औरैया: सरकार सरकारी कर्मचारी की है न कि अन्य आदमी व किसान की। इसलिए जो सरकारी कर्मचारी कहेगा उसे किसान या आम आदमी को मानना ही पड़ेगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो किसान को मायूस होकर घर लौट जाना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला व वायरल वीडियो जनपद औरैया में प्रकाश में आया है। जिसमें एक गेहूं क्रय केंद्र प्रभारी स्पष्ट रूप से किसानों से प्रति कुंतल 50 रुपये के हिसाब की रिश्वत मांग रहा है।
केंद्र प्रभारी द्वारा वायरल वीडियो में यह भी कहा गया है कि यदि वह उसे रुपए न देता तो उसके गेहूं को वह रिजेक्ट कर देता क्योंकि उसका गेहूं इस लायक नहीं था कि उसे सरकारी खरीद केंद्र पर लिया जा सके। मगर रिश्वत लेने के बाद वह गेहूं पूरी तरह से सही ठहरा दिया गया और सरकार द्वारा उसकी कीमत भी अदा कर दी गई।
ऐसा ही एक मामला जनपद औरैया की तहसील अजीतमल के कस्बा अट्सू का प्रकाश में आया। जिसमें केंद्र प्रभारी राजेश यादव द्वारा एक किसान से 50 रुपये  प्रति क्विंटल के हिसाब से रिश्वत ली जा रही है। यह का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ कि जिला स्तरीय अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए और उन्होंने तत्काल जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी को इसकी जांच कराए जाने के निर्देश दिए। निर्देश देने के उपरांत खाद्य एवं विपणन अधिकारी द्वारा मामले की जांच की गई। जिसमें मामला सही पाया गया। उन्होंने केंद्र प्रभारी के विरुद्ध कार्रवाई करने की जानकारी देते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया। इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जब केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा पूरी तरह से भ्रष्टाचार मुक्त किए जाने की बात कही गई है।
मगर उसके उपरांत भी उत्तर प्रदेश सरकार के 3 साल बीत जाने के बाद भी भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। यही नहीं केंद्र सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली सुविधाओं का भी यह जिला स्तरीय अधिकारी पूरी तरह से मजाक उड़ाते हुए नजर आ रहे हैं। इसकी एक बानगी जनपद औरैया में वायरल वीडियो के माध्यम से देखने को मिली। जिसमें एक केंद्र प्रभारी किसान से खुलेआम प्रति कुंतल 50 रुपये के हिसाब से अपना गेहूं बेचने के नाम पर सौदेबाजी करता हुआ नजर आ रहा है। अब देखना यह है कि जिला स्तरीय अधिकारी इस प्रकार के कर्मचारियों के ऊपर क्या कार्रवाई करते हैं या फिर वह भी इस प्रकार के मामलों में संलिप्त हैं।
फिलहाल मामला यह है कि केंद्र व प्रदेश की सरकार चाहे जो कुछ भी कर लें मगर जिला स्तरीय अधिकारी सुधारने का नाम नहीं ले रहे हैं और वह अपनी जेबों को गर्म करने में जुटे हुए हैं। इसके लिए उन्हें चाहे शासन व प्रशासन के नियमों को ताक पर ही क्यों न रखना पड़े वह इससे भी पीछे नहीं हट रहे हैं।
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