-दर्शन के लिए भी भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे

रांची। राजधानी के जगन्नाथपुर में घुरती रथ यात्रा को लेकर सुबह से ही लोगों की भीड़ उमड़ रही थी। वहीं भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए भी भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। बता दें, मौसीबाड़ी में 9 दिनों के प्रवास के बाद गुरुवार को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर वापस अपने घर लौटे।
देर शाम जगन्नाथ मुख्य मंदिर पहुंचे भगवान
मौसीबाड़ी में भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ दोपहर बाद रथ पर सवार होकर वापस अपने घर लौटे। इससे पहले करीब 1 घंटे तक मंत्रोच्चारण के साथ उनकी विधिवत पूजा-अर्चना की गयी। इसके बाद जयघोष के साथ मूर्तियों को रथ पर रखा गया। यानी भगवान जगन्नाथ मौसीबाड़ी से अपने निवास स्थान लिए रथ पर सवार होकर रवाना हुए। और वे देर शाम को मुख्य मंदिर पहुंचे। इस बीच श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ का दर्शन किया। घुरती रथ यात्रा मेला और भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए लोग सुबह से मेला स्थल पर पहुंच रहे थे।

9 दिनों के प्रवास पर मौसीबाड़ी गए थे भगवान
बता दें, भगवान जगन्नाथ स्नान के बाद अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ 4 जून को एकांतवास में चले गए। जहां 15 दिनों के एकांतवास के बाद वे 19 जून को वापस लौटे थे। उन्हें उसी दिन भूगर्भ से बाहर निकाला गया था इसके बाद श्रद्धालुओं को दर्शन देते हुए और रथ में सवार होकर भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ 9 दिनों के प्रवास के लिए 20 जून को अपने मौसी के घर यानी मौसीबाड़ी के लिए रवाना हुए थे। भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर से नौ दिनों के प्रवास के बाद अपने निवास स्थल जगन्नाथ मुख्य मंदिर पहुंचे। इसे लेकर सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही थी। रांची में रथयात्रा की परंपरा 323 सालों से चली आ रही है। रांची में जगन्नाथपुर मंदिर का निर्माण बड़कागढ़ के महाराजा ठाकुर रामशाही के चौथे बेटे ठाकुर ऐनीनाथ शाहदेव ने 25 दिसंबर 1691 में कराया था।

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