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    Home»Top Story»साकची में निकला अलम का जुलूस
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    साकची में निकला अलम का जुलूस

    shivam kumarBy shivam kumarJuly 6, 2025No Comments2 Mins Read
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    पूर्वी सिंहभूम। मुहर्रम की नौवीं तारीख को शनिवार की देर रात साकची स्थित हुसैनी मिशन इमामबाड़ा से अलम का जुलूस निकाला गया। इससे पूर्व इमामबाड़े में मजलिस का आयोजन हुआ, जिसमें मौलाना सैयद सादिक अली ने करबला की दर्दनाक दास्तान सुनाई। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने इंसाफ और हक के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।

    मौलाना ने बयान किया कि जब कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन अकेले रह गए थे, तो वह अपने बीमार बेटे सैयद-ए-सज्जाद से आखिरी बार मिलने खैमे में पहुंचे। तेज बुखार में तप रहे सज्जाद ने अपने बाबा को पहचान नहीं पाया और चाचा हज़रत अब्बास और भाई अली अकबर के बारे में पूछा। इमाम ने कहा कि सब शहीद हो चुके हैं। इसके बाद उन्होंने अपनी मासूम बेटी सकीना से भी अलविदा लिया। सकीना ने कहा कि वह अपने बाबा के सीने पर लेटे बिना नहीं सो सकती। इमाम ने जवाब दिया – ‘अब जन्नत में जाकर अपने नाना से कौसर का पानी पीना।

    मौलाना सादिक अली ने कहा कि जंग के दौरान इमाम हुसैन को आवाज आई बस ऐ हुसैन, अब तलवार म्यान में रख दो, हमने तुम्हें आजमा लिया। इसके बाद दुश्मनों ने हर ओर से हमला किया। किसी ने तीर चलाया, किसी ने तलवार और जिनके पास कुछ नहीं था उन्होंने पत्थर फेंके। अंततः शिम्र लईं ने इमाम को शहीद कर दिया।

    मजलिस के बाद अलम और ताबूत का जुलूस निकाला गया, जो इमामबाड़ा से शुरू होकर साकची गोलचक्कर तक गया और वापस इमामबाड़े पर समाप्त हुआ। जुलूस में नौहाखानी, सीना-जनी और मातम हुआ। कर्बला की शहादत को याद कर अकीदतमंदों की आंखें नम हो गईं।

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