रांची: झारखंड में जननी के निवाला में बंदरबांट का मामला सामने आया है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में सरकारी योजना के अनुसार गर्भवती महिलाओं को भोजन या पौष्टिक आहार नहीं दिया जा रहा है। मां और शिशु दोनों की सेहत ठीक रहे, इसके लिए केंद्र सरकार ने जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम चला रखा है। जेएसएसके के नाम से इस योजना के तहत अस्पतालों में संस्थागत डिलिवरी करानेवाली महिलाओं के लिए सामान्य रोगियों से दोगुनी राशि का भोजन दिया जाता है। झारखंड में इस योजना के तहत विशेष भोजन की जगह सामान्य भोजन देकर हर साल करोड़ों की राशि की बंदरबांट की जा रही है।
हर वर्ष डेढ़ करोड़ डकार रहे अधिकारी
इसका प्रमाण सदर अस्पताल, रांची में ही प्रसूता महिलाओं को दिये जा रहे खाने की गुणवत्ता से मिल जाता है। सदर अस्पताल में सीमा देवी ने कहा कि खाना में दाल, चावल और सब्जी है और दाल कम पानी ज्यादा है। सूबे में हर वर्ष तीन लाख के करीब माताओं का प्रसव सरकारी अस्पतालों में होता है। यानी प्रति महिला 50 रुपये के हिसाब से बंदरबांट का आंकड़ा हर वर्ष डेढ़ करोड़ का हो जाता है।
कुपोषित झारखंड की माताएं और उनके शिशु स्वस्थ रहें, इसके लिए सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने वाली माताओं को ज्यादा प्रोटीनस फूड दिया जाना है। मगर ऐसा नहीं हो रहा है। आम मरीजों की तरह गर्भवती महिलाओं को भी सामान्य चावल-दाल और रोटी सब्जी दी जा रही है। योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को फल, हरी सब्जी, अंडे, दूध और अन्य प्रोटीनयुक्त भोजन दिये जाने का प्रावधान है। इसके लिए केंद्र सरकार राज्य को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में लगभग तीन करोड़ रुपये का प्रावधान करती है, परंतु पिछले कुछ वर्षों से अधिकारियों की मिलीभगत से आधी राशि का सामान्य भोजन देकर करोड़ों की बंदरबाट हो रही है।