विशेष
भारत के मास्टर प्लान से पाकिस्तान में मचा हाहाकार, तहस-नहस हुए नापाक मनसूबे
भुखमरी की ओर बढ़ रहा पाकिस्तान, सेना के लिए खर्च जुटाना भी हुआ बेहद मुश्किल
सहयोगी चीन और दूसरे देशों ने आर्थिक मदद देने से किया इनकार, अब कटोरा भी बेचने की नौबत
ड्रोन अटैक के नाम पर शादी-ब्याह वाला ड्रोन भी छोड़ रहा, मिसाइल के नाम पर दिवाली वाला चायनीज रॉकेट न छोड़ने लगे
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
भारत ने पहलगाम हमले के ठीक 15 दिन बाद पाकिस्तान में आतंकवादियों से अपना बदला ले लिया है। आॅपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पहलगाम हमले का जवाब सटीक जवाबी एयर स्ट्राइक से दिया है। इसके कारण दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है, लेकिन महज तीन दिन में ही पाकिस्तान कंगाली की हालत में पहुंच गया है। इसलिए उसने अपने शुभचिंतकों से आर्थिक मदद की गुहार लगायी है। दरअसल, पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐसी रणनीति बनायी कि युद्ध से पहले ही वह कंगाल होता जा रहा है। अब तो हालात ऐसे हैं कि पहले से ही पाई-पाई को मोहताज पाकिस्तान हर रोज सिर्फ अलर्ट रहने और सेना की ताकत दिखाने के लिए अरबों रुपये फूंकने पर मजबूर है। पाकिस्तान को जहां एक के बाद एक आर्थिक चोट लग रही है, तो इस समय चीन और दूसरे देश भी पाकिस्तान से दूरी बनाने लगे हैं। ऐसे में अब यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान असली युद्ध से पहले ही घुटने टेक चुका है। भारत के साथ तनाव के कारण पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है। उसका शेयर बाजार तेजी से गिर रहा है और हर दिन चार अरब पाकिस्तानी रुपये का खर्च उस पर भारी पड़ रहा है। यह खर्च सीमा पर फौज की तैनाती, विमानों का ईंधन और सरहद पर समान भेजने पर हो रहा है। पाकिस्तान का सालाना बजट 2.10 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये के आस-पास है। वहीं जब से भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चल रहा है, तब से सिर्फ हाई अलर्ट पर पाकिस्तान को बड़ी रकम खर्च करनी पड़ रही है। क्या है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का हाल और कैसे उसे कंगाली में आटा गीला करना पड़ रहा है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पहले राउंड की लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया है। इसके साथ ही पाकिस्तान में तैनात चीनी हथियार भी पहली परीक्षा में फेल होते नजर आ रहे हैं। पहले भारत के एयरस्ट्राइक का पता लगाने में पाकिस्तान नाकाम रहा, फिर उसका पीएल-15 मिसाइल भारत में निशाना को हिट किये बिना गिर गया, जिसकी टेक्नोलॉजी अब भारत जान सकता है और फिर भारत ने लाहौर में चीनी डिफेंस सिस्टम को ध्वस्त कर चीनी डिफेंस सिस्टम की कलई खोलकर रख दी। लिहाजा चीन काफी ध्यान से भारत और पाकिस्तान के बीच के संघर्ष पर नजर बनाये हुआ है। क्योंकि चीन, दुनियाभर के देशों को अपने हथियार बेचना चाहता है। हालांकि चीन ने सालों से कोई युद्ध नहीं लड़ा है, लेकिन पाकिस्तान चीनी हथियारों से भारत का मुकाबल कर रहा है या करने वाला है, लिहाजा पश्चिमी देशों की नजर भी युद्ध के अलावा चीनी हथियारों पर है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच सालों में पाकिस्तान ने चीन से 81% ज्यादा हथियार खरीदे हैं। लिहाजा माना जा रहा है कि चीन, पाकिस्तान में अपने हथियारों की ‘लाइव टेस्ट’ कर रहा है। भारत के साथ तनाव के बीच अब पाकिस्तान को यह एहसास हो चला है कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी है। पाकिस्तान पहले से कंगाल है और अब भारत के साथ पंगा लेकर उसने अपना आटा गीला कर लिया है। इसलिए उसने दुनिया से आर्थिक मदद मांगी है। पाकिस्तान जानता है कि जंग छिड़ी, तो वह और कंगाल हो जायेगा, क्योंकि वह पहले से ही कर्ज, भुखमरी और आर्थिक तंगी झेल रहा है।
