फिल्म निर्देशक और लेखक बासु चटर्जी का 90 साल की उम्र में सुबह 8.30 बजे नींद में निधन हो गया है. मुम्बई के सांताक्रूज स्थित उनके घर पर आज निधन हो गया. बासु दा एक लम्बे समय से बीमार चल रहे थे और उन्हें पहले से ही डायबीटीज व हाई ब्लड प्रशर संबंधी बीमारी थी. उम्र संबंधी बीमारियों के चलते बासु दा का निधन हुआ है और आज दोपहर 2.00 बजे सांताक्रूज के शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

बासु दा ने अपने करियर की शुरुआत एक इलस्ट्रेटर और कार्टूनिस्ट के तौर पर अपने दौर के लोकप्रिय साप्ताहिक अखबार ‘ब्लिट्ज’ से की थी. इस अखबार के लिए उन्होंने 18 साल तक काम किया और फिर उसके बाद उन्होंने फिल्मों से जुड़ने और फिल्म निर्देशन करने का फैसला किया.

70 व 80 के दशक में हिंदी सिनेमा को वास्तविकता के धरातल लाने की कोशिशों के दौरान बासु दा ने चित्तचोर, रजनी, बातों बातों में, उस पार, छोटी सी बात, खट्टा-मीठा, पिया का घर, चक्रव्यूह, शौकीन, रुका हुआ फैसला, जीना यहां, प्रियतमा, स्वामी, अपने पराये, एक रुका हुआ फैसला जैसी कई फिल्मों का निर्देशन किया और हिंदी सिनेमा की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान कायम की.

इनके अलावा उन्होंने कम चर्चित रहीं फिल्में रत्नदीप, सफेद झूठ, मनपसंद, हमारी बहू अलका, कमला की मौत, त्रियाचरित्र भी बनायी.

बासु दा 1969 में आई अपनी फिल्म सारा आकाश के जरिए फिल्मी दुनिया में कदम रखा था. फिल्म सारा आकाश के निर्देशन से पहले बासु दा ने 1966 में रिलीज हुई राज कपूर और वहीदा रहमान स्टारर फिल्म तीसरी कसम के निर्देशक बासु भट्टाचार्य के सहायक के तौर पर काम किया. मध्यवर्गीय समस्याओं को लेकर फिल्में बनाना बासु दा की सबसे बड़ी खासियतों में से एक थी. बासु दा ने दूरदर्शन के लिए ब्योमकेश बख्शी, रजनीगंधा जैसे बेहद लोकप्रिय सीरियल्स का भी निर्देशन किया, जिन्हें उनकी बेहतरीन फिल्मों की तरह की आज भी याद किया जाता है.

उल्लेखनीय है कि बासु दा ने अपने करियर की शुरुआत एक इलस्ट्रेटर और कार्टूनिस्ट के तौर पर अपने दौर के लोकप्रिय साप्ताहिक अखबार ‘ब्लिट्ज’ से की थी. इस अखबार के लिए उन्होंने 18 साल तक काम किया और फिर उसके बाद उन्होंने फिल्मों से जुड़ने और फिल्म निर्देशन करने का फैसला किया.

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version