रांची। राज्य सरकार ने कई सेक्टरों में व्यापार की अनुमति दे दी है। लेकिन गारमेंट और जूता कारोबारियों को फिलहाल दुकानें खोलने की अनुमति नहीं दी गयी है। इससे दुकानदारों में आक्रोश है। इसे लेकर रांची, दुमका, धनबाद और जमशेदपुर समेत अन्य जिलों में दुकानदारों ने सड़क पर उतर कर विरोध जताया। जूता-चप्पल और कपड़ा दुकानदार दुकानों को खोलने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे तथा नाराजगी जतायी। दुकानदारों का कहना है कि दो महीने से कारोबार बंद है। अगर दुकानें नहीं खुलेंगी तो परिवार कैसे चलेगा। दुकान का किराया और दुकान के स्टाफ को वेतन कैसे देंगे। बता दें कि द अनलॉक-1 में राज्य में कपड़ा और जूता-चप्पल की दुकानों को बंद रखने के आदेश जारी किया गया है।

दुकानें नहीं खुलेंगी तो वेतन कहां से देंगे
राजधानी रांची के दुकानदारों का कहना है कि कपड़ा व्यवसाय को नजरअंदाज किया जा रहा है। बुनियादी चीजों कपड़े, रेडिमेड, जूते और टेलरों को नजरअंदाज कर विलासिता की चीजों को अहमियत दी गयी है। कपड़ा उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े 20 लाख कामगार प्रभावित हैं। कर्मचारियों को कौन वेतन देगा। पिछले 71 दिनों से व्यवसाय पूरी तरह ठप रहने से व्यापारी और कर्मचारी परेशान हैं।

दुमका में मुख्य सड़क जाम किया
दुमका के मुख्य मार्ग पर दुकानदारों ने इकट्ठा होकर दुकानों को खोलने की मांग की और फैसले का विरोध किया। उन्होंने शहर के मुख्य मार्ग को जाम कर दिया। उन्होंने दुकान खोलने की झारखंड सरकार से अनुमति मांगी। इस दौरान दुकानदारों ने नारेबाजी भी की।

धनबाद-जमशेदपुर में भी दुकानदारों में रोष
धनबाद के हीरापुर के कपड़ा और जूता-चप्पल के दुकानदारों ने इस फैसले का विरोध किया। विरोध करने वालों में कॉस्मेटिक दुकान, गिफ्ट खिलौना दुकान, गिफ्ट दुकान, टेलर दुकान संचालक भी शामिल हुए। वहीं, जमशेदपुर के साकची बाजार में कपड़ा दुकानदारों ने दुकानों के सामने खड़े होकर नारेबाजी की। उनका कहना था कि इस फैसले ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है।

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