नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया हिंसा मामले में जल्द सुनवाई करने की मांग करने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई टाल दी। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई के बाद 12 जून को सुनवाई करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और वकील नबीला हसन ने कोर्ट से दिल्ली पुलिस के हलफनामे का जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की जिसके बाद कोर्ट ने 12 जून के पहले जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अपने हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने कहा कि जामिया हिंसा सोची समझी योजना के तहत की गई थी। जामिया हिंसा की जांच में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों से साफ पता चलता है कि छात्र आंदोलन की आड़ में स्थानीय लोगों की मदद से हिंसा को अंजाम दिया गया। 13 और 15 दिसम्बर 2019 को हुई हिंसा के मामले में तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं। इस हिंसा में पत्थरों, लाठियों, पेट्रोल बम, ट्यूबलाइट्स इत्यादि का इस्तेमाल किया गया। इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि विरोध करना सबका अधिकार है लेकिन विरोध करने की आड़ में कानून का उल्लंघन करना और हिंसा एवं दंगे में शामिल होना सही नहीं है। ये आरोप सही नहीं है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन की बिना अनुमति के पुलिस परिसर में घुसी और छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की। दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान और आरोपियों की पूरी लिस्ट हाईकोर्ट को सौंपी है। हाईकोर्ट ने पिछले 22 मई को केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा कि जामिया यूनिवर्सिटी के कई छात्रों को पुलिस ने बुलाया और जांच के नाम पर घंटों बैठाए रखा। यहां तक कि कोरोना संकट के दौरान भी छात्रों को पुलिस परेशान कर रही है। याचिका में कहा गया है कि जामिया यूनिवर्सिटी की हालत आज भी वैसी ही है जैसी पहले थी। इसलिए इस मामले पर जल्द सुनवाई की जाए।
हाईकोर्ट ने पिछले 4 फरवरी को जामिया हिंसा मामले में जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी थी। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा था कि जांच अहम मोड़ पर है और उसे पूरा होने दिया जाए, तभी हम उचित जवाब दे पाएंगे। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा कि जामिया के 93 छात्र घायल हुए। छात्रों ने सीसीटीवी फुटेज के साथ शिकायत भी की। उन्होंने ललिता कुमारी के केस का हवाला देते हुए कहा था कि इन शिकायतों के आधार पर एफआईआर दर्ज किया जाए। तब तुषार मेहता ने कहा था कि कई एफआईआर दायर करने से बेहतर है कि एक समग्र एफआईआर दर्ज किया जाए।
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