अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार और कश्मीरी नेताओं के बीच पैदा हुए राजनीतिक गतिरोध को दूर करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कश्मीरी नेताओं की अहम बैठक बुलाई है। इसमें विभिन्न दलों के नेता शामिल हो रहे हैं। अधिकतर नेता बैठक में शामिल होने के लिए एक दिन पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं। उधर, जम्मू-कश्मीर और नियंत्रण रेखा पर 48 घंटे का अलर्ट जारी किया गया है। इस दौरान कश्मीर में हाईस्पीड इंटरनेट सेवाओं के बंद रखे जाने का भी निर्णय लिया जा सकता है।
दोपहर तीन बजे प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित होने जा रही बैठक पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। इसके लिए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों व पूर्व उप मुख्यमंत्रियों सहित आठ दलों के 14 नेताओं को बैठक का न्योता भेजा गया। इनमें गुपकार गठबंधन के नेता भी शामिल हैं। गुलाम नबी आजाद, फारुख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, कविंद्र गुप्ता, निर्मल सिंह, रविंद्र रैना, ताराचंद, मुजफ्फर बेग, सज्जाद लोन, भीम सिंह, एमवाई तारागामी, अल्ताफ बुखारी जैसे नेता बैठक का हिस्सा होंगे। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद एक लंबे अंतराल में इनमें से कई नेताओं की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात होगी। कई नेता इस दौरान नजरबंद रहे।
केंद्र सरकार की तरफ से बैठक को लेकर की गयी पहल को राज्य के मौजूदा हालात के बाद काफी अहम माना जा रहा है। इसके लिए कोई एजेंडा नहीं रखा गया है लेकिन माना जा रहा है कि इसमें जम्मू-कश्मीर के विकास सहित राज्य के परिसीमन और अन्य मुद्दों पर केंद्र सरकार स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर सकती है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराने के लिए इन नेताओं से विचार-विमर्श भी हो सकता है। हालांकि महबूबा मुफ्ती सहित कई दूसरे कश्मीरी नेता राज्य में अनुच्छेद 370 की दोबारा बहाली सहित दूसरी मांगें बैठक में रख सकते हैं।
इससे पहले केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर उप राज्यपाल मनोज सिन्हा और शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक के लिए तैयारी कर नेताओं को बैठक का निमंत्रण भेजा। थोड़ी हिचकिचाहट के साथ सभी दलों के नेताओं ने बैठक के लिए केंद्र सरकार के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया। इस अहम बैठक को लेकर देश के साथ-साथ सीमा पार भी काफी चर्चाएं हो रही हैं।
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