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    Home»झारखंड»हजारीबाग»हजारीबाग में मनीष जयसवाल और जेपी पटेल के बीच क्या है फर्क
    हजारीबाग

    हजारीबाग में मनीष जयसवाल और जेपी पटेल के बीच क्या है फर्क

    adminBy adminMay 2, 2024Updated:May 3, 2024No Comments11 Mins Read
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    -जेपी के समक्ष इंडी गठबंधन के कार्यकर्ताओं को एक साथ जोड़ने की चुनौती
    -समर्पण की भावना से मनीष के लिए काम कर रहे भाजपा और आजसू के कार्यकर्ता
    -नामांकन और सभा स्थल पर जो कुछ देखा-सुना
    जिस तरह से झारखंड में लोकसभा चुनाव की खुमारी जनता के बीच सिर चढ़ कर बोल रही है, उससे तो यही पता चल रहा है कि झारखंड में गर्मी का तापमान भी उसके सामने फीका महसूस पड़ रहा है। पिछले दो दिनों के घटनाक्रम पर अगर नजर डालें तो ज्ञात होता है कि राजनीतिक पार्टी का सांगठनिक ढांचा कैसा होना चाहिए। चुनाव तो कई दल लड़ते हैं, लेकिन कौन कितने अनुशासन में रह कर चुनाव की तैयारी करता है और लड़ता है वह बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यहां बात हो रही है हजारीबाग लोकसभा की। जिस प्रकार से भाजपा और इंडी गठबंधन के संगठन कार्यकर्ता चुनावी सभा के दौरान अपना काम कर रहे हैं, उसका मैसेज भी जनता के बीच खूब जा रहा है। लोग इसे लेकर बातें भी कर रहे हैं। मंच पर लगी कुर्सियां भी पार्टी के अनुशासन को बयां करती हैं। हर नेता का अपना महत्व होता है। क्षेत्र के हिसाब से महत्व बदलता रहता है। क्षेत्र की जनता अपने नेता का सम्मान देखना चाहती है। वह उसे मंच पर सही स्थान प्राप्त करते भी देखना चाहती है। लेकिन यह हर दल की व्यवस्था निर्धारित करने वाले समझ नहीं पाते। जो समझ जाता है, वह चमक जाता है, जो ना समझा वह धूमिल हो जाता है। एक मई को आजाद सिपाही की भ्रमण टीम हजारीबाग में थी। उद्देश्य था वहां के भाजपा प्रत्याशी मनीष जयसवाल और महागठबंधन प्रत्याशी जेपी पटेल के नामांकन कार्यक्रम और सभा को कवर करना। दोनों ही जगहों पर यह टीम गयी और बारीकी से हर चीज को परखा। मनीष जयसवाल और जेपी पटेल के कार्यक्रमों में जो कुछ दिखा, वह हम आपके समक्ष रख रहे हैं। हम हार-जीत पर भविष्यवाणी नहीं कर रहे, बल्कि चार घंटे वहां जो कुछ देखा और महसूसा उसे आपके सामने रख रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    चिलचिलाती धूप में समर्थकों का समर्पण बहुत कुछ बयां कर देता है
    हजारीबाग के भाजपा प्रत्याशी मनीष जयसवाल और कांग्रेस प्रत्याशी जेपी पटेल के नामांकन के दौरान जिस प्रकार से जनता का उत्साह देखा गया, उससे आभास होता है कि हवा का रुख क्या है। जिस प्रकार से भाजपा की सभाओं में मेला सरीखी भीड़ आ रही है, उससे पता चलता है कि भाजपा की जड़ें कितनी गहरी होती चली जा रही हैं। भाजपा के कार्यकर्ता किस लगन और उत्साह से जमीनी स्तर काम कर रहे हैं। चिलचिलाती धूप में भी जनता के समर्पण को सिरे से नकारा नहीं जा सकता। दो मुख्य प्रत्याशियों की सभा की बात की जाये तो भाजपा की सभा में जो भीड़ उमड़ रही है, वह अंत तक मंच के करीब बनी रह रही है। इतनी धूप में भी भाजपा के समर्थकों का समर्पण देखते ही बन रहा है। वहीं इंडी गठबंधन की सभाओं की बात की जाये तो चिलचिलाती धूप में समर्थंक बिखरे नजर आते हैं। यहां सबसे पहली लड़ाई तो सर चकरा देने वाली गर्मी से है, उसके बाद प्रत्याशियों से है। यहां यह भी नोटिस किया जा रहा है कि किनके समर्थकों में धूप से लड़ने की ज्यादा ताकत है।

