नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने देश की मजबूत 7.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का हवाला देते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर भारत की विकास यात्रा के खिलाफ निराशावाद, घृणा और अविश्वास का बाजार फैलाने का आरोप लगाया है।

भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कथित नफरत के बीच प्यार का संदेश फैलाने का राहुल गांधी का दावा महज एक छलावा है। राहुल की प्राथमिकता तो केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत के विकास के खिलाफ नफरत फैलाना है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि 2022-23 में जीडीपी ग्रोथ 7.2 प्रतिशत है जोकि विशेषज्ञों के अनुमान से अधिक है। उन्होंने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों ने राहुल गांधी के नफरत के बाजार के झूठ का पर्दाफाश कर दिया है।

रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी के एक पुराने वायरल वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि इसमें वह (राहुल गांधी) आरबीआई के पूर्व गवर्नर के साथ बातचीत के दौरान दावा कर रहे थे कि भारत का निर्यात धीमा हो रहा है। भाजपा नेता ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में, भारत ने रिकॉर्ड 770 बिलियन अमरीकी डालर का निर्यात दर्ज किया, जो अब तक का सबसे अधिक है।

उन्होंने कहा कि मैं आपके (राहुल गांधी) दावे का जवाब देना चाहता हूं कि आप नफरत के माहौल में प्यार और स्नेह फैलाना चाहते हैं। लेकिन आप निराशावाद का बाजार क्यों फैला रहे हैं और भारत की विकास गाथा में विश्वास की कमी का खुला प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं।

रविशंकर ने कहा कि भारत आज गरीबों, उपेक्षितों, वंचितों, किसानों, उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर की चिंता करने वाला देश है। भारत का सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी आर्थिक विकास है। जो प्रायोजक विशेषज्ञ हैं, उनके सारे प्रिडिक्शन गलत साबित हुए। राहुल गांधी जी अगर आपको उचित लगे तो इन रिपोर्ट्स को खुले मन से पढ़िए और भारत के बारे में नफरत का बाजार फैलाना बंद कीजिए।

उन्होंने कहा कि विदेशों में भारत की प्रतिभा और भारत की छवि को बदनाम करना राहुल गांधी ने अपना लक्ष्य बना रखा है। जो लंदन में कहा, सिंगापुर में कहा, जर्मनी में कहा वहीं अमेरिका में कह रहे हैं। राहुल गांधी को देश न सुनता है और न सुनेगा।

भाजपा नेता ने कहा कि आज भारत की नई ससंद की वास्तुकला की दुनियाभर में प्रशंसा हो रही है और राहुल गांधी ने उसे अहंकारी का स्मारक बताया। ये उनकी नफरत है और वह ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। भारत की नई संसद का इस तरह से तिरस्कार करना इंस्टीट्यूशन का अपमान है। चुनाव आयोग, सीवीसी, सीएजी के खिलाफ घटिया बातें करने इंस्टीट्यूशन का अपमान है और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर दवाब की बात करना भी इंस्टीट्यूशन का अपमान है।

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