नई दिल्ली: आतंकी संगठन आईएसआईएस के चंगुल में 3 साल तक रहने के बाद वापस अपने घर लौटी एक महिला की दर्द जिसने भी सुना उसकी आंखे भर आई। अपने साथ हुई हैवानियत का जिक्र करते करते 24 साल की युवती खुद भी आँसुओं में सराबोर हो गई। आतंकियों के चंगुल से लौटी यह महिला इराक की रहने वाली है।

दरअसल 24 साल की नादिया मुराद इराक के कोजो से है, खूंखार आतंकियों की यातनाएं झेल कर अपने घर लौटी नादिरा जब अपने गांव लौटी तो वह भावुक हो उठीं। वह उस स्कूल के पास पहुंची जहां से उसे तीन साल पहले आतंकी उठा ले गए थे। जानकारी के अनुसार यह वहीं स्कूल है जिसमें नादिया और उसके गांव वालों को आतंकियों ने कैद करके रखा था।

इस स्कूल में आतंकियों ने महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग कर के रखा, और फिर सभी पुरुषों की हत्या करने के बाद महिलाओं के साथ हैवानियत की। अपने साथ हुई जुल्म की कहानी बताते हुए नादिया ने बताया कि हमें बेचने और सीरियाइयों, इराकियों, ट्यूनिशियाइयों और यूरोपवासियों द्वारा रेप किए जाने से तो बेहतर यही था कि वो लोग हमें भी मार डालते।

आपको बता दें कि आतंकियों की चंगुल से लौटी नादिया मुराद और एक और यजीदी महिला लमिया अली बशर को यूरोपीय संसद की ओर से सखारोव सम्मान दिया गया है। नादिरा बताया कि आतंकी उसे अपने गढ़ मोसुल ले गए थे, लेकिन साल 2014 में वह किसी तरह से आतंकियों की चंगुल से बच निकली। इसके बाद वह 2015 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अपनी कहानी बताई, और तभी से वह यजीदियों के लिए संघर्ष की लड़ाई लड़ रही हैं।

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