औरैया एक जून जेठ दशहरा से धान की नर्सरी डालने का सही समय माना जाता है किसान पन्द्रह जून तक धान की नर्सरी डालते है उसके बाद डाली गयी नर्सरी में धान की पैदावार कम होने की सम्भावना रहती है। अभी तक रजवाहा सूखा पड़ा है पानी की बूँद भी नहीं है। ऐसे में धान की नर्सरी तैयार नही हो सकेगी। देर से डाली गयी नर्सरी में धान की पैदावार कम होने की आसंका बनी रहती है जिससे किसानो को आर्थिक नुकसान हो सकता है।
जिले के फफूंद रजवाहा से क्षेत्र के सैकड़ों गांव की हजारो एकड़ भूमि में धान की फसल होती है धान की नर्सरी डालने का समय एक जून (जेठ दशहरा) से शुरु हो जाता है। पन्द्रह जून तक किसान धान की नर्सरी डालने का हर सम्भव प्रयास करते है, क्योकि उसके बाद डाली गयी नर्सरी लेट मानी जाती है और पैदावार कम होने की सम्भावना बन जाती है। यहां धान की नर्सरी डालने का समय गुजरता जा रहा है लेकिन अभी तक फफूंद रजवाहा में धूल उड़ती नजर आ रही है। बड़े बम्बा में एक बूँद भी पानी नही है। किसान धान की नर्सरी नही तैयार कर पा रहे है। जिन सम्पन्न किसानों पर निजी पानी का साधन है उन्होंने धान की नर्सरी तैयार करने के लिये पौध लगा दी है। अधिकतर किसान बम्बा के पानी पर निर्भर है उनकी नर्सरी अभी नही पड़ पाई है। वे किसान टकटकी लगाये बम्बा में पानी आने की रास्ता देख रहे हैं।
फफूंद रजवाहा से गांव सलूपुर, डिलहा, टीकमपुर, अधासी, भर्रापुर, केशमपुर, शदुल्लापुर, फफूंद फक्कड़पुर, बहादुरपुर, पतरा आदि सैकड़ों गांव के किसानो की धान
 की नर्सरी अभी तक पानी न आने से नही डाली जा सकी है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्षेत्र के किसान डॉक्टर रामसिंह, लाखन सिंह, गैंदालाल, गोविंद सिंह, भगवानदास, डॉक्टर सुरेस चन्द्र, मुन्नू सिंह, जगदीस, शिवम आदि ने जिलाधिकारी से अतिशीघ्र बम्बा में पानी देने की मांग की है।
फफूंद रजवाहा अध्यक्ष गिरधरभक्त मिश्रा ने बताया कि अभी बूढ़ादाना रजवाहा में सिर्फ एनटीपीसी के लिए पानी चल रहा है। एक हफ्ते में फफूंद रजवाहा में भी पानी आने की सम्भावना है।
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