    मनीष जयसवाल हैं उत्साहित, वहीं जेपी पटेल का चेहरा बहुत कुछ बोल गया
    बुधवार को हजारीबाग के भाजपा प्रत्याशी मनीष जयसवाल और कांग्रेस के प्रत्याशी जेपी पटेल के पक्ष में अलग-अलग जगहों पर सभा हुई। जेपी पटेल की सभा जिला स्कूल मैदान में हुई, वहीं मनीष जयसवाल की सभा कर्जन ग्राउंड स्टेडियम में हुई। आजाद सिपाही की भ्रमण टीम इन दोनों सभाओं में गयी थी। जेपी पटेल की सभा में मंच पर मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, कांग्रेस विधायक दल के नेता और मंत्री आलमगीर आलम, मंत्री बन्ना गुप्ता, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर, गिरिडीह के झामुमो प्रत्याशी मथुरा महतो, कांग्रेस के प्रत्याशी जेपी पटेल और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा मुख्य रूप से उपस्थित थे। यहां समय को ध्यान में रखते हुए सभी ने अपनी-अपनी बातें रखीं।

    सभास्थल का दृश्य
    जिला स्कूल मैदान में महागठबंधन की सभा में एक टेंट लगाया गया था। उसमें चालीस प्रतिशत जगह में लाल रंग की कुर्सियां लगायी गयी थीं। साठ फीसदी जगह खाली थी। मंच की दायीं ओर मैदान में कुछ पेड़ के किनारे लगभगत तीन सौ लोग कुर्सी लगा कर जहां-तहां बैठे थे। सभास्थल पर लोगों का आना जाना लगा रहा। जितने लोग सभा स्थल पर होंगे, उससे लगभग आधी संख्या में लोग सभा स्थल से दूर जहां-तहां घूम रहे थे। कुछ झील की तरफ घूमने निकल गये थे, तो कुछ लौटने लगे थे, जबकि सभा मंच से अभी किसी बड़े नेता का भाषण नहीं हुआ था, लोग मंच पर आ गये थे। सभास्थल पर कुछ लोगों के हाथ में कांग्रेस का झंडा था। बाहर से आयी गाड़ियों में झंडा लगा था। उस सभा में सबसे ज्यादा मार्केबल बात जो लगी, वह यह कि मुख्यमंत्री और झामुमो के कई नेताओं के मंच पर मौजूद रहने के बावजूद वहां झामुमो का झंडा मुश्किल से दिख रहा था। हां मंच पर जरूर झामुमो का झंडा लगा था। लोगों के गले में पट्टा भी कम दिखा। सभास्थल के मंच पर स्टार प्रचारकों के साथ-साथ स्थानीय नेताओं का जमावड़ा लग गया था। सभी कुर्सी पर बैठ गये थे। काफी संख्या में खड़े भी थे। कहने का मतलब यह कि मंच पर जाने के लिए कोई क्रैटेरिया नहीं बनायी गयी थी, जिसकी पहुंच थी, वह पहुंच गया, बाकी बाहर रह गये। यहां एक बात और साफ देखी गयी कि सभास्थल पर आनेवाले लोगों को बैठाने के लिए कोई कार्यकर्ता प्रयास नहीं कर रहा था। जिसका मन किया, वह बैठा और जिसका मन किया वह चलते बना। भीड़ तितर-बितर थी। वहां पानी के लिए लोग बेचैन थे। जेपी पटेल के पक्ष में हुई सभा के पास बहुत आसानी से वाहन से जाया जा सकता था। कह सकते हैं कि सड़क किनारे गाड़ियों की संख्या कम होने के कारण परेशानी नहीं हो रही थी। हां यहां पुलिस की मुश्तैदी ज्यादा देखने को मिली, कार्यकर्ताओं की नहीं। सभा के बीच में जेपी पटेल आये। उनके साथ तीन-चार स्थानीय नेता थे। वह मंच पर गये। लोगों को उन्होंने प्रणाम किया, कुछ के पैर छुए तो कुछ से हाथ मिलाया। फिर एक जगह बैठ गये। लगभग डेढ़ बजे सभा समाप्त हो गयी। