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    Home»विशेष»भारत के सुदर्शन चक्र ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को तबाह कर दिया
    विशेष

    भारत के सुदर्शन चक्र ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को तबाह कर दिया

    shivam kumarBy shivam kumarMay 11, 2025No Comments7 Mins Read
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    एस 400 ने ऐसा धोया कि पाकिस्तान कंगाली की हालत में पहुंच गया
    इजरायल की चर्चित प्रणाली से भी मजबूत है भारत का यह एयर डिफेंस सिस्टम
    भारत की सबसे खतरनाक और ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम ने दिल जीता हर भारतीय का
    सेना ने पिछले साल पोखरण में किया था इस प्रतिरक्षा प्रणाली का सफल परीक्षण

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    पाकिस्तान के साथ लगातार बढ़ रहे तनाव और युद्ध जैसी स्थिति में यह जानना बेहद जरूरी है कि भारत के पास ऐसी कौन सी प्रतिरक्षा प्रणाली है, जिससे वह पाकिस्तान की तरफ से होनेवाले हर वार को विफल कर पा रहा है। वास्तव में पिछले कुछ वर्षों से भारत अपने हवाई सुरक्षा ढांचे को लगातार मजबूत कर रहा था, ताकि वह पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से होने वाले संभावित हवाई खतरों का प्रभावी रूप से मुकाबला कर सके। इस कड़ी में उसे इजरायल के आयरन डोम का ध्यान आया, जिसने उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को लगभग अभेद्य बना दिया है। पिछले साल ईरान ने एकसाथ सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलों से इजरायल पर हमला बोल दिया। हालांकि, गिनती की कुछ मिसाइलों के सिवा ईरान का एक भी हमला कामयाब नहीं हो सका। ईरान के एकमुश्त हमलों को नाकामयाब बनाने का श्रेय इजरायल के आयरन डोम को दिया गया। आयरन डोम इजरायल का वह कवच है, जो आसमान से आने वाले घातक से घातक हथियारों को पहचान कर नेस्तनाबूद कर देता है। इस आयरन डोम जैसी प्रणाली विकसित करने का फैसला भारत ने भी किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2024 में पोखरण में इसका सफल परीक्षण भी किया गया। देश की इस वायु रक्षा प्रणाली में आधुनिक मिसाइल सिस्टम, उन्नत रडार और समर्पित कमांड सेंटर शामिल हैं, जो दुश्मन के लड़ाकू विमानों, ड्रोन और मिसाइलों को समय रहते पहचान कर उन्हें नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। क्या है भारत का आयरन डोम और यह हमारे देश को कैसे महफूज रखता है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    पाकिस्तान के साथ लगातार बढ़ रहे तनाव और युद्ध जैसी स्थिति ने भारतीय प्रतिरक्षा प्रणाली पर सभी का ध्यान आकर्षित किया है। पिछले चार दिनों में भारतीय प्रतिरक्षा प्रणाली ने दुश्मन पाकिस्तान के तमाम वार को विफल कर दिया है, क्योंकि भारत की प्रतिरक्षा प्रणाली, यानी आयरन डोम बेहद मजबूत और अभेद्य है। यह आयरन डोम भारत का ऐसा सुरक्षा कवच है, जिसे दुनिया की कोई भी ताकत भेद नहीं सकती है। दरअसल पिछले कुछ दिनों से भारत अपने हवाई सुरक्षा ढांचे को लगातार मजबूत कर रहा था, ताकि वह पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से होने वाले संभावित हवाई खतरों का प्रभावी रूप से मुकाबला कर सके। देश की इस वायु रक्षा प्रणाली में आधुनिक मिसाइल सिस्टम, उन्नत रडार और समर्पित कमांड सेंटर शामिल हैं, जो दुश्मन के लड़ाकू विमानों, ड्रोन और मिसाइलों को समय रहते पहचान कर उन्हें नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। भारत की सुरक्षा स्थिति विशेष रूप से जटिल है, क्योंकि इसके दोनों ओर शक्तिशाली और सैन्य रूप से सक्रिय देश हैं पाकिस्तान और चीन। इन देशों के पास आधुनिक मिसाइलों, ड्रोन, अटैक हेलिकॉप्टर और फाइटर जेट का बड़ा जखीरा है। ऐसे में भारत के लिए सीमाओं और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है।
    विशेषज्ञों के अनुसार भारत को इजरायल के आयरन डोम जैसे अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली की आवश्यकता थी, जो अल्प सूचना पर आने वाले खतरों को रोक सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जरूरत को पहचाना और इसे विकसित करने की परियोजना को हरी झंडी दे दी। इस क्रम में भारत ने इस दिशा में कई कदम उठाये। स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम, रूस के साथ मिलकर विकसित एस-400 प्रणाली और भविष्य में आने वाले एक्सआरएसएएम जैसे प्रोजेक्ट भारत की वायु रक्षा को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में प्रयास थे।

