विकसित अर्थव्यवस्थाओं के जी-7 समूह ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर टैक्स को लेकर ऐतिहासिक वैश्विक करार किया है। इसके तहत अब अमेजन, गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों को उचित तरीके से अपने हिस्से के टैक्स का भुगतान करना होगा। लंदन में शनिवार को जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक में यह फैसला लिया गया कि जहां पर कंपनियां अपना व्यापार करती हैं वहां पर उन्हें एक उचित टैक्स देना होगा। बैठक में बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर 15 फीसदी तक टैक्स लगाने पर सहमति बनी।
वित्त मंत्रियों की यह बैठक जी-7 के नेताओं की सालाना शिखर बैठक से पहले हुई है। यह शिखर बैठक 11-13 जून तक कार्बिस बे, कॉर्नवॉल में होगी। ब्रिटेन दोनों बैठकों की मेजबानी कर रहा है।
जी-7 पर कम आय वाले देशों को टीका उपलब्ध कराने के लिए दबाव पड़ रहा है। कर के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय चर्चा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा वैश्विक 15 प्रतिशत के कर दर के विचार को समर्थन के बाद शुरू हुई थी।
इस ऐतिहासिक फेसले से उन सरकारों को करोड़ों डॉलर मिलेंगे, जो कोरोना महामारी की मार झेलने के दौरान कर्ज उतारने की कोशिश कर रही हैं।
अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी, कनाडा, इटली और जापान के बीच ये समझौता होने से अन्य देशों पर भी यही समझौता अपनाने का दबाव बनेगा। खासकर जी-20 समूह के उन देशों पर जिनकी अगले महीने बैठक होने वाली है।
इसलिए पड़ी बदलाव की जरूरत
– सरकारों के सामने लंबे समय से अलग-अलग देशों में कारोबार चला रहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों से टैक्स वसूलने की चुनौती रही है।
– अमेजन, गूगल और फेसबुक जैसी दिग्गज टेक कंपनियों में आए उछाल के बाद ये चुनौती और बड़ी हो गई।
– आज की तारीख में कंपनियां ऐसे देशों में अपनी शाखाएं स्थापित कर सकती हैं, जहां उन्हें तुलनात्मक रूप से कम कॉरपोरेट टैक्स चुकाना पड़ता है और वो वहीं अपना मुनाफा दिखाती हैं।
– ऐसे में उन्हें सिर्फ स्थानीय दरों के हिसाब से ही टैक्स देना होता है, भले उनका ज्यादा मुनाफा कहीं और हो रही बिक्री से आ रहा हो। ये वैध भी है और आमतौर पर कंपनियां ऐसा करती भी हैं।
– ऐसे में उन्हें सिर्फ स्थानीय दरों के हिसाब से ही टैक्स देना होता है, भले उनका ज्यादा मुनाफा कहीं और हो रही बिक्री से आ रहा हो। ये वैध भी है और आमतौर पर कंपनियां ऐसा करती भी हैं।
2 तरह से लगेगी लगाम
1. जी-7 एक वैश्विक न्यूनतम टैक्स दर लागू करना चाहता है, जिससे उन देशों की होड़ खत्म हो जाए, जो टैक्स की दरें कम रखकर आगे निकलने का रास्ता अपनाते हैं।
2. इन नियमों का मकसद कंपनियों से उन देशों में टैक्स भुगतान कराने का होगा, जहां वो अपना उत्पाद या सेवा बेच रही हैं। बजाय उन देशों के, जहां वो अपना मुनाफा दिखाती हैं।