(गुरु पूर्णिमा पर विशेष)
– स्वामी अड़गड़ानंद महाराज की चरण रज लेने के लिए प्रतिवर्ष आते हैं लाखों श्रद्धालु
– भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकली गीता को सरल भाष्य में प्रतिपादित कर यथार्थ गीता के रूप में कर चुके हैं उसका लेखन
मीरजापुर। भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकली गीता को सरल भाष्य में प्रतिपादित कर यथार्थ गीता के रूप में उसका लेखन करने वाले स्वामी अड़गड़ानंद महाराज का परमहंस आश्रम सक्तेशगढ़ आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए शक्ति केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका है।
महाराजश्री के लाखों अनुयायी अपने गुरु की चरण रज लेने और उनके मुखारबिंदु से निकली ज्ञानवाणी का श्रवण करने के लिए प्रतिवर्ष यहां आते हैं। करीब एक किलोमीटर के दायरे में स्थापित आश्रम में पहुंचते ही एक विशेष प्रकार के ज्ञानमयी आनंद की प्राप्ति होती है। वहीं आश्रम में फैली हरितिमा और कण-कण में विद्यमान परमहंस श्री श्री 1008 स्वामी परमानंदजी महाराज की धुनी से निकले आशीर्वाद से प्रत्येक भक्त की अंतरआत्मा आनंद की अनुभूति करती है। अपने अनुयायियों के लिए सर्वजन सुलभ स्वामी अड़गड़ानंद महराज का भक्तों को संदेश होता है कि इंद्रियों को संयमित कर एक प्रभु का भजन करने से आत्मा से परात्मा का मिलन होता है। शरीर के पोषण के लिए भोजन आवश्यक है तो आत्मिक पोषण के लिए भजन नितांत आवश्यक है।
सन् 1991 में स्वामी अड़गड़ानंद ने राजा विजयपुर के किले को बनाया अपना आश्रम
सक्तेशगढ़ आने के पूर्व स्वामी अड़गड़ानंद महाराज कछवां स्थित स्वामी जगतानंद आश्रम में रहते थे। राजा विजयपुर का एक किला सक्तेशगढ़ में स्थित था, जो रख-रखाव के अभाव में क्षतिग्रस्त हो रहा था। विजयपुर की रानी को जब यह जानकारी मिली कि सक्तेशगढ़ आश्रम में संत प्रवास करना चाहते हैं तो उन्होंने सहर्ष किला दान स्वरूप महाराजश्री को दे दिया। सन् 1991 से स्वामी अड़गड़ानंद का सक्तेशगढ़ आना-जाना लगा रहा और 10 जून सन् 1995 में स्वामीजी अपने शिष्यों के साथ पूर्ण रूप से इस आश्रम में आ गए। तत्समय पूर्णतः जंगली इलाके में स्थित सक्तेशगढ आने का कोई विशेष साधन नहीं था, लेकिन इस राष्ट्रीय संत के चरण पड़ते ही जंगल में मंगल हो गया और इस आश्रम से निकली परमहंस महाराज की कृपा प्रसाद स्वामी अड़गड़ानंद महाराज की वाणी की अनुगूंज धीरे-धीरे पूरे देश में सुनाई देने लगी। कभी दो-चार सौ भक्तों का आगमन वाले इस आश्रम में आज पूरे वर्ष का औसत निकालें तो प्रतिदिन पांच हजार से अधिक भक्तों का आगमन होता है।
आश्रम में रहते हैं करीब दो सौ संत महात्मा
आश्रम परिसर में महाराजश्री के शिष्य के रूप में करीब दो सौ संत महात्मा प्रवास करते हैं। यहां आध्यात्म की खोज में आने वाले संत प्राकृतिक कुटिया में रहकर स्वामी अड़गड़ानंद का सानिध्य प्राप्त करते हैं और यहां से ऊर्जा प्राप्त कर देश के विभिन्न स्थानों पर जाकर भजन प्रवचन कर भक्तों को स्वामी अड़गड़ानंद की वाणी से निहाल करते हैं। यहां भक्तों के लिए अलग आवासीय व्यवस्था है।
संत महात्माओं व भक्तों के लिए होता है भंडारा
आश्रम परिसर में आने वाले भक्तों तथा यहां प्रवास करने वाले संत महात्माओं के लिए प्रतिदान भंडारे में आश्रम के सेवादार प्रसाद तैयार करते हैं। प्रमुख पर्वों पर होने वाली भीड़ के मद्देनजर यहां महिला व पुरुष भक्तों के लिए अलग-अलग दो विशालकाय भंडारा हाल बनाए गए हैं। इनमें एक साथ 25 हजार से अधिक श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।
आश्रम परिसर में लगे पेड़ पौधे देते हैं आत्मिक सुख
