहत राज्य के विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को एक दिसंबर 2009 से अगस्त 2021 के बीच देय प्रोन्नति या अन्य वित्तीय लाभ से संबंधित क्लाज तीन में एक शर्त रखी थी। क्लाज तीन की शर्त में शिक्षकों को पूर्व बकाया का वित्तीय लाभ या प्रोन्नति से उत्पन्न हुए वित्तीय लाभ को 15 दिसंबर 2022 से देय बताया गया था, जिसे हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रूपेश सिंह ने पैरवी की। मामले को लेकर कलानंद ठाकुर और अन्य ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि विश्वविद्यालय के शिक्षकों के प्रोन्नति से संबंधित यूजीसी के वर्ष 2010 के रेगुलेशन के आलोक में राज्य सरकार द्वारा परिनियम बनाने जाने से हुए विलंब का खामियाजा विश्वविद्यालय के शिक्षक क्यों भुगतेंगे।