आजाद सिपाही 

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद अब भी बरकरार नजर आ रहा है। इसका अंदाजा विदेश मंत्री एस जयशंकर के हालिया बयान से लगाया जा सकता है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद से जुड़े मामले में बड़ा मुद्दा यह है कि क्या चीन अपने वादों पर कायम रह सकता है? क्या वह उस लिखित प्रतिबद्धता पर कायम रहेगा, जिसमें दोनों देश बॉर्डर पर भारी मात्रा में सेना की तैनाती नहीं करने पर राजी हुए थे।

कतर इकोनोमिक फोरम की बैठक को वर्चुअल संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘बड़ी बात यह भी है कि क्या भारत और चीन पारस्परिक संवेदनशीलता एवं सम्मान पर आधारित रिश्ते बना सकते हैं? क्या वे पारस्परिक लाभ को देखते हुए साथ मिलकर आगे बढ़ सकते हैं?’

QUAD कर सीमा विवाद से लेना-देना नहीं
जयशंकर ने साफ किया कि भारत का क्वाड (QUAD) का हिस्सा बनना और चीन के साथ सीमा विवाद में कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि क्वाड के सदस्य देशों के बीच वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अपना एजेंडा है। भारत-चीन सीमा विवाद क्वाड के अस्तित्व में आने से पहले का है। कई मायनों में यह एक चुनौती और समस्या है जोकि क्वाड से बिल्कुल अलग है। बेशक, फिलहाल यहां दो बड़े मुद्दे हैं, जिनमें से एक सैनिकों की तैनाती का मुद्दा है, खासकर लद्दाख में।

G-7 देशों के साथ काम करने को उत्सुक
उन्होंने कहा कि भारत बुनियादी ढांचे के विकास के लिए G-7 देशों के साथ काम करने को उत्सुक है। G-7 के देशों ने हाल में एक बैठक के दौरान चीन के खरबों रुपए के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट से मुकाबला करने के लिए उसी तरह की परियोजना बिल्ड बैक बेटर व‌र्ल्ड (B3W) को शुरू करने पर जोर दिया है।

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