झारखंड हाइकोर्ट बकाया बिजली बिल मामले को लेकर गंभीर है। कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय लोक अदालत या किसी अन्य माध्यम से मामले का निपटारा करें। सरकारी विभागों से संबंधित 4900 मामले लंबित हैं। कोर्ट की टिप्पणी के बाद जेबीवीएनएल ने सरकारी विभागों से बकाया बिजली बिल मामले के निष्पादन और वसूली को लेकर काम शुरू कर दिया है। झारखंड में सरकारी विभागों पर जेबीवीएनल का 1000 करोड़ से ज्यादा बकाया है। एजेंसी ने विभागों को चेतावनी दी थी कि जल्द से जल्द बकाया बिजली बिल का भुगतान करें, नहीं तो बिजली काट दी जायेगी। जेबीवीएनएल ने इसी के तहत एचइसी की बिजली काट दी थी। एचइसी पर बिजली बिल मद में 160 करोड़ रुपये बकाया है।
जमशेदपुर और धनबाद में भी सरकारी विभागों पर 575 करोड़ से ज्यादा का बकाया हो गया है। बार-बार रिमाइंडर के बाद भी सरकारी विभाग बकाया बिजली बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं। दूसरी तरफ आम उपभोक्ताओं पर अगर बिजली बिल मद में 10 हजार रुपये बकाया हो जाता है, तो उनका तुरंत कनेक्शन काट दिया जाता है, मगर सरकारी विभागों पर करोड़ों बकाया होने के बाद भी बिजली का कनेक्शन नहीं काटता है। आकड़ों के अनुसार झारखंड के 31 सरकारी विभागों में उपभोक्ताओं की संख्या 15061 है। इन विभागों का बकाया बिजली बिल 1000 करोड़ से ज्यादा है। इसमें सबसे जयादा नगर विकास विभाग पर 174.70 करोड़, पेयजल विभाग पर 119.30 करोड़ और स्वास्थ्य विभाग पर 27.05 करोड़ बकाया है।
निगम द्वारा कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 से सभी सरकारी विभागों को बिजली बिल का भुगतान अपने स्तर से किया जाना है। पूर्व में राज्य सरकार द्वारा एकमुश्त राशि का भुगतान किया जाता था। इसके बाद से बिजली बिल मद में किसी भी विभाग द्वारा भुगतान नहीं किया गया है। बकाया राशि में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। जेबीवीएनएल के अफसरों का कहना है कि लंबे समय से एचइसी का बिजली बिल बकाया है। समय-समय पर भुगतान करने के लिए कहा गया, लेकिन बिल नहीं जमा किया जा रहा है।
वहीं जमशेदपुर के सरकारी कार्यालयों पर बिजली विभाग का करीब 250 करोड़ रुपये बकाया है। जल संसाधन विभाग, कृषि विभाग, पुलिस विभाग, पशुपालन विभाग, नगर विकास विभाग, पेयजल व स्वच्छता विभाग, पथ निर्माण विभाग और स्वास्थ्य विभाग पर 15 करोड़ से 43 करोड़ तक का बिजली बिल बाकी है। इन विभागों के प्रमुख को बिजली विभाग की ओर से कई बार भुगतान करने का रिमाइंडर भेजा जा चुका है। वहीं धनबाद में भी सरकारी विभागों 225 करोड़ रुपए बकाया है। बड़े बकाएदारों में जिला प्रशासन, स्वास्थ्य व पुलिस विभाग शामिल है।