रांची: राजभवन से सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक पुनर्विचार के लिए सरकार को लौटाये जाने के बाद भाजपा के आदिवासी विधायक और सांसद गुरुवार को इस पर मंथन करेंगे। चर्चा के लिए भाजपा के आदिवासी विधायकों, सांसदों और अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पदाधिकारियों की बैठक बुलायी गयी है। नेताओं की रायशुमारी से पहले ‘आजाद सिपाही’ ने भाजपा के आदिवासी विधायकों की नब्ज टटोलने की कोशिश की। सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन पर लगभग सभी विधायकों का मत एक जैसा है। वे सभी सीएनटी की धारा 49 और 71ए में संशोधन पर सहमत हैं। साथ ही वे सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 के बदलाव के पक्षधर नहीं हैं। उनका कहना है कि सीएनटी एक्ट की धारा 21 और एसपीटी एक्ट की धारा 13 में संशोधन से जमीन का नेचर बदलेगा। पढ़िये क्या कहते हैं विधायक।
जमीन का नेचर बदलने पर ट्रांसफर एंड प्रापर्टी एक्ट होगा प्रभावी: शिवशंकर
विधायक शिवशंकर उरांव ने कहा कि सीएनटी एक्ट की धारा 21 और एसपीटी एक्ट की धारा 13 में संशोधन को छोड़ ही दिया जाये। उन्होंने कहा कि इन दोनों एक्ट की इन धाराओं में संशोधन रैयतों के हित में नहीं है, क्योंकि जैसे ही जमीन का नेचर बदलेगा, वह जमीन खुद ब खुद टेनेंसी एक्ट के दायरे से बाहर आ जायेगी और उस जमीन पर ट्रांसफर एंड प्रापर्टी एक्ट प्रभावी होगा। ट्रांसफर एंड प्रापर्टी एक्ट के रूल 17 के मुताबिक अगर कृषि भूमि का नेचर बदल कर गैर कृषि भूमि किया जाता है, तो उस जमीन पर लोकल टेनेंसी एक्ट लागू नहीं होगा। एक्ट में लिखे गये ‘मालिकाना हक’ शब्द को भी परिभाषित करने की जरूरत है। सीएनटी की धारा 71 और 49 में संशोधन आदिवासियों के हित में है। सरकार में रहने के कारण वह आदिवासी हित में सरकार और पार्टी के बीच अपनी बात मजबूती के साथ रखेंगे।
सीएनटी-एसपीटी पर विस्तृत चर्चा की जरूरत : रामकुमार पाहन
भाजपा के विधायक रामकुमार पाहन ने कहा कि सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 पर ज्यादा आपत्तियां हैं। भाजपा के बड़े नेताओं ने भी इस पर सरकार से पुनर्विचार को कहा है। दोनों एक्ट की इन धाराओं पर गहन विचार-विमर्श कर संशोधन पर आम सहमति बननी चाहिए।
धारा 21 और 13 के संशोधन को लेकर वह सरकार और पार्टी में अपनी राय रखेंगे। सीएनटी की धारा 71 और 49 में संशोधन आदिवासी हित में है। उनके विधानसभा क्षेत्र खिजरी के 6-7 गांवों में रिंग रोड के लिए सालों पहले जमीन ली गयी, लेकिन रैयतों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। इस हिसाब से सीएनटी की धारा 49 का संशोधन रैयतों के हित में है।
सारे आदिवासी नेताओं को मिल कर विचार करना चाहिए : विमला प्रधान
भाजपा विधायक विमला प्रधान ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन राज्य के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है। आदिवासी हित में काम होना चाहिए और उनको किसी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए। अपनी जमीन से आदिवासी जुड़े हुए हैं। इस मुद्दे पर राज्य के सारे आदिवासी नेताओं को मिल-बैठ कर विचार करना चाहिए। आदिवासियों के विकास के लिए सरकार तत्पर है, इसलिए संवेदनशील मुद्दों पर सबकी राय जरूरी है।
नीलकंठ सिंह मुंडा : हमारी सरकार आदिवासी हित में काम कर रही है। सीएनटी-एसपीटी एक्ट में बदलाव को लेकर जो आपत्तियां हैं, उस पर पुनर्विचार होगा। सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 पर विधायक पुनर्विचार करेंगे और अपनी भावनाओं से सरकार को अवगत करायेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा हर हाल में आदिवासियों के हित में ही कोई कानून बनायेगी।