परमहंस आश्रम सक्तेशगढ़ के विशालकाय परिसर में चारों ओर हरितिमा का साम्राज्य है। महाराजश्री के आवासीय कुटिया परिसर तथा मुख्य द्वार पर खड़े शिवलिंग के दुर्लभ वृक्ष यह बताने के लिए पर्याप्त है कि जहां संतो के चरण पड़ जाएं वो धरा स्वयं में स्वर्ग की अनुभूति कराने लगती है। नारद महाराज ने बताया कि यहां ठंड के मौसम में भी आम के वृक्ष में दो चार आम के फल मिल जाते हैं। पूरे परिसर में बड़ी संख्या में आम, अमरुद, नारयिल, सेब जैसै फलदार एवं दालचीनी, तेज पत्ता, काली मिर्च, गुरुच, सिंदूर जैसे अन्य ऐसे पेड़ पौधे हैं जो पर्यावरण के अनुकूल न होते हुए भी फल दे रहे हैं।
1983 में हुआ यथार्थ गीता के प्रथम संस्करण का प्रकाशन
स्वामी अड़गड़ानंद के शब्दों में ‘‘पूज्य श्रीपरमहंसजी महाराज की वाणी तथा अंतःप्रेरणा से मुझे गीता का जो अर्थ मिला उसी का संकलन यथार्थ गीता है’’। आश्रम के वरिष्ठ संत नारद महाराज ने बताया कि परमहंस स्वामी परमानंदजी महाराज के आदेश पर चित्रकूट आश्रम में रहते हुए स्वामी अड़गड़ानंद महाराज ने यथार्थ गीता का लेखन व संपादन किया। यथार्थ गीता की तीन-चार आवृत्ति मात्र से गीता का पूरा सार समझ में आ जाएगा।
अब तक निःशुल्क वितरित की जा चुकी है 25 लाख से अधिक प्रतियां
भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकली गीता मानव मात्र के लिए धर्म का अतर्क्य शास्त्र है। विश्व के सभी दर्शन शास्त्रों का अकेले ही प्रतिनिधित्व करने वाली गीता के उपदेशों को सरल भाषा में संकलित कर लिखी गई यथार्थ गीता के प्रकाशन की जो यात्रा 1983 में शुरु हुई वो आज तक अनवरत जारी है। नारद महाराज ने बताया कि आश्रम से अब तक 25 लाख से अधिक प्रतियों का निःशुल्क वितरण किया जा चुका है। यथार्थ गीता का प्रकाशन हिंदी, मराठी, पंजाबी, गुजराती, उर्दू, संस्कृत, उड़िया, बंग्ला, तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, आसामी, सिंधी तथा अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, नेपाली, स्पेनिश, फारसी, डच, जापानी, इंडोनेशियन, नार्वेजियम, चाइनीज, इटालियन, रूसी, पुर्तगाली तथा अरबी विदेशी भाषाओं में किया जा चुका है।
15 अन्य पुस्तकें भी हैं प्रकाशित
यथार्थ गीता के अतिरिक्त स्वामी अड़गड़ानंद महाराज की 15 अन्य पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है। इनमें शंका समाधान, जीवनादर्श एवं आत्मानुभूति, अंग क्यों फड़कते हैं, क्या कहते हैं, अनछुए प्रश्न, एकलव्य का अंगूठा, भजन किसका करें, योगशास्त्रीय प्राणायाम, षोडशोपचार पूजन-पद्धति, योग दर्शन-प्रत्यक्षानुभूत व्याख्या, ग्लोरिश आफ योगा, प्रश्न समाज के-उत्तर गीता से, गीता के प्रमुख प्रश्न, भगवान सदगुरु, बारहमासी, अंहिसा का स्वरूप है।
गूरु पूर्णिमा पर उमड़ता है आस्था का सैलाब, होती है लाखों की भीड़
सक्तेशगढ़ आश्रम में गुरु पूर्णिमा के अलावा हिंदू त्योहारों जैसे-होली, दीवाली, देव दीपावली, एकादशी, शिवरात्रि, बसंत पंचमी समेत राष्ट्रीय पर्वों पर भी बड़ी संख्या में अनुयायी आते हैं। सक्तेशगढ़ के अलावा उत्तर प्रदेश के 21 जनपदों समेत हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, उत्तराखंड, बिहार आदि प्रांतों में भी स्वामी अड़गड़ानंद के आश्रम हैं। गुरु महाराज के आश्रम में होने की जानकारी मिलने पर रोजाना भक्तों की भीड़ होती है। भक्तों को प्रतिदिन सुबह-शाम करीब एक घंटे तक महाराजश्री दर्शन देकर प्रवचन करते हैं।
बड़ी हस्तियों ने आश्रम आकर लिया है आशीर्वाद
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान दो बार स्वामी अड़गड़ानंद महाराज के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या, विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल, कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाई पंकज मोदी, पूर्व मंत्री शिवपाल यादव समेत बड़ी संख्या में देश के सांसद व विधायक समेत नौकरशाह एवं अन्य विशिष्ट लोग महाराजश्री का आशीर्वाद लेने आते रहे हैं।