प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जैन आचार्य महाप्रज्ञ की जन्मशताब्दी पर कहा कि समाज और सेवा के लिए जीवन को खपाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में जीवन व्यतीत करने का दर्शन तो सहजता से मिल जाता है, लेकिन इस तरह का जीवन जीने वाला आसानी से नहीं मिलता। जीवन को इस स्थिति तक ले जाने के लिए तपना पड़ता है, समाज और सेवा के लिए खपना पड़ता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ की जन्म शताब्दी के पवित्र अवसर पर हम सब एक साथ जुड़े हैं।उनकी कृपा, उनके आशीर्वाद को, आप, मैं, हम सभी अनुभव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनेक जन ऐसे हैं, जिन्हें आचार्य महाप्रज्ञ जी के सत्संग और साक्षात्कार, दोनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उस समय आपने उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव जरूर किया होगा।आचार्य महाप्रज्ञ जी कहते भी थे, ‘मैं और मेरा छोड़ो तो सब तुम्हारा ही होगा’।उनका ये मंत्र, उनका ये दर्शन उनके जीवन में स्पष्ट दिखाई भी देता
था।
मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी अक्सर कहा करते थे कि वह महाप्रज्ञ जी के साहित्य, उनके साहित्य की गहराई, उनके ज्ञान और शब्दों के बहुत बड़े प्रेमी हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महाप्रज्ञ ने जितनी गहराई से आध्यात्म पर लिखा है, उतनी ही व्यापक दृष्टि उन्होंने दर्शनशास्त्र, राजनीति, मनोविज्ञान और अर्थशास्त्र जैसे विषयों पर भी डाला है। इन विषयों पर महाप्रज्ञ ने संस्कृत, हिन्दी, गुजराती, इंग्लिश में 300 से ज्यादा किताबें लिखीं हैं। इस माध्यम से, लाखों करोड़ों लोगों को उन्होंने अवसाद मुक्त जीवन जीने की कला भी सिखाई है।
मोदी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी ने हम सभी को एक और मंत्र दिया था। उनका ये मंत्र था- ‘स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ समाज, स्वस्थ अर्थव्यवस्था।आज की परिस्थिति में उनका ये मंत्र हम सबके लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।
प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि जिस समाज और राष्ट्र का आदर्श हमारे ऋषियों, संत-आत्माओं ने हमारे सामने रखा है, हमारा देश जल्द ही उस संकल्प को सिद्ध करेगा।