– वित्त वर्ष की पहली छमाही में एसजीबी की दो सीरीज जारी होंगी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) की पहली सीरीज का ऐलान कर दिया गया है। पहली सीरीज के तहत 19 जून से लेकर 23 जून के बीच निवेशक इस स्कीम में निवेश कर सकेंगे। इस स्कीम के तहत सोने में 8 साल की अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है।

भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की दो सीरीज जारी की जाएंगी। पहली सीरीज 19 जून से शुरू होकर 23 जून को बंद होगी, जबकि इसकी दूसरी सीरीज सितंबर के महीने में जारी की जाएगी। इस स्कीम के तहत निवेशक हाजिर बाजार से कम कीमत पर सोने में निवेश कर सकते हैं।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम भारत सरकार की ओर से सोने में निवेश को बढ़ावा देने के लिए चलाई जाने वाली एक योजना है, जिसमें निवेशकों के पैसे की सुरक्षा की गारंटी खुद भारत सरकार देती है। भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत भारतीय रिजर्व बैंक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम का संचालन करता है। इस स्कीम के तहत किसी भी बैंक के जरिए निवेश किया जा सकता है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत सोने की कीमत 24 कैरेट (999) सोने की कीमत से जुड़ी होती है। इसकी कीमत सब्सक्रिप्शन डेट के पहले के तीन कारोबारी दिनों में 24 कैरेट सोने के भाव के औसत के आधार पर तय की जाती है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करने और खरीदने पर निवेशकों को प्रति ग्राम 50 रुपये की छूट भी मिलती है, जिससे ये बॉन्ड बाजार की कीमत से सस्ता पड़ता है।

इस स्कीम के तहत निवेशक न्यूनतम 1 ग्राम सोने के बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। व्यक्तिगत स्तर पर अधिकतम 4 किलो सोने के बॉन्ड में इस स्कीम के तहत निवेश किया जा सकता है। इसी तरह अविभक्त हिंदू परिवार (एचयूएफ) भी अधिकतम 4 किलोग्राम सोने के बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। जबकि ट्रस्ट या विश्वविद्यालय इस योजना के तहत अधिकतम 20 किलोग्राम सोने के बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत किया गया निवेश 8 साल की अवधि पूरा होने के बाद मैच्योर होता है। हालांकि 5 साल की अवधि के बाद भी इस स्कीम से अपना पैसा निकालने की सुविधा दी जाती है। 8 साल के मैच्योरिटी पीरियड के बाद निवेशक को मिलने वाले रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री होता है। निवेश की अवधि के दौरान निवेशकों को 2.5 प्रतिशत की दर से ब्याज का भी भुगतान किया जाता है।

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