कैसी है पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति
पाकिस्तान की हालत यह है कि वहां करोड़ों लोग भूखे मर रहे हैं, हजारों करोड़ का कर्जा दुनिया का चुकाना है, भारत ने सिंधु जल संधि खत्म करके पानी रोक दिया है। आयात निर्यात बंद करके बुनियादी जरूरत को पूरी करने वाली चीजें रोक दी हैं। उसके पास सिर्फ तीन महीने का खाना-पानी खरीदने का पैसा बचा है। भुखमरी के मामले में पाकिस्तान टॉप 100 देशों में शामिल है। भारत के साथ तनाव बढ़ने के कारण दुनियाभर के देश भी उसका साथ छोड़ रहे हैं। पर्यटन, कारोबार, खेल, उद्योग आदि पूरी तरह ठप हैं। राजनीतिक संकट अलग से है। आतंकी हमले के डर से कोई देश पाकिस्तान में अपने नागरिकों को भेजना नहीं चाहता है। ऐसे में यह सोचनेवाली बात है कि बाढ़, कंगाली, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक संकट, वैश्विक अनदेखी की मार झेल रहा पाकिस्तान किस दम पर भारत से पंगा लेने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान ने नहीं सोचा है कि भारत के साथ जंग छिड़ी तो देश का हाल क्या होगा। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1.3 बिलियन डॉलर का कर्ज मांग चुका है।
तीन महीने का आयात करने के लिए बचा पैसा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मई 2025 तक पाकिस्तान के पास 15.25 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जिससे केवल तीन महीने का खाना-पानी खरीदा जा सकता है। अगले 12 महीनों में पाकिस्तान को 30 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है। पाकिस्तान भारी विदेशी कर्ज और खतरनाक रूप से कम विदेशी मुद्रा भंडार से त्रस्त है। 2024 में पाकिस्तान का विदेशी कर्ज 130 बिलियन डॉलर से अधिक था। पाकिस्तान में मौजूदा खाद्य सामग्री की मात्रा के आंकड़े समय-समय पर बदलते रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन या विश्व खाद्य कार्यक्रम समय-समय पर आंकड़े जारी करते हैं।
कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा
पाकिस्तान कृषि-प्रधान देश है। लोग गेहूं, चावल, मक्का, गन्ना और दालें जैसे खाद्य पदार्थ उगाते हैं। गेहूं देश का मुख्य खाद्य पदार्थ है। 2024 में पाकिस्तान में गेहूं का उत्पादन 31.4 मिलियन मीट्रिक टन था। 2025 में सर्दियों में सूखे के कारण गेहूं उत्पादन में 11-35% की कमी आयी, जिससे उत्पादन 27.9 एमएमटी तक गिर सकता है। चावल का उत्पादन भी महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान दुनिया के प्रमुख चावल निर्यातक देशों में से एक है। साल 2023-24 में पाकिस्तान में चावल का उत्पादन लगभग 9-10 मिलियन टन अनुमानित था, लेकिन साल 2025-26 में उत्पादन कम होने से घाटा उठाना पड़ सकता है। खेतों की सिंचाई के लिए पाकिस्तान सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर करता है। अब जब भारत ने सिंधु जल संधि तोड़ दी है, तो पाकिस्तान सूखे का संकट का झेल सकता है।
खाद्य असुरक्षा भी झेल रहा
पाकिस्तान खाद्य असुरक्षा भी झेल रहा है। 1.1 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा और भुखमरी के संकट से जूझ रहे हैं। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग भुखमरी से त्रस्त हैं। बाढ़, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक संकट ने हालात और खराब कर दिये हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 में पाकिस्तान 99वें स्थान पर था।