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक और फिर स्थानीय नेता तक मंच से उठे और फिर अपनी गाड़ियों पर सवार होकर अपने गंतव्य की तरफ निकल गये। सभास्थल पर कुछ स्थानीय मीडियाकर्मियों की उपस्थिति थी। इनमें कुछ प्रिंट मीडिया के लोग थे, तो कुछ सोशल मीडिया के। कैमरा मैन या अन्य सोशल मीडियाकर्मियों के लिए किसी कोने में भी कोई व्यवस्था नहीं की गयी थी, ताकि वह कवरेज कर सकें। हां, तपती धूप में मीडियाकर्मी अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। जहां-तहां खड़ा होकर। उन्हें भी पीछे से कुछ लोग दूसरी तरफ जाने को कह रहे थे। उनका कहना था कि सामने आ जाने से उन्हें दिखाई नहीं पड़ रहा है, जबकि मंच ऊंचाई पर बना था। कहने का मलतब की यहां मीडिया मैनेजमेंट से लेकर सभा में शामिल होने आये लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया था।
    कर्जन ग्राउंड में भाजपा प्रत्याशी मनीष जयसवाल की सभा थी। जिस समय आजाद सिपाही की भ्रमण टीम हजारीबाग पहुंची, उस समय कर्जन ग्राउंड स्टेडियम से आगे बढ़ने पर उसे लगभग पैंतालीस मिनट तीन सौ फुट की दूरी तय करने में लग गये। भला हो एक एंबुलेस का जो सभास्थल की तरफ से आयी और उसे पास कराने के लिए पुलिस जवान सक्रिय हुए। जैसे-तैसे रेंगते हुए हम जिला स्कूल मैदान के लिए आगे बढ़े। जेपी पटेल की सभा में जाने में कोई भीड़ नहीं मिली, जाम भी नहीं मिला। आसानी से हम सभास्थल तक पहुंच गये और आसानी से वहां से निकल भी गये। पौने दो बजे आजाद सिपाही की टीम जिला स्कूल मैदान से कर्जन ग्राउंड पहुंची। रोड बिल्कुल क्लीयर। हम सड़क पर रूक गये, हमें लगा कि शायद सभा खत्म हो गयी है और सभी जा चुके हैं। हमारे एक सहयोगी गाड़ी से उतरे और उन्होंने कहा कि हम देख कर आते हैं। एक मिनट बाद उन्होंने हमें फोन किया कि आप लोग आइये, यहां सभा चल रही है और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी बोल रहे हैं। हम सभास्थल पर पहुंचे। अंदर मैदान में एक बड़ा पंडाल बनाया गया था। वहां करीब आठ-दस हजार कुर्सियां लगायी गयी थीं। बगल में एक एक जगह मीडियाकर्मियों के लिए भी तय की गयी थी, जहां खड़ा होकर या बैठ कर वे रिपोर्टिंग और फोटोग्राफी को अंजाम दे रहे थे। कुछ लोग मंच के बगल में छाये में भी खड़े होकर रिपोर्टिग कर रहे थे। इसमें बहुत सारे मीडियाकर्मी रांची से भी गये थे। पचास लोगों से ज्यादा मीडियाकर्मियों की वहां उपस्थिति थी। मंच पर आगे की कतार में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, बाबूलाल मरांडी, आजसू नेता चंद्रप्रकाश चौधरी, मनीष जयसवाल, मनोज यादव सहित बहुत सारे स्थानीय नेता मंच पर अपनी-अपनी कुर्सी पर बैठे हुए थे। बीच-बीच में सम्मानित करने का कार्यक्रम भी चल रहा था। सबसे अंत में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का भाषण हुआ। यहां एक बात गौर करनेलायक है कि पंडाल में जो भीड़ बैठी थी, वह अंत तक बैठी रही। जो कार्यकर्ता जहां खड़ा था, वह वहां खड़ा रहा। सभा में शामिल होने आये लोगों को बैठाने से लेकर किनारे खड़ा करने तक सब कुछ व्यवस्थित तरीके से कार्यकर्ता