कोलकाता, 25 जून (हि.स.)। अपनी विस्तारवादी नीतियों की वजह से पूरी दुनिया के लिए घातक बन चुका चीन आज भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। 1962 में भारत को शिकस्त देने के बाद ड्रैगन का मनोबल सातवें आसमान पर रहता है। गाहे-बगाहे सवा अरब की आबादी वाले भारत को भी आंखें दिखाने से बाज नहीं आता। अब जबकि भारत-चीन सीमा पर हुई हिंसक झड़प में देश के 20 जवान शहीद हो गए हैं तो चीन के खिलाफ हर जगह गुस्सा फूट रहा है। सभी के जेहन में एक ही सवाल है कि क्या चीन से युद्ध होगा? और अगर युद्ध हुआ तो कौन जीतेगा? हकीकत यही है कि जमीनी तौर पर युद्ध में चाहे कोई भी जीते पर चीन ने आज भारत के ग्रामीण क्षेत्रों तक अपनी आर्थिक पैठ बना ली है। सस्ते मोबाइल फोन से लेकर, बहुरंगे मोबाइल एप्लीकेशन तक, भारत के प्राय: हर घर में उसकी पहुंच है। यही वजह है कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद चीनी हैकरों ने भारत के अधिकतर वेबसाइट और उपभोक्ता आधारित सेवाओं को हैक कर लिया। अगर ड्रैगन भारत को आंखें दिखाने की हिमाकत करता है तो इसकी एक बड़ी वजह यह है कि इलेक्ट्रॉनिक सामानों की आपूर्ति के मामले में भारत के गली गली में चीन की पहुंच है। अगर हमें ड्रैगन को घातक चोट देनी है तो हमें उसे आर्थिक शिकस्त देनी होगी। और इसके लिए सबसे कारगर उपाय हैं कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक सामानों का निर्माण चीन से भी सस्ती कीमत पर हो। अब सवाल है कि क्या भारत का उद्योग जगत इलेक्ट्रॉनिक सामानों के मामले में चीन को टक्कर दे सकता है या नहीं।
इस पर “हिन्दुस्थान समाचार” ने मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स के वाइस प्रेसिडेंट ऋषभ कोठारी से बातचीत की है। कोठारी ने स्पष्ट किया है कि अगर कच्चे माल से लेकर तकनीक और वित्तीय मदद से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक स्थापित करने में सरकार मदद करे तो भारत के लिए यह सरल है कि हम चीन के इलेक्ट्रॉनिक सामानों की तुलना में सस्ते सामान बना सकें। दरअसल आज भारत की निर्भरता चीन पर सबसे ज्यादा है। 130 अरब आबादी होने की वजह से चीन के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। फिर भी ड्रैगन की ऐसी हिमाकत है कि हमारे ही देश से सबसे ज्यादा बिजनेस कर हमारे ही पैसे से हमारी सीमा पर सैनिकों को भी मारता है और पाकिस्तान को भी फंडिंग करता है। जहां से आतंक की घुसपैठ होती है और हमारे जवानों पर लगातार फायरिंग भी। आखिर देश के लिए इससे अधिक शर्मिंदगी उठाने वाली बात क्या होगी कि हमारे ऊपर जिन हथियारों से हमले होते हैं उसकी खरीद, निर्माण और आपूर्ति के लिए वित्तीय मदद हम खुद करते हैं। ऐसे में आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो सबसे बड़ी आत्मनिर्भरता तब होगी जब चीन पर हम अपनी निर्भरता पूरी तरह से खत्म करें। आज भारतीय बाजारों में होली हो या दिवाली, पूजा हो जा ईद लाइट से लेकर मोबाइल तक पंखा, बल्ब, टीवी हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले करीब 90 फ़ीसदी इलेक्ट्रॉनिक सामान चीन में बने होते हैं। इसे खरीदने की एक सबसे बड़ी वजह यह है कि इसकी कीमत कम है और फीचर ज्यादा। ऐसे में अगर भारतीय उद्योग जगत इन्हीं सामानों को चीन से भी सस्ते कीमत में उपलब्ध कराने लगे तो ड्रैगन हमारे देश में जो बिजनेस करता है, वह नहीं कर सकेगा और हमारे ही रुपये से हमारे खिलाफ घेराबंदी की उसकी आर्थिक कमर टूट जाएगी।
