Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Friday, May 23
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»ओम बिरला का स्पीकर बनते ही मोदी 3.0 का स्पष्ट संदेश, सरकार जैसे चलती थी, वैसे ही चलेगी, न कोई दबाव न छेड़छाड़
    विशेष

    ओम बिरला का स्पीकर बनते ही मोदी 3.0 का स्पष्ट संदेश, सरकार जैसे चलती थी, वैसे ही चलेगी, न कोई दबाव न छेड़छाड़

    shivam kumarBy shivam kumarJune 27, 2024No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    भाजपा सांसद और एनडीए के उम्मीदवार ओम बिरला लोकसभा के अध्यक्ष चुन लिये गये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत कई दिग्गजों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। विपक्ष की ओर से के सुरेश के नाम का प्रस्ताव रखा गया था। भाजपा ने ओम बिरला को स्पीकर बनाने का फैसला करके साफ कर दिया कि सरकार जैसे पहले चलती थी, वैसी ही अब भी चलेगी। वहीं कांग्रेस ने अपना कैंडिडेट उतारकर साबित करने की कोशिश की है कि विपक्ष अब कमजोर नहीं है। ओम बिरला को ध्वनिमत से लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। वह दूसरी बार इस उत्तरदायित्व को संभाल रहे हैं। पांचवीं बार ऐसा होगा कि कोई अध्यक्ष एक लोकसभा से अधिक कार्यकाल तक इस पद पर आसीन रहेगा। इसके अलावा एक तथ्य यह भी है कि कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ एकमात्र ऐसे पीठासीन अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने सातवीं और आठवीं लोकसभा में दो कार्यकाल पूरे किये हैं। इसके अलावा आज तक किसी ने भी इस आसन पर दो कार्यकाल पूरे नहीं किये हैं। जब बिरला ने अध्यक्षीय आसन ग्रहण किया, तो पीएम मोदी, राहुल गांधी और रिजिजू ने उन्हें बधाई और शुभकामना दी। आम बिरला को आसन तक ले जाने के लिए पीएम मोदी और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के साथ नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी साथ आये। आखिर भाजपा ने फिर से ओम बिरला पर दांव खेलकर क्या संदेश देने की कोशिश की है बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    लोकसभा सत्र की शुरूआत हुए दो ही दिन हुए थे कि सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गये। मामला लोकसभा स्पीकर के पद को लेकर था। डिप्टी स्पीकर का पद मांग रहे विपक्ष ने सहमति न बनने पर लोकसभा स्पीकर के लिए के सुरेश को प्रत्याशी बना दिया। वहीं एनडीए की तरफ से ओम बिरला प्रत्याशी थे। 26 जून को ध्वनि मत से ओम बिरला स्पीकर चुन लिये गये। इसके लिए वोटिंग की नौबत नहीं आयी। अगर वोटिंग होती तो देश के संसदीय इतिहास में यह सिर्फ तीसरा मौका होता, जब लोकसभा स्पीकर का चुनाव वोट डालकर किया जाता। भारत के संसदीय इतिहास में इससे पहले लोकसभा स्पीकर के चुनाव के लिए सिर्फ दो बार ही वोटिंग हुई है। 1952 में पहले आम चुनाव के बाद लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ था। प्रधानमंत्री नेहरू ने जीवी मालवंकर के नाम का प्रस्ताव रखा था। 16 सांसदों वाली सीपीआइ ने उनके खिलाफ अलग उम्मीदवार खड़ा कर दिया। दूसरी बार इमरजेंसी के बाद 1976 में स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ था। वहीं कुर्सी संभालते ही ओम बिरला ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र को संबोधित किया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और सदन के सभी सदस्यों धन्यवाद किया। साथ ही आपातकाल की निंदा की। इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया।

    ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष बनाना राजनीतिक स्थिरता का संदेश
    भाजपा ने ओम बिरला का नाम इसलिए भी आगे किया, ताकि राजनीतिक स्थिरता बनी रहे। प्रधानमंत्री ने बड़े पोर्टफोलियो जैसे गृह मंत्री, रक्षा मंत्री नहीं बदले हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रिंसिपल सेक्रेटरी तक नहीं बदले। अब स्पीकर भी वही होगा। पीएम मोदी देश-दुनिया को मैसेज देना चाहते हैं कि मोदी सरकार 3.0 पहले की तरह ही चल रही है। उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। यानी मोदी उसी ताकत के साथ सरकार चलायेंगे जैसा कि वह पहले चलाते रहे हैं। यह मैसेज भाजपा के प्वाइंट आॅफ व्यू से बहुत अच्छा है। मोदी सरकार ने यह भी मैसेज दे दिया है कि यह सरकार किसी के दबाव में काम नहीं करेगी। यह किसी भी सरकार के लिए सही भी है। क्योंकि सभी का अपना विजन होता है और उस प्रोसेस में जरा सी भी दखलंदाजी लक्ष्य को कमजोर करती है। अगर एक बार सरकार बन गयी और भरोसा हासिल हो गया तो उसे काम करने देना चाहिए। ओम बिरला मोदी के टीम की अहम कड़ी हैं। उनके कार्यकाल में मोदी सरकार ने कई अहम फैसले भी लिये।

    भाजपा के अहम फैसलों के गवाह रहे हैं ओम बिरला
    ओम बिरला सबसे सक्रिय सांसदों में रहे हैं। वह स्पीकर के रूप में कड़े फैसले लेने के लिए भी जाने जाते रहे। राजस्थान की कोटा लोकसभा सीट से लगातार तीन बार सांसद बनने वाले और राजस्थान में तीन बार विधायक भी रह चुके ओम बिरला बीजेपी नेतृत्व की पहली पसंद बन गये हैं। लोकसभा चुनाव का परिणाम आने और मंत्रिमंडल के गठन के बाद लोकसभा अध्यक्ष के लिए कई नाम चर्चा में आये, लेकिन ओम बिरला का नाम टॉप पर रहा। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में कई पूर्व मंत्रियों को फिर से कैबिनेट में स्थान दिया था। उससे यह साफ हो गया था कि ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी फिर से मिलने वाली है। इसकी बड़ी वजह यह भी थी कि बिरला के कामकाज से बीजेपी नेतृत्व पूरी तरह से संतुष्ठ था। पिछले पांच साल में सदन में कभी ऐसी नौबत नहीं आयी, जब सत्ता पक्ष को स्पीकर की वजह से झुकना पड़ा हो। ओम बिरला भाजयुमो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। बतौर सांसद पहले कार्यकाल में 86 फीसदी उपस्थिति के साथ 671 प्रश्न और 163 बहसों में भागीदारी की थी। 2019 में दूसरी बार सांसद बनने पर लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया। ओम बिरला के कार्यकाल में ही नये संसद भवन का निर्माण हुआ। उनके कार्यकाल में ही तीन आपराधिक कानून, अनुच्छेद 370 को हटाने, नागरिकता संशोधन अधिनियम समेत कई ऐतिहासिक कानून भी पारित हुए। उन्होंने लोकसभा के 100 सांसदों के निलंबन और संसद की सुरक्षा पर कुछ कड़े फैसले लिये। 17वीं लोकसभा की उत्पादकता 97 प्रतिशत रही, जो पिछले 25 वर्षों में सर्वाधिक है। कोरोना महामारी के बीच आयोजित 17वीं लोक सभा के चौथे सत्र की उत्पादकता 167 प्रतिशत रही जो लोक सभा के इतिहास में सर्वाधिक है। संसद के संचालन में वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित कर 801 करोड़ की बचत की गयी। उनके कार्यकाल के दौरान 222 विधेयक कानून बने, जो पिछली तीन लोक सभा में सर्वाधिक है। ओम बिरला के प्रयासों से 17वीं लोक सभा के दौरान ऐसा चार बार हुआ एक प्रश्नकाल में सभी 20 तारांकित प्रश्नों के उत्तर दिये गये। ज्ञान के समृद्ध कोष संसद की लाइब्रेरी को 17 अगस्त 2022 से आमजन के लिए खोल दिया गया।

