कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने दलील दी
नई दिल्ली। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सर्वोच्च न्यायालय से मंगलवार को झटका लगा है। जमीन घोटाले में आरोपी हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर आज सुनवाई पूरी नहीं हो पाई। उनकी अंतरिम जमानत पर अदालत कल (22 मई) फिर विचार करेगी।
क्या है मामला
• यह 8.86 एकड़ जमीन का मसला है। जो आदिवासी भूमि है। छोटानागपुर टीनेंसी एक्ट के तहत इसे ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।
• 12 प्लॉट हैं, 1976 से 1986 के बीच गैर आदिवासियों के नाम की रजिस्टर में एंट्री हुई है। तब हेमंत सोरेन 4 साल के थे। इससे उनका कुछ लेना देना नहीं है।
• सोरेन पर आरोप है कि 2009-10 में उन्होंने जमीन पर जबरन कब्जा किया। उनके खिलाफ 20 अप्रैल 2023 को केस चलाया जाता है।
• इस जमीन पर बिजली का कनेक्शन आरोपी नंबर चार के नाम पर है।
• 2015 में हुई लीज में यह खेती वाली जमीन है। साफ है कि यह हेमंत सोरेन के कब्जे में नहीं। लीज का मालिक राजकुमार है।
सिब्बल ने शिकायतकर्ता बैजनाथ मुंडा और श्यामलाल पाहन का नाम लेते हुए कहा कि ये जमीन के मालिक होने का दावा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह भुइंहरी जमीन है। इसलिए मुंडा और पाहन का दावा विवादित है। मामला बेनामी लगता है। उन्होंने कहा कि यह सिविल मामला है और इसलिए इडी जांच नहीं कर सकती है।
इडी ने जमानत का किया है विरोध
इडी ने सोमवार (20 मई 2024) को सुप्रीम कोर्ट को बताया
• हेमंत सोरेन राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करके उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।
• एक राजनेता एक आम नागरिक से अधिक विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकता। अगर सोरेन को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो जेल में बंद सभी राजनेता भी ऐसी मांग कर सकते हैं।
• सुप्रीम कोर्ट में जमा कराए ऐफिडेविट में अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों से यह साबित होता है कि हेमंत सोरेन अवैध तरीके से संपत्तियां हासिल करने और उन पर कब्जा रखने में शामिल हैं। यह अपराध से अर्जित आय है।
सिब्बल बोले- केजरीवाल की तरह उन्हें भी जमानत मिले
इससे पहले 13 मई की सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मिली जमानत के आधार पर उन्हें भी जमानत दी जाए। जिसका इडी के वकील ने जोरदार विरोध किया। इडी के वकील का कहना था कि हेमंत सोरेन को जमानत देने पर जांच प्रभावित हो सकती है। इसी पर अदालत ने इडी से जवाब दाखिल करने को कहा था।
लैंड स्कैम मामले में सोरेन हुए हैं गिरफ्तार
रांची जिले के बड़गाई अंचल में लगभग साढ़े आठ एकड़ जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री मामले में इडी ने झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन पर कार्रवाई की है। इस मामले में पूछताछ के लिए इडी ने सीएम को 11 समन भेजा था। इसमें से केवल दो समन में उन्होंने इडी के सवालों के जवाब दिए। 11वें समन पर जवाब-तलब के लिए इडी के अधिकारी 31 जनवरी को उनके आवास पहुंचे। यहां पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन का मामला क्या है?
झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन पर PMLA एक्ट के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया है। दरअसल, झारखंड की राजधानी रांची में बजरा नाम की एक जगह है। यहां करीब 7.16 एकड़ जमीन के एक प्लॉट का मालिकाना हक भारतीय सेना के पास था। इस जमीन को स्थानीय लोगों ने गलत डॉक्यूमेंट्स के जरिए कई लोगों को बेच दिया। जब मामला रांची नगर निगम के पास पहुंचा तो निगम ने अवैध खरीद-फरोख्त के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया। इसी केस को आधार बनाकर इडी ने जांच शुरू कर दी। 14 अप्रैल को इस मामले में इडी ने पहली बार 7 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें प्रदीप बागची, अफसर अली, सद्दाम हुसैन के अलावा 4 और लोगों को गिरफ्तार किया गया था। करीब 23 दिन बाद रांची के पूर्व उपायुक्त निलंबित IAS अधिकारी छवि रंजन की गिरफ्तारी हुई। छवि से पूछताछ के आधार पर 31 जुलाई को विष्णु अग्रवाल नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया। इसके पास से मिले डॉक्यूमेंट्स में हेमंत सोरेन का नाम मिला। जांच में हेमंत सोरेन के बैंक खाते और चेक से जुड़ी जानकारी मिली। इसके बाद इडी ने PMLA एक्ट की धारा 50 के तहत हेमंत सोरेन से पूछताछ के लिए उन्हें समन भेजा। 10 बार समन भेजे जाने के बावजूद हेमंत इडी के सामने पेश नहीं हुए। इसके बाद समन भेजने के बावजूद पेश नहीं होने पर IPC की धारा 174 के तहत 31 जनवरी 2024 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।