चीन की सामरिक स्थिति ऐसी है कि वहां सरकार के खिलाफ जनता हमेशा रहती है। अगर चीन खुद को महाशक्ति के तौर पर पेश करता है तो इसकी वजह उसकी आर्थिक मजबूती है और दुनिया भर में फैला उसका व्यापार। उसमें से भारत सबसे बड़ा कारोबारी हब है। इस बारे में ऋषभ कोठारी ने कहा कि भारत में कुछ भी करना संभव है। हम ऐसे देश हैं जो सिर्फ 450 करोड़ रुपये खर्च कर पहली कोशिश में ही मंगल पर पहुंच चुके हैं। तो सस्ते सामान बनाने के मामले में भी हम चीन को शिकस्त दे ही सकते हैं। हम चीन से सस्ते सामान इसलिए भी बना सकते हैं क्योंकि हमारे पास सस्ते और अधिक संख्या में लेबर मौजूद हैं। अगर भारत सरकार उद्यमिता को बढ़ावा दे और उद्योगपतियों को टैक्स में छूट, सामानों को बनाने के लिए खनिजों की उपलब्धता, वित्तीय मदद, कर्ज आदि की सरल व्यवस्था, औद्योगिक स्थापना के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में मदद और उत्पादों पर टैक्स में छूट दे तो हम आसानी से चीन की तुलना में काफी कम कीमत पर सारे इलेक्ट्रॉनिक सामान उपलब्ध करा सकते हैं। भारत में बने उन सामानों को दुनिया भर में निर्यात कर भारत पतियों को दी जाने वाली छूट से कई गुना अधिक लाभ भी कमा सकता है। अगर चीन अपने यहां सस्ता सामान बनाकर भारत में निर्यात कर का भुगतान करके भी यहां के सामानों की तुलना में सस्ता बेच सकता है तो हम तो उससे कई गुना सस्ता बनाकर अपने देश में रख सकते हैं। अगर सरकार इस पर कमर कस ले तो हम न केवल अपने देश की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे बल्कि दुनिया भर में चीन से भी सस्ता विकल्प बन सकते हैं। और अगर ऐसा हुआ तो यह चीन पर सबसे बड़ा आर्थिक प्रहार होगा। भारत अगर इलेक्ट्रॉनिक सामानों की उपलब्धता के मामले में चीन का विकल्प बनकर उभर जाए तो न केवल ड्रैगन हमारे सामने हर मोर्चे पर घुटने टेके हुए नजर आएगा बल्कि भारत विश्व की महाशक्ति के तौर पर उभरेगा।
ऋषभ कोठारी ने कहा कि आज भारत के पास मौका भी है और दस्तूर भी। हमारे जवान शहीद हुए हैं। लोगों के अंदर चीन के प्रति गुस्सा है। हम 3 महीने से कोरोना संकट को झेल रहे हैं और अपने दैनिक जरूरतों को सीमित कर आगे बढ़ रहे हैं। यानी भारत का जन समुदाय मानसिक तौर पर समस्याओं को झेलने के लिए तैयार बैठा है। ऐसे में अगर हम चीन से आने वाले सामानों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाकर भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उद्यमिता को बढ़ावा दें तो देशवासी भी इसमें पूरी तरह से भागीदारी निभाएंगे और यह दुनिया भर में भारत को महाशक्ति के रूप में उभारने का एक सुनहरा मौका है। अगर सरकार और उद्योग जगत इस मौके को चूकते हैं तो यह हमारी आने वाली पीढ़ियों को एक बड़ी मुसीबत में धकेलने का काम होगा।