नई दिल्ली । दिल्ली-एनसीआर में हाल के भूकंप के झटकों की श्रृंखला के बाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्तशासी संस्थान वाडिया हिमालयी भूविज्ञान संस्थान ने कहा है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ऐसे भूकंप के झटके असामान्य नहीं हैं, लेकिन ये संकेत देते हैं कि क्षेत्र में तनाव ऊर्जा का निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा है कि चूंकि भूकंपीय नेटवर्क काफी अच्छा है। ऐसे में दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वर्तमान सूक्ष्म से हल्के झटके रिकार्ड हो सकते हैं।
हालांकि कोई भूकंप कब, कहां और कितनी अधिक ऊर्जा (मैग्निीट्यूट) के साथ आ सकता है, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन किसी क्षेत्र की अति संवेदनशीलता को उसकी पूर्व भूकंपनीयता, तनाव बजट की गणना, सक्रिय फाल्टों की मैपिंग आदि से समझा जा सकता है। दिल्ली-एनसीआर की पहचान दूसरे सर्वोच्च भूकंपीय खतरे वाले जोन (जोन IV) के रूप में की गई है। कभी-कभी एक अति संवेदनशील जोन शांत रह सकता है। वहां छोटी तीव्रता के भूकंप आ सकते हैं जो किसी बड़े भूकंप का संकेत नहीं देते। किसी अनुमान के एक बड़े भूकंप के द्वारा अचानक एक बड़ा झटका दे सकता है। दिल्ली-एनसीआर में आए 14 छोटी तीव्रता के भूकंपों में से 29 मई को रोहतक में आए भूकंप की तीव्रता 4.6 थी।
हाल की घटनाएं ‘पूर्व झटकों’ के रूप में परिभाषित नहीं की जा सकतीं। अगर क्षेत्र में एक बड़ा भूकंप आता है तो उससे तत्काल पूर्व उस क्षेत्र में आए सभी छोटे भूकंपों को ‘पूर्व झटकों‘ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इसलिए वैज्ञानिक रूप से दिल्ली-एनसीआर में आए छोटी तीव्रता के ऐसे सभी भूकंपों को पूर्व झटकों के रूप में सभी निर्धारित किया जा सकता है जब इसके तत्काल बाद एक बड़ा भूकंप आता है। हालांकि इसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। एक बड़े भूकंप जो लोगों एवं संपत्तियों के लिए खतरा बन सकताहै, के आने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। चूंकि किसी भूकंप का पूर्वानुमान किसी तंत्र द्वारा नहीं लगाया जा सकता, इसलिए भूकंप के इन हल्के झटकों को किसी बड़ी घटना के संकेत के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।