    स्पीकर का विशेषाधिकार
    सदन में चर्चा के दौरान एजेंडा तय करने, बहस के लिए मौका देने से लेकर दल-बदल कानून में फैसला देने तक स्पीकर के पास विशेषाधिकार होते हैं। जानकारों की मानें तो सदन में स्पीकर का फैसला ही आखिरी और सर्वमान्य होता है। अगर स्पीकर फैसला करे कि कार्यवाही का कोई हिस्सा रिकॉर्ड में नहीं जायेगा, तो वह नहीं जाता है। स्पीकर के फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। दल-बदल कानून के मामले में भी स्पीकर ही फैसला करते हैं। हालांकि उस वक्त वे ट्रिब्यूनल की तरह फैसला करते हैं और ऐसे मामले में फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

    ओम बिरला आये चर्चा में
    ओम बिरला राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव थे। इस दौरान उन्होंने गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी थी। इतना ही नहीं, उन्होंने 2004 की बाढ़ के दौरान भी पीड़ितों की जमकर मदद की। साल 2006 में ओम बिरला सुर्खियों में उस वक्त आये, जब उन्होंने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कोटा और बूंदी में आयोजित आजादी के स्वर कार्यक्रम में 15 हजार से अधिक अधिकारियों को सम्मानित किया था। एक और वाकया बड़ा हाइलाइट हुआ था, जब साल 2023 में राहुल गांधी लोकसभा में बोल रहे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अडानी को मित्र बताते हुए पीएम पर निशाना साधा था। इसके बाद सत्ता पक्ष ने हंगामा कर दिया था। इसके बाद जब राहुल गांधी अपने भाषण को खत्म कर सीट पर बैठे तो स्पीकर बिरला ने कहा कि कोई भी बाहर यह ना कहा कहे कि स्पीकर साहब माइक बंद कर देते हैं। यह अच्छी बात नहीं है। इसके बाद राहुल गांधी स्पीकर बिरला की बात सुनकर फिर खड़े हुए और बोले स्पीकर साहब यह बात तो सही है कि आप माइक बंद कर देते हो।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleअक्षय कुमार की फिल्म ‘सरफिरा’ का दूसरा गाना ‘खुदाया’ हुआ रिलीज
    Next Article झारखंड में नौकरियों की बहार, 37,477 पदों के लिए निकलेगी वैकेंसी, अगस्त से नवंबर तक जेएसएससी आयोजित करेगा परीक्षा
    shivam kumar

      Related Posts

      बदल रहा है शशि थरूर और पी चिदंबरम का मिजाज!

      May 22, 2025

      पाकिस्तान को बेनकाब करने उतरी पीएम मोदी की टीम

      May 21, 2025

      पाकिस्तान-चीन-बांग्लादेश मिल कर बना रहे आतंक की नयी फैक्ट्री

      May 20, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • आतंक की कीमत चुकानी होगी, पाकिस्तान का ‘स्टेट और नॉन-स्टेट’ एक्टर का नाटक नहीं चलेगाः प्रधानमंत्री
      • फरीदाबाद में मिला कोरोना संक्रमित, स्वास्थ्य विभाग सतर्क
      • कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में विकास करना प्राथमिकता: विधायक
      • जेपीएससी नियुक्ति घोटाला मामला : डीएसपी शिवेंद्र की अग्रिम जमानत पर अब 23 मई को सुनवाई
      • प्रधानमंत्री ने झारखंड के तीन अमृत भारत रेलवे स्टेशनों का भी किया उद्घाटन
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version