पाकिस्तान पर महंगाई की मार
पाकिस्तान आर्थिक संकट, भुखमरी और वैश्विक अनदेखी के साथ-साथ महंगाई की मार भी झेल रहा है। पाकिस्तान में खाद्य पदार्थों की कीमतें हाल ही के वर्षों में तेजी से बढ़ी हैं। जैसे साल 2023 में भिंडी 460 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलो, गोभी 250 रुपये प्रति किलो बिक रही थी। साल 2024 में आलू (99 पाकिस्तानी रुपये/किलो), प्याज (185 पीकेआर/किलो), टमाटर (189 पीकेआर/किलो) और लहसुन (650 पीकेआर/किलो) बिक रहा था।
भारत से तनाव की कीमत
इस बेहद खराब आर्थिक स्थिति में भारत से तनाव मोल लेकर पाकिस्तान दिवालिया होने की तरफ तेजी से आगे बढ़ गया है। तनाव महज 48 घंटे में ही उसकी हेकड़ी निकल गयी। पहलगाम हमले के जवाब में पहले भारत ने आॅपरेशन सिंदूर के तहत एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान की कमर तोड़ दी है।
बाजार में तेजी से गिरावट, चीन का किनारा
भारत से पंगा लेना पाकिस्तान को भारी पड़ गया है। उसके ऊपर चौतरफा मार पड़ी है। पहले भारतीय कार्रवाई में करीब एक सौ आतंकी मारे गये, तो भारतीय ड्रोन हमलों ने ज्यादातर शहरों में हड़कंप मचा दिया। भारत के एक्शन के डर से पाकिस्तानी शेयर बाजार भी खौफ में आ गया और निवेशकों में मची भगदड़ के चलते बाजार तेजी से गिर गया।
कंगाली की हालत में भारत को गीदड़भभकियां देने के बीच शहबाज शरीफ सरकार आर्थिक मदद से लिए फिर से कटोरा लेकर चीन से लेकर आइएमएफ से मदद की गुहार लगायी। लेकिन एक ओर जहां चीन ने पाकिस्तान की स्वैप लाइन को 30 अरब युआन से बढ़ाकर 40 अरब युआन करने की मांग पर चुप्पी साधे रखी, तो वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से भी उसे झटका मिलने की उम्मीद जतायी जा रही है। बता दें कि पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के दौरान आइएमएफ पहले ही चालू कारोबारी साल के लिए पाकिस्तान के जीडीपी ग्रोथ अनुमान में कटौती करके पाकिस्तान को झटका दे चुका है। आइएमएफ ने इसे पूर्व के तीन फीसदी से 30 बेसिस प्वाइंट कम करते हुए 2.6% कर दिया है, जबकि विश्व बैंक ने भी पाक के ग्रोथ रेट अनुमान को घटाकर 2.7 फीसदी किया है।
चीनी हथियारों पर निर्भर पाकिस्तान
पाकिस्तान ने चीन से जे-10 लड़ाकू विमान, जेएफ-17 फाइटर जेट, एचक्यू -9 एयर डिफेंस सिस्टम, पीएल-15 मिसाइल और सीएच-4 ड्रोंस खरीदे हैं। ये एडवांस हथियार हैं। इसके अलावा भी कई चीनी हथियार पाकिस्तान ने खरीदे हैं। अमेरिका स्थित फाउंडेशन फॉर डिफेंस आॅफ डेमोक्रेसीज के एक वरिष्ठ फेलो क्रेग सिंगलटन ने कहा ने सीएनएन की एक रिपोर्ट में कहा है कि यह अब सिर्फ द्विपक्षीय टकराव नहीं है। बल्कि यह इस बात की एक झलक है,कि कैसे चीनी रक्षा निर्यात क्षेत्रीय प्रतिरोध को नया रूप दे रहा है। दूसरी तरफ गुटनिरपेक्षता की पारंपरिक नीति होने के बावजूद, भारत अब अमेरिकी खेमे में जाता दिखता है। अमेरिका, चीन के खिलाफ भारत को एक प्रतिरोध के तौर पर देखता है। भारत, जो दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन चुका है, अमेरिका की स्ट्रैटजी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। भारत ने रूसी हथियारों से अपनी निर्भरता तेजी से घटाई और पिछले कुछ सालों में फ्रांस, अमेरिका, जर्मनी और इजरायल से हथियार खरीदे हैं। ये सभी अमेरिका के सहयोगी है, लिहाजा ये युद्ध एक नजरिए से अमेरिका बनाम चीन युद्ध भी देखा जा रहा है। लेकिन पाकिस्तान के पास न तो पैसे हैं हथियार खरदीने के लिए, है तो बची-खुची जमीन जो बांटता फिर रहा है।