सरना धर्म कोड की मांग को लेकर 30 जून को दिल्ली के जंतर-मंतर में सरना धर्म कोड रैली का आयोजन किया जायेगा। शुक्रवार को आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने बताया कि झारखंड, बंगाल, बिहार, ओड़िशा, असम और अन्य राज्यों तथा नेपाल, बांग्लादेश आदि स्थानों से प्रतिनिधि इस धरना-प्रदर्शन में शामिल होंगे। भारत के अधिकांश आदिवासी क्योंकि हिंदू, मुसलमान, इसाई आदि नहीं हैं। वे प्रकृति पूजक हैं, मूर्तिपूजक नहीं हैं। सरना धर्म कोड उनकी भाषा संस्कृति, विशिष्ट परंपराएं और अस्मिता, अस्तित्व के लिए जरूरी है। अन्यथा अनेक प्रकार के दबाव, प्रलोभन एवं नासमझी के कारण भी प्रकृति पूजक आदिवासियों का जबरन धर्मांतरण किया जा रहा है। 2011 की जनगणना में सर्वाधिक लगभग 50 लाख आदिवासियों ने अन्य कॉलम में सरना धर्म लिखाया था। उन्होंने बताया कि धरना-प्रदर्शन के साथ भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री को ज्ञापन पत्र सौंपा जायेगा।

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