देहरादून। लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद उत्तराखंड से लगती सीमा पर भी सेना और आईटीबीपी सतर्कता बरत रही है। यहां सीमांत क्षेत्र में सामरिक दृष्टिकोण से जारी निर्माण कार्यों में कोरोना के दौर में जो बाधा आई, अब उसे रफ्तार देने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने फिर से युद्ध स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके लिए झारखंड से 230 मजदूर लाए गए, जो मंगलवार को सीमावर्ती इलाके जोशीमठ और माणा में पहुंच गए हैं।

कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन के दौरान ये मजदूर अपने गांवों को पलायन कर गए थे लेकिन सीमांत क्षेत्रों में बीआरओ तथा अन्य एजेंसियां जो सड़कें तथा अन्य आवश्यक निर्माण कार्य कर रही थीं, वो ठप पड़ गए। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शीर्ष बैठक में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में सड़कों तथा अन्य निर्माण कार्यों में तेजी लाने काे कहा। भारत सीमा पर कुल 73 सड़कें बनाई जा रही हैं। इनमें से 12 पर सीपीडब्ल्यूडी और 61 पर बीआरओ काम कर रहा है। इनमें से 32 परियोजनाओं के काम में तेजी लाने का निर्णय किया गया। यह काम केंद्रीय गृह मंत्रालय की सीधी निगरानी में किया जा रहा है। इस दौरान चीन और भारत के बीच तनाव बढ़ने पर सामरिक दृष्टिकोण से इन कार्यों को तेजी से मुकम्मल करना जरूरी हो गया। नतीजतन, बीआरओ ने भी निर्माण कार्यों में तेजी लाने की योजना बनाई।

इस कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए पर्वतीय राज्यों में हर बार झारखंड से मजदूर आते हैं लेकिन कोरोना के कारण इस बार मजदूरों की गंभीर समस्या हो गई, लिहाजा इसके लिए झारखंड से मजदूरों को विशेष ट्रेन से लाया गया। उन्हें चीन के साथ तनाव की बात समझाई गई तो वे काम पर आने के लिए तैयार हो गए। करीब एक हफ्ता पहले इन्हें ट्रेन द्वारा रुड़की लाया गया और वहां से देहरादून में लाकर इन्हें एकांतवास (क्वारंटाइन) में रखा गया। सात दिन एकांतवास में रहने के बाद मंगलवार को इन्हें उत्तराखंड परिवहन निगम की 11 बसों से सीमावर्ती इलाकों जोशीमठ और माणा पहुंचाया गया। बसों में इन्हें ले जाते समय कोरोना के सभी एहतियाती उपायों का ख्याल रखा गया। मसलन, शारीरिक दूरी, सैनेटाइजेशन और मास्क आदि नियमों का पूरा पालन किया गया।

उत्तराखंड परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने बताया कि सभी 230 मजदूरों को परिवहन निगम की 11 बसों के जरिये मंगलवार को चीन सीमा से सटे जोशीमठ और बदरीनाथ से निकटवर्ती माणा गांव तक पहुंचा दिया गया है।

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