नई दिल्ली। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (आईआईसीए) और डायरेक्टरेट जनरल रीसेटलमेंट (डीजीआर) नेे वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के साथ स्वतंत्र निदेशक के लिए दूसरा प्रमाणन कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्‍न किया। इस कार्यक्रम में भारतीय सशस्त्र बलों के 30 उच्च-श्रेणी के अधिकारी शामिल हुए।

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने शनिवार को जारी बयान में बताया कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (आईआईसीए) ने डायरेक्टरेट जनरल रीसेटलमेंट (डीजीआर) के साथ मिलकर 5 से 16 मई, 2025 तक गुरुग्राम के मानेसर स्थित आईआईसीए कैंपस में वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के साथ विशेष प्रमाणन कार्यक्रम का दूसरे बैच का समापन किया। इस कार्यक्रम में भारतीय सशस्त्र बलों के 30 उच्च-श्रेणी के अधिकारी शामिल हुए।

मंत्रालय ने कहा कि प्रतिभागियों में एयर मार्शल, वाइस एडमिरल, रियर एडमिरल, एयर वाइस मार्शल, मेजर जनरल, ब्रिगेडियर, कर्नल और ग्रुप कैप्टन सहित अन्‍य श्रेणियों के कुल 30 वरिष्ठ अधिकारियों ने द्वि साप्ताहिक प्रमाणन कार्यक्रम में प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान सभी ने अपने कॉर्पोरेट प्रशासन कौशल को बढ़ाने और सैन्य और कॉर्पोरेट नेतृत्व के प्रतिच्छेदन को समझने पर ध्यान केंद्रित किया।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईसीए के डीजी एवं मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ज्ञानेश्वर कुमार सिंह ने की। समापन कार्यक्रम को लेफ्टिनेंट जनरल एसबीके सिंह, एसएम, डायरेक्टर जनरल, डीजीआर एंड वाइस एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन ने भी संबोधित किया, जिसमें उन्होंने सशस्त्र बलों और कॉरपोरेट जगत में होने वाले अनुभवों के बीच समानताएं बताईं। उन्होंने रेखांकित किया कि कॉरपोरेट में सुशासन के लिए आवश्यक शर्तें-नैतिकता और अखंडता, सशस्त्र बलों में पहले ही मौजूद हैं।

आईआईसीए के डीजी एवं सीईओ ज्ञानेश्वर कुमार सिंह ने उभरते भारतीय कॉरपोरेट परिदृश्य में अनुभवी लोगों की ओर से निभाई जाने वाली अपेक्षित भूमिकाओं के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने संबोधन में विशेष प्रकार के क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की ओर से अधिक क्षमता और उत्पादन पर जोर दिया। सिंह ने अपने संबोधन के दौरान रेखांकित किया कि किस प्रकार यह अनुभव भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र का हिस्सा रहते हुए राष्ट्र निर्माण के योग्य बनाएगा।

वहीं, आईआईसीए में कॉरपोरेट गवर्नेंस एंड पब्लिक पॉलिसी स्कूल के हेड डॉ. नीरज गुप्त ने अपने संबोधन के दौरान सर्वाधिक महत्वपूर्ण हालातों के बावजूद पूरे कार्यक्रम में प्रतिभागियों की उपस्थिति बनाए रखने पर धन्यवाद किया। उन्होंने सार्वजनिक शासन, सैन्य शासन और कॉरपोरेट शासन के विचारों के बीच कन्वर्जेंस और डाइवर्जेंस प्वाइंट्स पर जोर दिया। इसके अलावा उन्‍होंने जोर दिया कि द्वि साप्ताहिक कार्यक्रम का उद्देश्य: (i) प्रतिभागियों को कॉरपोरेट प्रशासन की नियामक समझ और विचारों को समझाना, स्वतंत्र डायरेक्टर की भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में बताना और कॉरपोरेट बोर्ड में योगदान देने में मदद करना था।

इसके अलावा प्रमाणन कार्यक्रम को आईआईसीए में प्रधान रिसर्च असोसिएट डॉ. अनिंदिता चक्रवर्ती और आईआईसीए में वरिष्ठ रिसर्च असोसिएट सीएस आशीष कुमार ने पूरा किया। कॉरपोरेट मामलों पर जानकारी के भंडार, मंत्रालय, कॉरपोरेट और अन्य इकाइयों जैसे नियामकों के साथ नियामक फ्रेमवर्क पर काम करने वाले आईआईसीए ने एक उत्प्रेरक के तौर पर अपनी भूमिका निभाई। संस्थान हमेशा से सुशासन के प्रचार और जिम्मेदार व्यापार आचरण से जुड़ी पहलों में अग्रणी रहा है।

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