नई दिल्‍ली: ट्विटर को लेकर भारत सरकार का रवैया और सख्‍त हो गया है। केंद्रीय IT मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ट्विटर को खुद को ‘अभिव्‍यक्ति की आजादी के झंडाबरदार’ के रूप में पेश करता है, मगर इंटरमिडियरी गाइडलाइंस का पालन न करने का रास्‍ता चुनता है। उन्‍होंने इस रुख पर हैरानी जताई। प्रसाद ने उत्‍तर प्रदेश के गाजियाबाद में हुई घटना का उदाहरण देकर कहा कि फेक न्‍यूज के खिलाफ लड़ाई में ट्विटर का मनमाना रवैया सामने आ गया।

प्रसाद ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि ‘अगर किसी विदेशी संस्‍था को लगता है कि वह खुद को भारत में अभिव्‍यक्ति की आजादी का ध्‍वजवाहक दिखाकर कानून का पालन करने से खुद को बचा लेगी, तो ऐसी कोशिशें बेकार हैं।’

‘यूपी जैसे मामलों में ऐक्‍शन न लेकर ट्विटर ने किया हैरान’
प्रसाद ने कहा कि ‘तथ्‍य यह है कि 26 मई से प्रभाव में आईं इंटरमिडियरी गाइडलाइंस के अनुपालन में ट्विटर नाकाम रहा है। ट्विटर को कई मौके दिए गए मगर उसने न पालन करने का विकल्‍प चुना।’ उन्‍होंने कहा कि ‘यूपी में जो हुआ उसने फेक न्‍यूज से लड़ाई में ट्विटर का मनमाना रवैया दिखा दिया। ट्विटर अपने फैक्‍ट चेकिंग मैकेनिज्‍म को लेकर काफी उत्‍साहित रहा है मगर यूपी जैसे कई मामलों में उसका ऐक्‍शन न लेना हैरान करता है। यह दिखाता है कि फेक न्‍यूज से उसकी लड़ाई में अस्थिरता है।’

‘कानून मानता नहीं, मनमानी करता है ट्विटर’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भूगोल की तरह भारत की संस्‍कृति भी काफी अलग है। कई बार हालात ऐसे होते हैं कि सोशल मीडिया पर एक छोटी सी चिंगारी से बड़ी आग लग सकती है। इंटरमिडियरी गाइडलाइंस लाने के पीछे यही मंशा थी। उन्‍होंने कहा क‍ि ‘हैरानी की बात यह है कि ट्विटर यहां के कानून के तहत यूजर्स की शिकायतें दूर करने का कोई तंत्र तैयार नहीं करता। ऊपर से, वह अपनी मर्जी से मीडिया को ‘मैनिपुलेटेड’ बता देता है।

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