-बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थ बरामद होने पर डीआइजी का जाना अनिवार्य
-खूंटी और चतरा जिले को लेकर विशेष ध्यान देने का आदेश
रांची। डीजीपी अजय कुमार सिंह ने नशा कारोबार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये समीक्षा बैठक की। इस बैठक में सभी जिलों के एसपी, एसएसपी, रेंज के डीआइजी और जोनल आइजी शामिल हुए। समीक्षा बैठक के दौरान डीजीपी ने निर्देश देते हुए कहा है कि जिस जिले में बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थ की बरामदगी होगी, उस स्थान पर रेंज के डीआइजी को जाना अनिवार्य है। डीजीपी ने चतरा और खूंटी जिले में हो रहे नशीले पदार्थ के उत्पादन को लेकर नाराजगी जतायी। साथ ही दोनों जिले के एसपी को इस पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया।

डीजीपी ने कहा कि जहां पर अफीम की खेती को नष्ट किया गया था। उसी स्थान पर फिर से अफीम की खेती हो रही है। इस पर भी कार्रवाई सुनिश्चित की जाये। अफीम समेत अन्य नशीले पदार्थों के उत्पादन को लेकर झारखंड हमेशा सवालों के घेरे में रहा है। इसके उत्पादन और उपभोग में वृद्धि देखी गयी है। कई बार तो हाइकोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया है। झारखंड पुलिस के मुताबिकए बीते पांच सालों में करीब 2024 केस दर्ज किये गये हैं। अफीम उत्पादन और उपभोग के सबसे ज्यादा केस चतरा, पलामू, लातेहार और रांची में दर्ज किये गये हैं। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के जरिये उक्त कांडों में करीब 4949 लोगों की गिरफ्तार किया गया है। इस समस्या के समाधान के लिए दीर्घकालीन योजना तैयार की गयी है।

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