कर रहे थे। सभास्थल के आसपास सड़क के दोनों तरफ वाहनों को व्यवस्थित तरीके से लगाया गया था। बाकी वाहन मेन सड़क पर दोनों तरफ बाकी मैदान में खाली जगह में पार्क हुए थे। वाहनों को पार्क कराने के लिए भी कार्यकर्ता मुश्तैद थे, ताकि किसी को परेशानी नहीं हो। यहां एक बात और गौर करने लायक थी कि जो भी कार्यकर्ता या समर्थक सभा में शामिल होने आ रहे थे से उनमें से अस्सी फीसदी लोगों के माथे पर गेरुवा गमछा और बाकी के गले में पटका लटका था। यहां भाजपा, आजसू, जदयू, लोजपा चिराग और लोजपा पारस गुट के झंडे कार्यकर्ताओं के हाथों में दिखे। यहां गर्मी से बचने के लिए पानी की व्ययवस्था की गयी थी। बगल में एक बड़ा सा पंडाल बना था। पूछने पर पता चला कि कार्यकर्ताओं-समर्थकों को खाने की व्यवस्था की गयी है।
    कार्यक्रम खत्म हुआ। सभा मंच से उतरने पर बाबूलाल मरांडी और भजनलाल शर्मा के पीछे मीडिया का हुजूम लग गया। मीडियाकर्मियों ने उन लोगों से सवाल जवाब किये। उन्होंने जवाब भी दिये। दस मिनट तक यह सिलसिला चलता रहा। बाद में वे नेता अपने गंतव्य तक चले गये। सभास्थल से भीड़ छटने लगी।

    कार्यकर्ताओं और समर्थकों को कनेक्ट करने की जरूरत दिखी कांग्रेस में
    दोनों उम्मीदवारों की अगर बात की जाये, तो सभास्थल पर भाजपा के उम्मीदवार मनीष जयसवाल काफी उत्साहित नजर आ रह थे। वह हंसते हुए भी नजर आये और हाथ जोड़ते हुए भी- वह बीच-बीच में हाथ हिला कर लोगों का अभिवादन भी स्वीकार कर रहे थे। उनकी तुलना में जेपी पटेल का उत्साह जरा फीका दिखाई पड़ा। ऐसा नहीं है कि जेपी पटेल को कम आंका जा सकता है, ऐसा करना अभी बड़ी भूल होगी। लेकिन फिलहाल जो ग्राउंड पर नजर आ रहा है, उससे यही लगता है कि कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले और ताकत लगाने और समर्पण की जरूरत है। कांग्रेस की सबसे बड़ी कमी कार्यकर्ताओं से कनेक्ट होने में दिखी। समर्पण का भी अभाव दिखा। मनीष जयसवाल के साथ प्लस पॉइंट यह है कि वह काफी मिलनसार प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। वह बड़ी आसानी से आम लोगों के साथ भी घुल मिल जाते हैं। लोगों का मानना है कि वह अपनी समस्याओं को मनीष जयसवाल के सामने आसानी से रख सकते हैं और दबाव भी बना सकते हैं कि उनका काम हो सके। वहीं जेपी पटेल को कई दलों के समर्थकों को एक साथ साधने की चुनौती है। कांग्रेस झारखंड में सांगठनिक रूप से बहुत कमजोर है। वह झामुमो के दम पर ही झारखंड में अस्तित्व में है। अगर झामुमो का साथ उसको नहीं मिला तो उसका हाल ठीक उत्तरप्रदेश वाला हो जायेगा। जेपी पटेल को और एनर्जी के साथ मैदान में डंटा रहना पड़ेगा। उनकी जो परेशानी सामने आ रही है, वह शायद यह है कि जब वह झामुमो से भाजपा में चले गये थे, तो झामुमो के लोगों से उनकी दूरी काफी बढ़ गयी थी। अब वह जब कांग्रेस में शामिल हुए और प्रत्याशी बने, तो झामुमो समर्थकों के साथ का रिश्ता सुधरा नहीं और यहां कांग्रेस समर्थकों और कार्यकर्ताओं में जज्बे का अभाव दिख रहा है। उन्हें इस चुनाव में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ-साथ झामुमो के लोगों को भी पूरी तरह एक्टिव करना होगा।

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