    2024 में तैयार हो चुका था भारत का आयरन डोम
    वर्ष 2024 में भारत ने वायु रक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। देश ने इजरायल के प्रसिद्ध आयरन डोम की तर्ज पर विकसित अपने स्वदेशी स्वरूप का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया, जहां इस नयी प्रणाली ने अपनी क्षमताओं को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया। इस उन्नत प्रणाली को वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (वीएसएचओआरएडीएस या वीशोरैड्स) के नाम से जाना जाता है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित किया गया है और यह चौथी पीढ़ी की शॉर्ट-रेंज वायु रक्षा तकनीक का प्रतिनिधित्व करता है। इसका उद्देश्य भारत की वायु सीमा को छोटे दूरी से आने वाले खतरों-जैसे ड्रोन, हेलिकॉप्टर या कम ऊंचाई पर उड़ने वाली मिसाइलों से सुरक्षित रखना है। वीशोरैड्स को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह अल्प सूचना पर आने वाले खतरों का भी तुरंत जवाब दे सके, जिससे भारत की रणनीतिक और सामरिक ठिकानों की सुरक्षा कई गुना बेहतर हो जाती है। यह प्रणाली भारत की मौजूदा वायु रक्षा क्षमताओं को और अधिक सशक्त बनाती है और देश को आत्मनिर्भरता की दिशा में भी मजबूत कदम बढ़ाने में मदद करती है।

    कैसे काम करता है भारत का अपना आयरन डोम
    वीशोरैड्स एक अत्याधुनिक तकनीक से लैस डिफेंस सिस्टम है, जिसे खास तौर पर युद्ध के मैदान में तेजी से तैनात करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों को मार गिराना है। यह सिस्टम न केवल दुश्मन के हवाई हमलों से रक्षा करता है, बल्कि इसकी खासियत यह है कि इसे कहीं भी आसानी से ले जाकर तैनात किया जा सकता है। इसकी डिजाइन बहुद्देशीय डिफेंस के लिए की गयी है, यानी यह कई तरह के हवाई खतरों से एकसाथ निपट सकता है। वीशोरैड्स सिस्टम में रिएक्शन कंट्रोल टेक्नोलॉजी और इंटीग्रेटेड एविओनिक्स सिस्टम जैसे हाइ-टेक फीचर मौजूद हैं। यह तकनीक मिसाइल को किसी भी दिशा में सटीकता से थ्रस्ट देने में सक्षम बनाती है। इसके साथ ही इसमें एक इमेजिंग इंफ्रारेड होमिंग सिस्टम भी शामिल है, जो दुश्मन के टारगेट को ट्रैक करके मिसाइल को गाइड करता है। संक्षेप में, वीशोरैड्स एक शक्तिशाली और लचीला हवाई सुरक्षा कवच है, जो भविष्य की लड़ाइयों में अहम भूमिका निभाता है।

    कैसे-कैसे एयर डिफेंस सिस्टम हैं भारत के पास
    तेजी से बदलते भू-राजनीतिक माहौल और बढ़ते हवाई खतरों के बीच भारत को अपनी वायु रक्षा प्रणाली को और अधिक सशक्त व संगठित बनाने की जरूरत महसूस हुई। केवल किसी एक विदेशी प्रणाली, जैसे रूस से प्राप्त एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं था। भारत को एक मल्टी-लेयर एयर डिफेंस नेटवर्क विकसित करना पड़ा, जो विभिन्न प्रकार के खतरों से प्रभावी ढंग से निपट सके। इस नेटवर्क में पहले से मौजूद सिस्टम पृथ्वी एयर डिफेंस (पैड), एडवांस्ड एयर डिफेंस (ऐड) और लांग रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (एलआरएसएएम) की एकीकृत और समन्वित तैनाती अत्यंत आवश्यक थी। इसके साथ ही, भारत को छोटे से लेकर बड़े हर रेंज के एयर डिफेंस सिस्टम को एक-दूसरे से जोड़ना पड़ा, ताकि वे अधिक कुशलता से और सामंजस्य के साथ काम कर सकें। यह समन्वय भारत को विभिन्न स्तरों पर आने वाले हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान करता है, चाहे वह कम ऊंचाई से आने वाले ड्रोन हों या लंबी दूरी से दागी गयी बैलिस्टिक मिसाइलें। संपूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी और विदेशी प्रणालियों का सम्मिलन जरूरी था। ऐसी बहु-स्तरीय प्रणाली ही भारत को एक मजबूत वायु रक्षा कवच प्रदान कर सकती थी।
    पाकिस्तान के साथ मौजूदा संघर्ष के दौरान पूरे देश और दुनिया ने भारतीय प्रतिरक्षा प्रणाली की ताकत और क्षमता को देखा है। दुश्मन पाकिस्तान की तरफ से की गयी तमाम कायराना हरकत और उसके हर प्रहार को इस आयरन डोम ने पूरी तरह विफल कर दिया। इससे साबित हो गया है कि भारत की यह प्रतिरक्षा प्रणाली बेहद मजबूत है और इस पर प्रत्येक भारतवासी को गर्व है।

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