-हेमंत सोरेन के घर में 36 लाख रुपये की रिकवरी की दलीलों को उच्च न्यायालय ने असमर्थनीय माना
-उच्च न्यायालय ने जमीन घोटाले में सदर थाना में हुए एफआइआर के साथ छेड़छाड़ करने पर भी कड़ी टिप्पणी की
-राजनीतिक रूप से अस्तित्वहीन होने के कगार पर खड़ी और घोटालो में घिरी झामुमो पार्टी की मान्यता जनता ही समाप्त कर देगी
रांची। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने रविवार को रांची के मारू टावर स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस वार्ता करते हुए उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के हाल के निर्णय के आदेश में राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोला। प्रतुल शाह देव ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए जो याचिका दाखिल की थी उसे उच्च न्यायालय ने न सिर्फ खारिज किया बल्कि मुख्यमंत्री के द्वारा राजनीतिक बदले का जो आरोप लगाया गया था, उसे एक हारे हुए मुवकिल की आखिरी कोशिश की संज्ञा दे दी। उच्च न्यायालय ने अपनी तलख टिप्पणी में यह भी कहा कि इडी ने अब तक जितने साक्ष्य जुटा है प्रथम दृष्टया उसमें हेमंत सोरेन की इस घोटाले में संलिप्तता उजागर होती है। उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में हेमंत सोरेन के दिल्ली स्थित आवास में इडी की छापेमारी में 36 लाख की रुपये की रिकवरी पर भी बड़ा प्रश्न खड़ा किया। उच्च न्यायालय ने हेमंत सोरेन के द्वारा इसे अपने माता-पिता के इलाज के लिए जमा किये गये पैसे रखने की दलील को अनटेनेबल यानी असमर्थनीय माना।
प्रतुल ने कहा इसी तरीके से राज्य सरकार ने साहिबगंज के नीबू पहाड़ के अवैध खनन मामले में सीबीआइ की जांच के आदेश को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जानना था कि राज्य सरकार इस जांच को रोकने के लिए क्यों इतनी उत्सुक है? अंतत राज्य सरकार की याचिका खारिज हो गयी और सीबीआइ जांच जारी रहेगी। स्पष्ट है कि जो हेमंत सोरेन के कार्यकाल में भ्रष्टाचार हुआ था, अब उस घोटाले पर न्यायिक दृष्टिकोण भी सख्त होता जा रहा है और न्यायालय पैनी नजर रख रही है।
प्रतुल ने कहा कि सदर थाने में जमीन घोटाले के संबंधित जो एफआइआर हुआ था। उसमें षड्यंत्र की धारा को जोड़ा गया था। लेकिन इस षड्यंत्र की धारा (120 बी) को पेन से काट के मिटाने की घटना को भी उच्च न्यायालय ने बहुत गंभीरता से लिया है और कहा कि उसे समय हेमंत सोरेन की सरकार का कार्यकाल था।
प्रतुल ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार चौतरफा भ्रष्टाचार और लूट के दलदल में फंस गयी है। झामुमो की मान्यता अब जनता ही समाप्त कर देगी। प्रतुल ने कहा कि जिस पार्टी ने सिर्फ तुष्टिकरण के सहारे साढ़े चार वर्षों तक राजनीति की। उनके ही कार्यकाल में हिंदू फल दुकान लिखने पर जेल, सामान्य विद्यालयों को उर्दू विद्यालय बना दिया गया। एक आइएएस अफसर खुद को मुस्लिम अधिकारी बताते रहे। विधानसभा में बिना मांग के नमाज स्थल बना दिया। लव जिहाद की घटनाएं बढ़ीं। अब वह भाजपा पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगा रही है। प्रतुल ने कहा वैसे भी झारखंड मुक्ति मोर्चा लोकसभा चुनाव के बाद अपना राजनीतिक रूप से अस्तित्व खोने जा रही है। इसलिए ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाकर नया नैरेटिव सेट करने की कोशिश हो रही है। उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के हाल के निर्णयों ने हेमंत सरकार को आइना दिखाया